कब तक!
आखिर कब तक हम मुद्दों से भटकते रहेंगे ?
आखिर कब तक हम यूहीं एक दूसरे पर दोष मंडते रहेंगे ?
मीडिया अगर वाक़ई में अपना काम कर रही है तो मैं कहुँगा मेमे पेज उनसे कही गुना ज़्यादा बेहतर कर रहे है !
हर रोज़ एक डिबेट, एक ऐसी डिबेट जिसमे शोर के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता, एक ऐसी डिबेट जिसमे एक दूसरे पर ग़लत भाषा का इस्तेमाल करके एक दूसरे पर कीचड़ उछाला जाता है, हमारे मुद्दे कही गुम हो गए है इन डिबेट्स में !
अगर हमारी मीडिया जो की लगता है अब हमारी न रह कर सिलेक्टेड लोगो के लिए रह गई है काम कर रही होती या असली मुद्दों को सामने ला रही होती तो आज जिस तरह का माहौल बना दिए है देश में वह नहीं होता!
मीडिया को कहा जाता है की लोकतंत्र का स्तंभ है लेकिन इस स्तंभ को चंद लोगो ने गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन बावजूद इसके अभी भी कुछ लोग बाक़ी है जो इसे पूरी ईमानदारी के साथ निभा रहे हैं हमे उनके साथ चलना चाहिए, हमे उन्ही का साथ देना चाहिए जो आज भी सच को उजागर कर रहे है वह लोग कम ही सही, लेकिन हमे ये नहीं भूलना चाहिए की एक दिया जब जलता है तो अँधेरा नहीं रहता, बस हमे उन दीयों का साथ देना है और सच्चाई की रौशनी में आगे बढ़ते हुए हमे तमाम मुद्दों से लड़ना है और याद रखे तब जीत हमारी ही होगी!
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