सरकार की तरफ से जारी अनलॉक-4 की गाइडलाइन में मेट्रो को खोला जा रहा है। कोरोनाकाल में मेट्रो को फिर से पटरी पर आने के लिए छ: महीने का लंबा इंतजार करना पड़ा है, जो आने वाले सात सितंबर को खत्म होगा। इसमें मेट्रो को चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे दौड़ाया जाएगा।
यात्रियों के लिए ध्यान रखने वाली बातें क्या हैं?
- यात्रियों को नहीं मिलेगा टोकन
- सिर्फ मेट्रो कार्ड से कर सकेंगे यात्रा
- कार्ड रिचार्ज भी होगा ऑनलाइन, ओटो टॉपअप फीचर से रहेगा लैस
- मोबाइल में आरोग्य सेतू ऐप का होना अनिवार्य
- मेट्रो कोच के अंदर एक-दूसरे से बनाकर रखनी होगी कम से कम छह फीट की दूरी
- फेस पर मास्क लगाना होगा सभी यात्रियों के लिए ज़रूरी
- किसी बीमार व्यक्ति को मेट्रो परिसर में नहीं मिलेगी एंट्री
मेट्रो स्टेशनों पर दिखेंगे ये नए बदलाव
- स्टेशनों के एंट्री गेट पर सुरक्षा के साथ थर्मल स्क्रीनिंग होगी
- प्रवेश और निकास के लिए सभी गेटों को नहीं खोला जाएगा
- मेट्रो गेट और परिसर में जगह-जगह होगा सेनेटाइजर
- यात्रा का समय पहले से बढ़ाया जाएगा
- स्टेशनों पर देर तक रुकेगी ट्रेने
- लिफ्ट का उपयोग एक बार में केवल तीन लोग ही कर सकेंगे
- एस्केलेटर पर भी एक सीढ़ी का बनाकर रखना होगा गैप
- एयरकंडीशन का तापमान 24 से 30 के बीच में ही रहेगा
मेट्रो का कहना है,
“परिचालन की यह व्यवस्था अगर ठीक रही, तो आने वाले दिनों में यात्रियों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जाएगी। इसके लिए जल्द ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से विस्तार में एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की जाएगी।”
भीड़ बढ़ने की स्थिति में गेट किए जायेंगे बंद
169 दिन बंद रहने के बाद मेट्रो के सामने सबसे बड़ी चुनौती स्टेशनों पर भीड़ ना बढ़ने देने की रहेगी। इसके लिए भी कई बदलाव किए गए हैं। इनमें से एक बड़ा बदलाव यह है कि यदि किसी स्टेशन पर मेट्रो प्रशासन को लगा कि वहां भीड़ ज़्यादा है, तो ऐसे में स्टेशन के प्रवेश द्वार को तुरंत बंद करके प्रवेश को रोका जा सकता है। इसके लिए सभी स्टेशनों पर स्पेशल ड्यूटी कर्मी भी तैनात किए जाएंगे।
लगातार बढ़ रहा था मेट्रो पर आर्थिक दवाब
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय से मेट्रो बंद रहने से उसका आर्थिक घाटा लगातार बढ़ता जा रहा था। लॉकडाउन के चलते मेट्रो के आगे लोन चुकाने की भी चुनौती थी। यही नहीं आर्थिक तंगी के कारण डीएमआरसी ने अगस्त से कर्मचारियों की आधी सैलरी काटने का भी फैसला लिया था।
डीएमआरसी ने ऐसा इसलिए किया था, क्योंकि मेट्रो के राजस्व का मुख्य सोर्स उसका परिचालन ही है और कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते परिचालन ना होने से उसको रोज़ाना दस करोड़ रूपए के राजस्व का घाटा हो रहा था। सात सितंबर से मेट्रो से हटने वाले ब्रेक से इस घाटे पर भी लगाम लगेगी।