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क्या चीन से युद्ध होने से भारत का कोई फायदा है?

India China Dispute

India China Dispute

चीन जिस विस्तारवादी नीति के लिए जाना जाता है। चीन का मुख्य उद्देश्य अपने सीमाओं की वृद्धि करना और अन्य देशों की सीमाओं पर अतिक्रमण हेतु पूरी दुनिया जानती है। ग्लोबल फायरपॉवर्स 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सैन्य शक्ति विश्व की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति के रूप में जानी जाती है। इसी रिपोर्ट के अनुसार भारत चौथी बड़ी सेना है।

भारत भी नहीं है कमज़ोर

आधुनिक हथियारों की दृष्टि भी चीन भारत से काफी ताकतवर ज़रूर दिखता है, क्योंकि इसने अमेरिकन और रशियन टेक्नोलॉजी को कॉपी करके अपनी सैन्य शक्ति को प्रबल किया है। भारत भी हथियारों की दृष्टि से कमज़ोर नहीं है, हमारे पास भी कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी से लैस हथियार हैं जिन्हें किसी देश ने टक्कर देने की कोशिश नहीं किया है।

1962 के युद्ध में हमारे देश की हार की वजह से चीन भारत की अभी की ताकत से बेखबर है लेकिन वह राजनीतिक सोच और सूझबूझ में बदलाव, कड़ापन और आक्रामकता महसूस ज़रूर कर रहा होगा।

1962 का युद्ध भारत के हारने के कई कारण हो सकते हैं। पहला कारण तो परिस्थितियां थी जिसकी वजह से सेना के अनुकूल अनाज और उपयोगी हथियारों  की कमी हमें दिखाई देती है। यह कमी शायद इसलिए थी, क्योंकि युद्ध ऊंचाई में लड़ा गया और यहां समान पहुंचाने के लिए मार्गों की अनुकूलता की कमी एक अन्य मुख्य कारण हो सकता है।

भारत-चीन सीमा विवाद है काफी पुराना मसला

चीन के साथ 1962 के युद्ध का कारण भी सीमा विवाद ही था। चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ पहले भी किया था लेकिन राजनीतिक कमज़ोरियों की वजह से हमें शिकस्त मिली थी। आज राजनीतिक स्थिति भी मजबूत है, साथ ही साथ हर देश का समर्थन भी भारत को हासिल है जो चीन के पास नहीं है।

समर्थन का चीन के पास ना होने का कारण भी सीमा विवाद ही है, क्योंकि चीन ने सभी देशों से सीमा विवाद के चलते दुश्मनी मोल लिया है। चीन के 23 देशों से सीमा विवाद चल रहे हैं जबकि भारत के केवल चीन और पाकिस्तान से ही सीमा विवाद चल रहा है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

1962 के युद्ध में भारत की हार का एक और मुख्य कारण चीन की सेना का ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों पर कब्जा था जिस कारण भारत उसपर हावी नहीं हो पाया जबकि आज के समय मे उन सभी पहाड़ी क्षेत्रों में भारत का कब्जा है जो चीन की शिकस्त का कारण भी बन सकती हैं।

1962 के युद्ध में दोनों सेनाओं के द्वारा टैंक और वायु सेना से युद्ध नहीं लड़ा गया था, टैंक के इस्तेमाल ना हो पाने का कारण तो ऊंचाई है लेकिन वायु सेना का इस्तेमाल किया ही नहीं गया। जिस कारण ठंड और खाद्य की कमी से जूझ रही भारतीय सेना चीन को शिकस्त देने से चूक गई थी।

भारतीय सेना की ट्रेनिंग आज की उन्नत किस्म की ट्रेनिंग है जिसकी कमी चीनी सेना में दिखाई देती है। भारतीय सेना को हर स्थिति में डटकर सामना करने लायक बनाया गया है और हमारी सेना को आज के समय आधुनिक भी किया गया है। जबकि चीन की सेना आधुकनिकता से लैस तो है लेकिन ट्रेनिंग में भारतीय सेना से ज़्यादा समृद्ध नहीं है।

क्या चीन से युद्ध में कुछ फायदा है? 

चीन से यदि भारत युद्ध करता है, तो चीन से युद्ध करने पर भारत को फायदा हो सकता है। पहला फायदा तो ये होगा कि भारत की सेना के ऊंचाई पर कब्जा होने की वजह से युद्ध मे शिकस्त के चांस काम हो जाएंगे।

दूसरा फायदा यह है कि यदि युद्ध होता है तो भारत की आक्रामकता के कारण अन्य देश जो चीन से सीमा विवाद के चलते क्रोध में जल रहे हैं, वे भी चारों तरफ से चीन को तोड़ने की कोशिश में भिड़ जाएंगे जिसके फलस्वरूप चीन की सैनिक शक्ति का बंटवारा साफ तौर पर दिखाई देता है।

नतीजन चीन के शिकस्त के चांस बनते हैं और चीन जैसी शक्ति तो तोड़ देने की वजह से पाकिस्तान अपनी नाकाम हरकतों पर लगाम लगाने को बाध्य हो जाएगा और देश एक सैनिक शक्ति के रूप में अपनी छवि बना पाएगा।

तीसरा फायदा- जब चीन को भारत भी शिकस्त देने की शक्ति रखेगा, तो सीधी-सी बात बात है चीन में मौजूद उपनिवेशक भी चीन का साथ छोड़ देंगे और भारत में उपनिवेशों की भरमार हो जाएगी नतीजन भारत मे रोज़गार के तगड़े अवसर उभर पड़ेंगे और देश की बेरोज़गार शक्ति भी मजबूत बन पड़ेगी।

चौथा फायदा- चीन की यदि शिकस्त होती है, तो हमें चीन अधिकृत भारतीय हिस्सा भी मिल जाएगा और तिब्बत जिसे चीन ने हड़प रखा है। उसे भी स्वतंत्र कराया जा सकता है। साथ ही साथ मानसरोवर झील और चीनी हिस्से में मौजूद हिमालय को अपने हिस्से में वापस ले लेने से पर्वतारोहियों को चीन से परमिशन हेतु निर्भर नहीं होना पड़ेगा और भारत के इनकम का एक और सोर्स भी बन जाएगा।

भारत को युद्ध के बेहद अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, यदि भारत युद्ध हेतु पहल करके एक विस्तारवादी गलत मानसिकता को धराशायी करने में कामयाब होता है तो, ऐसा मुझे लगता है।

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