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कोरोना काल

आप सभी देश प्रेमियों को मानसिक स्वास्थ्य दिवस की अनंत शुभकामनाएं एवं ढेरों बधाइयां।
आप सभी के बीच मेरा “कोरोना काल” कविता प्रस्तुत कर रहा हूं अपनी राय देश हित में जरूर दें।
जय हिन्द ?????

जबसे आया इ कोरोना बीमारी,
छुट गया सबसे दोस्ती इयारी।
हाट बाजार सब बंद हो गया।
मिलना जुलना चंद हो गया।।
घुमना फिरना हुआ दुसवारी
जबसे आया इ कोरोना बेमारी।।

छींकना खांसना जुल्म हुआ।
सर्दी-जुकाम यदि कुछ हुआ ।।
मारेगी पुलिस निकले दुआरी।।
जब से आया इ कोरोना बीमारी।।

रोजी रोजगार छोड़ कर,
खुद को बंद करना पड़ा।
अपने अपनों से दूर हो गये,
डंडों के आगे डरना पड़ा।।
कंपनी कारखाने बंद हो गये।
दौरी दुकानें बंद हो गई।
अर्थ व्यवस्था चरमरा गई।
बढ़ गई बेरोजगारी।
जब से ई आया कोरोना बेमारी।।

अफवाहों का दौर आया,
भरपूर बेवकूफ बनाया गये।।
कोरोना में कारगर,
ऊंट,गाय का गोबर,मूत बताए गए।।
किंकर्तव्यविमूढ़ दुनिया असमंजस में पड़ गई।
कैसा ये रोग है कैसी महामारी।
जबसे आया इ कोरोना बीमारी।।

लोहे पर नौ दिन, चमड़े पर चार दिन।
हवा, कपड़ों पर ३घंटे,
मरे खाल पर चार दिन।
कोरोना वायरस ठंडे मांस पर १५ दिन
तक रहता है,ऐसा भी बताए गए।
कोरोना जानवर से फैलता है,
मानव के मल मूत्र से फैलता है।।
हवा में उड़ रहा है कोरोना,
स्वास्थ्य संगठन का ये दावेदारी,
जब से आया इ कोरोना बीमारी।।

कुछ पंडित विद्वानों द्वारा,
यज्ञ हवन भी कराएं गये।
कोरोना देवी को खुश करने के लिए,
कूर खेत में नौ नौ लौंग, लड्डू गड़ाए गये।।
साबुन सेनिटाइजर से नहाते नहाते,
काली चमड़ी गोरी हो गई।
कुछ हुआ चमत्कारी,
जबसे आया इ कोरोना बेमारी।।

सुई दवाई बेअसर हो गया,
सोच समझ में कसर हो गया।।
छः इंच के दिमाग को जाने क्या हो गया।
दारू दवा हो गया,बाकी सब हवा हो गया।।
आफत बना कोरा बना दिया भिखारी।
जब से आया इ कोरोना बेमारी।।

जरा सोचिए यदि हवा में उड़ता कोरोना,
तो शव नहीं गिन पाते।
दफनाने के लिए जमीन की बात छोड़ो,
हम आसानी से जी भी नहीं पाते।।
मन रोग हुआ कोरोना,
कुछ कहना बेकारी,
जब से आया इ कोरोना बेमारी।।

——-वीके शर्मा लेखक—–
——-दिल की आवाज——

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