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ग्राम पंचायत को भंग कर क्या विकास की राह रोकी गयी है ? केस स्टडी I

जब जल ही जीवन है तो, इसका मतलब जीवन समाप्त।

या 

देश की राजधानी से बेहतर पंचायती राज के क्षेत्र।

मुन्डेला/ मुन्ढेला गाँव दक्षिण पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ विधानसभा के अंतर्गत आने वाला एक गाँव है I गाँव की आबादी लगभग 4000 है, एवं जल आपूर्ति कार्य दिल्ली जल बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आता हैI गाँव ने सुर्खियाँ तब बटोरी जब पड़ोस के गाँव कैर में मुख्यमंत्री द्वारा इंटरनेशनल स्तर के स्टेडियम का उद्घाटन किये जाने के बाद ट्विटर पर ग्रामवासियों ने उनसे रात को 1 बजे तक पानी का इंतेज़ार करते हुए अपनी लाइव वीडियो साझा की।

पानी से तरसते हुए चहरों की जुबानी।

ग्रामवासियों ने वीडियो के माध्यम से बताया कि उनके गाँव में किस प्रकार एक दिन के बाद एक दिन ही पानी आता है एवं उसके लिए उन्हें किस प्रकार घंटों इंतेज़ार करना पड़ता हैI गाँव के एक युवा नितिन कहते हैं “700 रूपए का पानी का बिल भरने के बाद भी जो एक रात  के बाद एक-एक रात लोगों को जागना पड़ता है।इससे बेहतर विश्वगुरु भारत की राजधानी में क्या ही दिन देखे जा सकते हैं? रात-रात भर जाग कर पानी भरना और अगले दिन सुबह जल्दी ऑफिस जाना। बस अब दो ही काम रह गए हैं जिन्दगी में।”

गाँव के 65 वर्षीय सुरेंदर जी दूध का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि “पीने के पानी की बड़ी किल्लत रहती है, लोगों को पानी दुर्भर हो गया है, पशुओं के लिए तो ट्यूबवेल का ही एक मात्र सहारा है। ज्यादातर लोग इसी समस्या के चलते पशुपालन छोड़ चुके  हैं। अब फ़िल्टर के पानी से पार तो पड़ती नहीं है”I

ज़मीनी हकीकत राजनीति दायरे से इतर।

उन्होंने बताया कि इस प्रकार गाँव के लोगो को रहे सहे जीविका के साधन भी कम हो गये हैं। पास के हरियाणा के गाँव से बहने वाली  नहर से गाँव में पानी देने की बात सालों साल से चल रही है। परन्तु ज़मीनी हकीकत कुछ और ही हैI सुरेंदर जी कहते है “लोग नाम के नेता हैं जो काम एक सरपंच करा सकता है वो आजकल पार्षद या विधायक के ऑफिस के चक्कर लगाने से भी नहीं हो रहा है”I 

हरियाणा में स्वच्छ जल के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहल।

हरियाणा के हिसार ब्लाक में आने वाले चंदस्मंद गाँव में पिछले कुछ सालों में  दूषित जल, स्वछता, एवं जल निकासी के मुद्दे काफी गंभीर रहे हैं। जिनपर काम करते हुए वहाँ की युवा सरपंच बबली रानी ने दूषित जल के प्रबंधन पर काम करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि  सबसे पहले उन्होंने गाँव में तलाब निर्माण कार्य कराया। जिसे मनरेगा के तहत बनाया गया। तालाब का मुख्य उद्देश्य गाँव से  जल की निकासी कर उसे इकट्ठा करना था। परन्तु बाद में सरपंच के अनुसार उन्हें यह अधूरा दिखाई पड़ता था।

बबली रानी अपनी बात को आगे रखते हुए बताती हैं “दूषित जल प्रबंधन के लिए हमे जरूरत थी कि दूषित जल को इकट्ठा करने के साथ-साथ साफ़ भी किया जाए। हमारे पास पैसे की काफी किल्लत थी तो हम कोई बड़ी मशनरी नहीं लगा सकते थे।”

उन्होंने बताया कि किस प्रकार उन्हें सब कुछ सोच समझ कर करना था। अधिकारीयों से विचार विमर्श के बाद इस प्रोजेक्ट को निर्मल भारत अभियान की रूप रेखा में लाने के विचार पर सहमती बनी। इसके लिए उन्होंने  गाँव में 3 जोहड़ बनाए, जिसमे 1 एकड़ का एक जोहड़ था। पहले जोहड़ में पानी इक्कठा किया जाता था। इसमें जल स्तर काफी ज्यादा बना रहता था एवं काई जमी रहती थी। जिससे इसे अनेरोबिक ट्रीटमेंट में फायदा मिलने लगा।

