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प्रदूषण कम करने के लिए छत्तीसगढ़ के आदिवासी ऐसे करते हैं पुराने कपड़ों का इस्तेमाल

आज कल बहुत से लोग पुरानी वस्तुओं से कुछ नया तैयार करना सीख रहे हैं। वस्तुओं को फेंकने के बजाय उनका पुनः प्रयोग करने से प्रदूषण कम होता है और आज की दुनिया में, जहां लोग वस्तुएं खरीद के, इस्तेमाल करके फेंक देते है, उनसे कुछ नया बनाने से उनका मूल्य भी लोगों को समझ आता है।

छत्तीसगढ़ के मेरे गाँव में भी पुरानी वस्तुओं को फेंकने के बजाय, लोग उसका तरह-तरह से उपयोग करते हैं। हमारे गाँव की महिलाएं पुराने कपड़ों और साड़ियों से कई चीज़ें सिलती हैं, जो दैनिक जीवन में उपयोगी होती है। 

पुराने कपड़ों से बिस्तर 

एक तरीका है पुरानी साड़ियों और कपड़ों से लोग बिस्तर बनाते हैं, जो ज़मीन में बिछाने में काम आता है। बिस्तर बनाने के लिए पुरानी साड़ियों को छोटे-छोटे भाग में काट लेते हैं और उसके किनारे को मोड़ा जाता है। फिर साड़ी के अंदर छोटे- छोटे कपड़े के टुकड़े डाले जाते हैं।

पुराने कपड़ों से बना बिस्तर

कपड़े डालने के बाद किनारे को मोड़ कर सिलाई की जाती है। इस बिस्तर को मशीन में नहीं, बल्कि हाथों से सिला जाता है। सिलाई करने के लिए मोटी सुई और मोटे धागे का उपयोग किया जाता है।

इस बिस्तर का उपयोग बैठने और सोने के लिए किया जाता है, और अगर घर पर चटाई ना हो, तो इस बिस्तर को फोल्ड करके बिछा सकते हैं। हमारे गाँव में जब लोग खाना खाते हैं, तो ज़्यादातर लोग इसी बिस्तर पर बैठके खाना खाते हैं। 

कई आदिवासियों का कहना है कि टेबल-कुर्सी में बैठकर खाना खाने से अन्न माता का अपमान होता है। पुराने दिनों से कई चीजें यूं ही नहीं चली आ रही और उनके पीछे कुछ कारण भी है, फायदे भी। इससे पाचन अच्छा होता है, शरीर लचीला होता है और पीठ की समस्याएं भी दूर रहती हैं। इसलिए हम आदिवासी हमेशा ज़मीन पर बैठके ही खाना खाते हैं। 

पुराने कपड़े से बिस्तर सिलती महिला

पुराने फटे कपड़ों को ऐसे बेवजह फेंकने से नुकसान 

पुराने कपड़ों को फेंकने के बाद, वह ज़मीन में या पानी में फेंके जाते हैं, नहीं तो जलाए जाते हैं। इससे वायु प्रदूषण होता है। ज़मीन में फेंकने से उसकी से उपजाऊ मृदा नष्ट हो जाती है। जिस जगह पर कपड़े पड़े रहते हैं वहाँ फसल नहीं होती।

इसके अलावा कभी कभी पशु-पक्षी भी कपड़ों के टुकड़ों को खाते है और उनको हानि होती है। कई कपड़ों में एक तरीके का प्लास्टिक भी होता है, जिसका अवक्रमण नहीं हो सकता और यह प्लास्टिक ज़मीन में ही रह जाती है।

हमें कपड़ों को जितने समय तक हो सके, इस्तेमाल करना चाहिए। पुराने कपड़ों को फेंकने के बजाय उसका पुनः उपयोग करना चाहिए। आज कल सस्ते कपड़े खरीदकर लोग जल्दी ही उन्हें फेंक देते हैं लेकिन हमें अपने कपड़ों और पर्यावरण का मूल्य समझना चाहिए और कम से कम  कपड़े खरीदकर उन्हें ठीक से इस्तेमाल करना चाहिए।


यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है। 

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