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“ट्रैवल के दौरान एक अजनबी मेरे स्तनों को छू रहा था मगर मैं कुछ बोल नहीं पाई”

हम हमेशा गर्व से कहते हैं कि भारत एक महान देश है मगर क्या कभी हमने यह सोचने की ज़हमत उठाई है कि इस महान देश में महिलाओं की इज़्जत क्यों नहीं करता है पितृसत्तात्मक समाज? एक घटना आपको बताती हूं साल 2012 की।

मैं बस के माध्यम से गोड्डा से रांची जा रही थी एग्ज़ाम देने के लिए। हमारे झारखंड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि यदि आप महिला हैं और अकेले यात्रा कर रही हैं, तो आपको ऐसी सीट दी जाएगी जिसकी बगल वाली सीट या तो खाली हो या उसमें भी कोई महिला ही हो।

रात के 8 बजे मैं गोड्डा बस स्टैंड पर बस में सवार हो गई। बगल वाली सीट में कुछ देर बाद एक लड़का आकर बैठता है। शुरू में तो यूं लगा जैसे कोई सज्जन ही है वह मगर जैसे-जैसे गाड़ी आगे बढ़ी, उसने अजीब हरकतें करनी शुरू कर दीं।

बस में काफी तेज़ आवाज़ में गाने बज रहे थे तो आसपास वाले लोगों को ज़रा सा भी अंदाज़ा नहीं हो रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है। उस शख्स ने पहले सोने की एक्टिंग करते हुए मेरे सीने में हाथ रख दिया। पहली दफा मैंने सोचा हो सकता है सो रहा है इसलिए गलती से हो गया होगा।

मैंने जैसे ही सीट पर करवट ली कि उसने अपना हाथ मेरे सीने से हटा लिया। मैं काफी थक चुकी थी और कुछ ही वक्त के बाद मुझे काफी गहरी नींद आ गई। जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि वह मेरे स्तनों को अपने हाथ से छू रहा है। पहले तो मैं सन्न रह गई कि ये हो क्या रहा है और कोई इतनी साहस कर कैसे सकता है?

जैसी ही मेरी आंखें खुलीं कि उसने अपना हाथ हटा लिया। अब मैं यह सोचने लग गई कि यदि मैं शिकायत करती हूं तो बस में कुछ लोग मेरे जानकार भी थे और यदि वे सुन लेंगे तो पूरे शहर में बात फैल जाएगी। यही सोचकर मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप सो गई। मैंने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी।

इसी सोच का फायदा वो उठाता चला गया और रास्ते भर उसने कभी मेरी योनि को टच किया तो कभी सीने में हाथ डाला। मन में एक अजीब किस्म की घबराहट थी जिस कारण मैं कुछ भी किसी से नहीं बोल पाई। धीरे-धीरे वक्त बीतता गया और वह याद भी मेरे ज़हन से खत्म हो गई। आज अचानक सालों बाद जब वह घटना याद आई तो सोचा कि लिखकर कम-से-कम साझा करूं ताकि ऐसी घटनाएं लोगों के सामने आएं।

उस रात मैं खामोश रह गई और मेरा शोषण होता चला गया मगर आज जब मैं सोचती हूं तो लगता है कि ना जाने कितनी लड़कियां हर रोज़ बसों और ट्रेनों आदि में शोषण का शिकार होती होंगी। क्या इस भारत पर हम लड़कियों को गर्व होना चाहिए?

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