टीचर्स डे से हर किसी के बचपन की कुछ ना कुछ यादें जुड़ी होती हैं। मेरी भी कई यादें हैं, जो आज भी मुझे मेरे स्कूल के दिनों में होने वाले टीचर्स डे की याद दिला जाती हैं। इंग्लिश और हिंदी की टीचर्स मेरी फेवरेट टीचर्स में से एक थीं.
वहीं, मैथ्स के सर से मुझे बहुत डर लगता था। वो थे ही काफी स्ट्रिक्ट! क्लास में उनके आने के बाद पूरे क्लास में सन्नाटा छा जाता था।
क्लास मॉनिटर होने की वजह से कई बार टीचर्स डे की तैयारी की कमान मेरे हाथ में होती थी। हम सब फ्रेंड्स कुछ-कुछ पैसे हर स्टूडेंट्स से लेते थे। ये तैयारी कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती थी और सबसे बड़ी चिंता यह लगी रहती थी कि ये सरप्राइज़ पार्टी किसी भी तरह हमारी क्लास टीचर्स को ना पता लग पाए।
टीचर्स डे में क्लास टीचर और फेवरेट टीचर के लिए बड़ा गिफ्ट आता था और बाकी सबके लिए एक-एक वो पांच रुपये वाला पेन। पूरे क्लास को शानदार तरीके से सजाया जाता था। दीवार पर ढेर सारे गुब्बारे, रंग-बिरंगी पट्टियां, स्टार्स और बीच में एक सबसे बड़ा गुब्बारा लगाया जाता था, जिसके अंदर ढेर सारी टॉफियां भरी होती थीं।
हम सबको उस गुब्बारे के फूटने का बेसब्री से इंतज़ार रहता था, क्योंकि उसके बाद ही हम सब टॉफी पाने के लिए दौड़ पड़ते थे। बीच में टेबल को सजाकर रखा जाता था और क्लास टीचर की एंट्री के लिए दरवाज़े के बाहर एक रंगीन फीता लगाया जाता था, ताकि टीचर जब अंदर आएं तो उसे काटते हुए आएं।
सब अपनी पॉकेट मनी से जो भी पैसे इकट्ठा करते थे, उससे पेप्सी, पैटीज़, पेस्ट्री और समोसे आते थे। आज भी यह मेरी टीचर्स डे की सबसे अच्छी यादों में से एक है। स्कूल के वो दिन और अपने टीचर्स को आज भी बहुत मिस करती हूं।
आप सबसे जो सीख मिली वो सच में मेरे लिए आज भी अनमोल है। पहले लगता था जल्दी कॉलेज जॉइन करें मगर क्या पता था सबसे अच्छी यादें तो स्कूल से ही मिलनी थी। तब पैसा कम हुआ करता था लेकिन उन कम पैसों में भी बेहिसाब मस्ती कर लेते थे। हम सभी के अंदर टीचर्स के लिए फॉरमैलिटी नहीं, बल्कि एक सम्मान की भावना हुआ करती थी।