जोहड़ से प्राप्त जल और योजनाबद्ध तरीकों का इस्तेमाल।

इसके बराबर में आधे एकड़ में एक जोहड़ बनाया गया जिसे पानी इसी जोहड़ से कुछ दिन के प्राथमिक ट्रीटमेंट के बाद मिलता था। इसके बाद कुछ ऐसे ट्रीटमेंट किए गए जो कुदरती हैं, एवं काफी हद तक पानी की अशुद्धियों का निपटान हो जाता है। इसके बाद तीसरा जोहड़ 1.5 एकड़ में बनाया गया है। जिससे दूसरे जोहड़ से पानी मिलता है। इस जोहड़ में बैक्टीरिया और काई एक साथ मिलकर नुकसान दायक अशुद्धियों का काफी हद तक कम कर देते हैं। यह जल अब आसानी से कृषि कार्यों, जमीन के जल स्तर को बढ़ने में इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रियां में हमारे द्वारा ध्यान रखा जाता है कि पानी को सीधे तौर से पहले जोहड़ में नहीं मिलने दिया जाता है। जिसे हम यह सुनिश्चित कर लेते हैं कि हमारी इस पूरी प्रक्रिया में पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे।

दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में सामाजिक विकास की दुर्दशा।

दक्षिण पश्चिम दिल्ली में स्तिथ झुल्झुली गाँव की आबादी लगभग 3000  है। पिछले 30 -40 साल से गाँव का आबादी क्षेत्र उतने का उतना ही है। गाँव में एक खेल का मैदान है। उसी में शादी समारोह से लेकर दूसरे कार्यकर्म आयोजित किये जाते हैं। गाँव में 2 चोपाल हैं। जिनकी हालत जर्जर बनी हुई है। चौपाल की मरम्मत के लिए एक के बाद एक पत्र लिखे जा रहे हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि गाँव में कोई खाली प्लाट भी नहीं बचा है। जहाँ शादी समारोह किये जा सकें। जनसंख्या बढ़ रही है, परिवार के साथ साथ जमीन भी बंट रही है। परन्तु प्रशासन की तरफ से इस पर जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

गाँव की RWA सचिव ने बताया कि सरकार धनी लोगों को हमारे क्षेत्र में बसाने के लिए मास्टर प्लान, लैंड पुलिंग पालिसी की बात करती है। परन्तु ग्रामीणों के लिए सरकार न लाल डोरा का विस्तार कर पाई है। न स्वामित्व योजना को दिल्ली में ला सकी है। ग्राम वासी लाल डोरा आबादी क्षेत्र पर मुख्य रूप से  आश्रित हैं। लाल डोरे का विस्तार न होने से अब गाँव में अतिक्रमण एक अहम् समस्या हैI सचिव ने बताया की उनके गाँव में पहले  जोनल प्लान में 100 मीटर की ग्रीन बेल्ट दिखाई गयी थी। परन्तु बाद में  सेक्टोरल प्लान से गाँव के चारों ओर की ग्रीन बेल्ट को हटा दिया गया है। जिससे वो अपने गाँव के भविष्य के लिए कतई संतोषजनक स्तिथि में नहीं है कि किस प्रकार गाँव के असल निवासियों के आबादी क्षेत्र का विकास किया जाएगा।

देश की राजधानी के आगे सरपंचों का योगदान।

गुड़गाँव जिला के अंतर्गत आने वाले गाँव पटोदा की सरपंच श्रीमती रीना देवी जो आजकल स्वामित्व योजना को जमीनी स्तर पर लाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत गाँव के आबादी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को उनकी लाल डोरा जमीन का मालिकाना हक दिया जाना है। जिससे सभी के पास उनकी जमीन के कानूनी दस्तावेज होंगे। शादी-ब्याह का किसी भी आपातकालीन स्तिथि में लोग अपनी जमीन बेच सकते हैं या संगठित क्षेत्र से लोन की सुविधा का फायदा ले सकते हैं।

सबसे पहले ड्रोन सर्वे किया जाना है। जो हमारे गाँव में कभी भी हो सकता है। इसके लिए हम काफी समय से प्रशासन से बातचीत कर रहे हैं। ड्रोन से तैयार होने के बाद सर्वे को नक़्शे में उतारा जाना है। विवाद वाली जगह का उचित समाधान किया जाना है। विवाद के क्षेत्र हम पहले ही चिन्हित कर चुके हैं। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं की विवाद का निपटान पहले ही कर लिया जाए। जिससे बाद में समय ख़राब न हो एवं जल्द से जल्द हम इस योजना की सभी पात्रताएं पूरी कर लें। सरपंच ने बताया कि अगले कुछ एक महीनो में लोगों को मालिकाना हक दिलाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। तो दूसरी ओर  गाँव में काफी सारा हिस्सा नए लाल डोरे का है। तो उनके कागजात सबके पास है ही और वो क्षेत्र विवादों से भी दूर है। परन्तु वो आबादी क्षेत्र से जुडी इस विकास योजना से काफी खुश हैं।

ऊपर दिए गये 2 उदाहरण म्युनिसिपल कारपोरेशन एवं सम्बंधित विभाग के हैं। जो देश की राजधानी में विकास के वो कार्य इतनी सटीकता से नहीं करा सके जो दूर दराज की ग्राम पंचायत भी आसानी से कर पा रही है  

 

 

 

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