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पंजाब के एक मुख्यमंत्री की हत्या जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया!

तारीख थी 31 अगस्त 1995, जगह चंडीगढ़ हर दिन की तरह यह दिन भी आम था, मगर फिर पंजाब सरकार के दफ्तर जिसे पंजाब सेक्रेटेरियट भी कहा जाता है। वहां कुछ ऐसा हुआ कि सिर्फ चंडीगढ़ या पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरा भारत ही हिल गया।

वह बम धमाका जिसने सबको हिला कर रख दिया

एक तेज़ बम धमाका पंजाब सेक्रेटेरियट में हुआ। धमाका इतना बड़ा था कि उसकी आवाज़ से सेक्रेटेरियट के 4 मालों की खिड़कियां टूट गई। आस-पास की जगह धूं धूं करके जल रही थी। 18 लोग इस धमाके में मारे गए पर इन 18 लोगों में एक लाश थी, पंजाब के तब के मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह की जो सन् 1992 से पंजाब राज्य के मुख्यमंत्री, जालंधर से विधायक और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे।
आज उनके पोते सरदार रवनीत सिंह बिट्टू भी कांग्रेस में है और लुधियाना से सांसद हैं। कहा जाता है कि पंजाब में खालिस्तान का सर कुचलने में सरदार बेअंत सिंह की बड़ी भूमिका थी। बतौर मुख्यमंत्री उन्हीं के राज में पंजाब से आतंकवाद का नाश हो गया था और उनके अलावा पंजाब राज्य के तबके डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस यानी DGP सरदार कांवर पाल सिंह गिल को भी इसका श्रेय दिया जाता रहा है।
सिख जातेहबंदियों की बात मानें, तो बेअंत सिंह और के.पी.एस गिल को वो उन हज़ारों बेगुनाह सिख नौजवानों का कातिल मानते हैं जो आतंकवादी नहीं थे, बल्कि मुख्यमंत्री और डीजीपी के इशारे पर झूठे एनकाउंटर में मरवा दिए गए और बाकायदा नाम लिए जाते हैं। उन लड़कों के सिर्फ सिख जातेहबंदियो नहीं, बल्कि पंजाब राज्य का शिरोमणी अकाली दल भी इसी कारण बेअंत सिंह जी को एक बुचर यानी कातिल की उपाधि देता है।

एनकाउंटर की आड़ में कई बेगुनाह भी मार दिए गए

ये एक सच है कि पंजाब में उस वक़्त के दौर में कई बेगुनाह सिख नौजवान पुलिस एनकॉउंटर में मारे गए या हमेशा के लिए जेल में रह गए, जिसकी वजह से कई मुकदमों में कई पुलिसवालों को जेल भी हुई थी। जिसमें एक मामला तो खुद अकाली दल के महासचिव सरदार जसवंत सिंह खलड़ा का भी था।
जिसमें उन्हें घर से कुछ पुलिसवाले उठा ले गए और कत्ल कर दिया। बाद में, इसी मुकदमे में 6 पुलिसवालों को उम्रकैद हुई, जिसमें इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और कुछ हेड कॉन्स्टेबल भी शामिल थे। हालांकि यह बताना ज़रूरी है कि बेअंत सिंह पर आज तक यह इल्ज़ाम साबित नहीं हुआ है।
सरदार बेअंत सिंह, तस्वीर साभार: विकिपीडिया
पंजाब के पटियाला राज में जन्मे सरदार बेअंत सिंह भारत के बंटवारे के बाद ही राजनीति में आ गए थे। 1960 में लुधियाना शहर में स्थित अपने पिंड की ब्लॉक समिति के सदरस्य बने और बाद में बतौर स्वतंत्र प्रतिनिधि वे 1969 में पहली बार विधायक का चुनाव लड़े और जीत गए।
फिर कांग्रेस में नेता बने और पंजाब कांग्रेस में बड़ा नाम बने। उनसे पहले पंजाब में 5 साल तक राष्ट्रपति शासन था, जब वे आए तो पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ पुलिस का हल्ला बोल और तेज़ी से बढ़ा पर इसके कई बुरे प्रकोप भी दिखे।

कौन थे वो चेहरे जिन्होंने बेअंत सिंह की हत्या कर दी

सरदार बेअंत सिंह की हत्या से जुड़ी सबसे हैरानगी वाली बात यह है कि इनके कत्ल में शामिल 3 लोगों में 2 पंजाब पुलिस के अधिकारी थे। यह दोनों सरदार दिलावर सिंह बबर और सरदार बलवंत सिंह राजोआना थे, जिसकी सज़ा माफ करने की अफवाह पर पिछले साल कांग्रेस ने मोदी सरकार को काफी घेरा था और तीसरा शख्स था जगतार सिंह हवारा जो कि बबर खालसा संगठन का था।
दिलावर सिंह बाबर एक मानव बम बनकर सरदार बेअंत सिंह के पास गया और खुद को उड़ा लिया था। राजीव गाँधी के बाद बेअंत सिंह की इस तरह हत्या हुई थी। यह पहला हमला नहीं था, हमले इसके पहले भी हो चुके थे, रवनीत सिंह बिट्टू ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि बेअंत सिंह जानते थे कि वो ज़िंदा नहीं बचेंगे।
आज जहां एक तबका उन्हें शहीद मानता है, वहीं दूसरा तबका उन्हें सिखों के खून से होली खेलने वाला मानता है, लेकिन सच क्या है? यह कोई नहीं जानता, फिलहाल तो वे शहीद की उपाधि प्राप्त एक दिवंगत नेता हैं।
उनके कातिलों में शामिल सरदार बलवंत सिंह को तुरंत ही पंजाब में गिरफ्तार कर लिया गया था और हवारा को 9 साल बाद थाईलैंड से गिरफ्तार कर लिया गया था।
दोनों पर मुकदमा चला, दोनों ने अपने अपराध मान लिए और ऑपरेशन ब्लूस्टार, 84 के सिख नरसंघार और हज़ारों सिख लड़कों के कत्लेआम को वजह बताया लेकिन सवाल एक ही है, अगर इनका यह मानना था कि सरदार बेअंत सिंह एक कातिल हैं, तो सही तरीके से उनको सज़ा दिलवाते और अगर इनको अपना यह कृत्य सही दिखता है तो सवाल इनसे यह भी है कि बेअंत सिंह के साथ मारे गए उन 17 लोगों की क्या गलती थी?
उन्होंने न तो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा था, ना ही किसी के साथ कुछ गलत किया। उनको क्यों मारा? वे भी आम लोग थे, अगर बेअंत सिंह एक कातिल थे, तो उन 17 बेगुनाहों को घुन की तरह पीस देने वाले ये दो शख्स क्या कातिल नहीं है? सरदार बेअंत सिंह का सच क्या था, यह नहीं पता पर उनकी यह हत्या भारत और पूरे पंजाब को सबसे ज़्यादा दहला देने वाला पल था।
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