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सीवर की सफाई के दौरान पिछले 10 सालों में 631 सफाई कर्मचारियों की मौत पर मौन क्यों है सरकार?

सफाईकर्मियों की सुरक्षा से जुड़ी तमाम कोशिशों और दावों के बावजूद पिछले दस साल में सीवर की सफाई करने के दौरान कुल 631 लोगों की जान चली गई। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्रदान किए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है।

आंकड़ों के अनुसार, 2010 से 2020 की अवधि में 631 लोगों की मौत हुई। इनमें से सबसे ज़्यादा 115 लोगों की मौत 2019 में हुई। वहीं, पिछले 10 वर्षों में इस वजह से सबसे ज़्यादा 122 लोगों की मौत तमिलनाडु में हुई। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 85, दिल्ली और कर्नाटक में 63-63 तथा गुजरात में 61 लोगों की मौत हुई। हरियाणा में 50 लोगों की मौत हुई।

सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कैसे खतरे मोल लेते हैं सफाई कर्मी

शौचालय और अन्य जगहों से आने वाला गंदा मिश्रण जब सीवर में फंस जाता है, तो उसे साफ करने के लिए मज़दूरों को अंदर भेजा जाता है। यह जानलेवा भी साबित होता है। कई बार मज़दूर बिना किसी पर्याप्त सुरक्षा इंतजामों के सिर्फ एक रस्सी के सहारे गहरे सीवर में उतरते हैं और उसके भीतर खतरनाक गैस मौत की वजह बन जाती है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

सफाईकर्मियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि मैला ढोना रोज़गार निषेध और पुनर्वास अधिनियम को सही से लागू नहीं करने की वजह से इससे जुड़ी मौतें हो रही हैं।

क्या कहते हैं दिशा-निर्देश?

मैनुअल स्कैवेंजिंग कानून 2013 के तहत किसी भी व्यक्ति को सीवर में भेजना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। अगर किसी खास परिस्थति में सफाईकर्मी को सीवर के अंदर भेजा जाता है, तो इसके लिए कई तरह के नियमों का पालन करना होता है। अगर सफाईकर्मी किसी कारण से सीवर में उतरता भी है, तो इसकी इज़ाजत इंजीनियर से होनी चाहिए और पास में ही एंबुलेंस की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि किसी आपातकाल स्थिति में सफाईकर्मी को अस्पताल ले जाया जा सके।

इसके अलावा दिशा-निर्देश कहते हैं कि सफाईकर्मी की सुरक्षा के लिए ऑक्सीजन मास्क, रबड़ के जूते, सेफ्टी बेल्ट, रबड़ के दस्ताने, टॉर्च आदि होने चाहिए। तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में नए प्रयोग हो रहे हैं, तो दूसरी ओर देश में बिना सुरक्षा उपकरणों के सफाईकर्मी सीवर में अपनी जान देने को मजबूर हैं।

सरकारें सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का गंभीरता से पालन नहीं कर रही हैं- विल्सन

सफाई कर्मचारी आंदोलन और रैमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता वेजवाड़ा विल्सन कहते हैं, “समस्या यह है कि सरकारें सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का गंभीरता से पालन नहीं कर रही हैं। सरकारें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान नहीं कर रही हैं।”

विल्सन कहते हैं, “सरकार को व्यापक कार्य योजना बनानी होगी ताकि सीवर लाइन में इस तरह के हादसे ना हो लेकिन समस्या यह है कि सरकारों के लिए दलितों की ज़िंदगी कोई मायने नहीं रखती है। सरकार तो सीवर में होने वाली मौत की भी ज़िम्मेदारी नहीं लेती है और वह ठेकेदार पर ही इसका ठीकरा फोड़ती है।

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