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जातिवाद का सबसे बड़ा अपराधी “ठाकुर गैंग”- हाथरस

मैं चाहती हूँ मेरी मरी हुई बेटी को घर तक लाया जाए। हम उसको हिन्दू रीतिरिवाजों से विदा करेंगे। हम उसको हल्दी लगाते। हम अपनी बिटिया को आखिरी बार विदा करते।

यह ज़ुबान उस माँ कि है जिसने अपनी लाडली को चूर चूर होते देखा। अपनी 19 वर्षीय बेटी को मरते देखा। एक ज्योति(निर्भया) थी और एक मनीषा। आठ साल में न जाने कितनी ही मासूम कलियाँ ऐसी तबाह हुईं जिन्होंने अभी खिलना भी नहीं सीखा था। इंसान ने इंसानियत को ख़त्म कर दिया है। सारी हदें पार कर दी हैं।यह वास्तव में बहुत तकलीफ भरी बात साबित हो रही है।

यह साल न जाने किस काल के तहत आया है। पूरा विश्व महामारी की मार झेल रहा है। लोग सोच रहे हैं मुसीबतों की बाढ़ से कैसे निकला जाए। वहीं दूसरी ओर कुछ जानवरों को। जिन्होंने इंसानी रूप धारण किया हुआ है। उनको फुर्सत नहीं हवस की भूख मिटाने से। 14 दिसंबर 2020 को हाथरस की मनीषा के साथ ऐसी हैवानियत की गई जिससे देश के मानव रूपी लोगों के दिलों को हिला कर रख दिया। लड़की के मरने के बाद भी उसके शरीर के साथ सियासत के गन्दे लोगों ने बेकद्री की।

उत्तर प्रदेश में इस समय गुंडाराज का बोलबाला बहुत बढ़ गया है। वहाँ पर अब सीधे तौर पर लोग सामने आ गए हैं। क़त्ल को आत्महत्या बनाया जा रहा है, बलात्कार को ऑनर किलिंग का केस बताया जा रहा है। कितनी शर्मनाक बात है। हाथरस में हुई घटना को वहाँ की सरकार बलात्कार के नाम से खारिज़ कर चुकी है और ऑनर किलिंग का केस बनाया जा रहा है। अपराधी लोग ठाकुर समुदाय से सम्बंधित हैं और लड़की दलित थी। ऐसे में आरोप लगाया जा रहा है कि लड़की का उन्हीं चार में से किसी एक के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था। तो यह बात दोनों के परिवार को पता लगी। जिसमें दोनों परिवारों में झगड़ा हुआ। इसी बीच लड़की के घर वालों ने लड़की को जान से मार दिया। शर्म करो, उत्तर प्रदेश की सरकार। कुछ तो रहम का सिला बरतो। योगी आदित्यनाथ जी को न तो विवाह नसीब हुआ और न ही बच्चों का सुख। तो शायद उनको इस बात का अंदेशा भी नहीं होगा कि बच्चे माँ बाप की ज़िन्दगी में कितनी अहमियत रखते हैं। उसको मार कर आप अपने ठाकुर होने जो कैश करा रहे हैं। आप क्या जाने बेटी को खोने का दर्द।

राजनीतिक नज़रिया।

बात अगर ग्राउंड लेवल की करें तो देखते हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अस्पताल में पीड़िता का लगभग 2 हफ्ते तक इलाज चला। उस अस्पताल की रिपोर्ट में साफतौर पर इस केस में साबित किया गया है कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ है। मगर सरकार लीपापोती कर रही है और अपराधियों को बचा रही है। सरकार केवल बलात्कार ही को नहीं बल्कि हत्या को भी नकार रही है। ये तो सरेआम सरकार खुद अपराध की श्रेणी में दाखिल हो रही है। राजनीति हस्तक्षेप की वजह से पीड़िता के भाई और माँ के ऊपर आरोप मढ़े जा रहे हैं। घिनौनी राजनीति यहाँ भी अपने पांव पसार रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जहाँ जातिवाद के शिकार हैं, वहीं वो मनुवादी विचारधारा का भी सपोर्ट करते हैं। कुछ समय पहले उन्होंने अपनी साइट पर साफ तौर पर लिखा था। वह मनुवादी विचारधारा की बहुत इज़्ज़त करते हैं।

दलित भावनाओं की धज्जियाँ उड़ाता प्रशासन।

दलित समुदाय के रोहित वेमुला की माँ हों या बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख नेता के लिए ऐसे अपशब्दों का उपयोग किया गया जो बेहद गन्दे थे। जिसके लिए बाद में संसद में उसके लिए माफी भी माँगी गई। वहीं जिस नेता ने यह ओछी हरकत की थी उसको भाजपा में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान पर नियुक्त किया गया और साथ के साथ उसकी पत्नी को भी राजनीति के क्षेत्र में अच्छी उपाधि पर नियुक्त किया। दलितों समुदाय की महिलाओं को कई दशकों से इसी नज़रिए से देखा जा रहा है जैसे उनके शरीर का कोई मोल नहीं, उनकी अपनी कोई गरिमा नहीं। ब्राह्मणवादी विचारधारा रखने वाले लोग उनको शायद वैश्याओं से भी अधिक इस्तेमाल करने की सोचते हैं।

ठाकुर गैंग कि दबंगई।

हाथरस के भूलगढ़ी नामक गाँव में वाल्मीकि समुदाय के कुल चार घर हैं। बाकी ठाकुरों की टोली है। दलितों के साथ अत्याचार करना तो उच्च जाति के लोग कई दशकों से करते आ रहे हैं। यह एक कड़वा सच है कि हाथरस के ठाकुरों के साथ पूरी तरह से प्रशासन खड़ा है। योगी सरकार का पूरा सुपोर्ट ठाकुरों के साथ है। वहीं ठाकुर गैंग के लोग मीडिया कर्मियों से भी खासे खफा दिखाई दिए। यदि कोई मीडिया से गाँव के भीतर जाने की कोशिश करता तो उसकी शिकायत पुलिस में कर देते। वैसे भी उत्तर प्रदेश की पुलिस ने मानवता को पैसों के एवज में बेच दिया है और बदले में दानवता हासिल की।

बलात्कर तो हुआ है। इसमें कोई शक नहीं। अब सरकार कितना ही इस बात पर चादर डाल लें। जो हकीकत है वो तो वो ही रहेगी।

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