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भारत अभी तक इतना पिछड़ा क्यों?

आज में कुछ ऐसे तथ्य सामने रखूंगा, जिससे शायद ये अंदाजा लगाना गलत नहीं होगा कि भारत अभी तक इतना पिछड़ा क्यों है? अगर किसी देश की तरक्की या उसके पिछड़ेपन के बारे में बात की जाए तो कौन सी बातें सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हो सकती है। देखा जाए तो जिस देश में लोगों के पास भरपेट भोजन की सुविधा हो और एक अच्छी विचारधारा ही एक उन्नत देश का भविष्य निर्धारित करती है।

वैसे तो हमें आज़ाद हुए सत्तर वर्षों सेे अधिक हो चुका है, पर हमारी मानसिकता अभी भी ज्यों की त्यों है। इन ७० वर्षों में लगभग देश की ७० फीसदी आबादी को सही और पोस्टिक भोजन भी भर पेट नहीं मिल पाता है ७० फीसदी लोग गरीबी के स्तर में आते है। शिक्षा एक ऐसा दीपक है जिसकी जलती लों सारे अज्ञान के अन्धकार को जीवन से मिटा सकती है, लेकिन वो भी कहीं इस देश में सिमट के रह गई है।

Picture Curtey – The Hindu

मै उस ज्ञान की बात नहीं कर रहा हूं, जो की आपके लिए बस कुछ कक्षाओं के नंबर है या कुछ डिग्रियां या किसी विशेष विषय की एक सीमित जानकारी। ज्ञान वो है जो हमें विवेकशील बनता है, सही और ग़लत का फर्क करना और धर्म अधर्म में चुनाव करना सिखाता है जो कि किसी भी देश की उन्नति के लिए सर्वोपरि है, और इसी ज्ञान के अभाव में ही हम समय समय पर राज करने आए राजाओं और सरकारों के हांथ की कठपुतली बनते रहे, और अभी भी बन रहे है।

ज़रा सोचिए देश को सबसे ज्यादा किस वस्तु की आव्यशकता हैं। एक समृद्ध देश के लिए क्या जरूरी है, मंगल पर पहुंचना या अपने घर में रहने वालों अपने बच्चों और प्रिजा की जरूरत को पूरा करना। मैं इन सब बातों के ख़िलाफ़ नहीं हूं लेकिन बात इतनी है कि जरूरत किस बात की है और वही सरकार को समझना ज़रूरी है, और हमें भी समझना ज़रूरी है, क्योंकि जब तक हम ख़ुद नहीं समझेंगे, तब तक इशारों पर नचाने वाले तो नचाते ही रहेंगे।

इस देश को ऐसा बनने मत दीजिए, जहां शिक्षा नहीं, नारों का चलन हो। जहां १३५ करोड़ मस्तिष्क तो है, पर विवेक किसी पर ना हो, जिनका शरीर तो ख़ुद का हो, पर नियंत्रण किसी और का हो। अभी तक जितनी भी सरकारें आयी, उन्होंने सिर्फ एक ही काम किया है, लोगों की शिक्षित करने का दिखावा करने का। क्यूंकि वो भी जानते है कि शिक्षित और ज्ञानी व्यक्ति कभी भी बहकावे में नहीं आएगा, तो उन्होंने शिक्षित ही नहीं होने दिया, सिर्फ लालच दिया कभी पैसों का, कभी अधिकारों का, कभी जाति, धर्म के नाम पर आरक्षण तो कभी दंगे फर्साद। लेकिन किसी ने सोचा आखिर परेशान कौन है, मर कौन रहा है, बर्बाद कौन हो रहा है, भूूूूखे पेट कौन सो रहा है, घर किसका उजड़ रहा है।

तो अभी वक़्त है जाग जाइए, शिक्षा के महत्व को समझें कुरीतियों को मस्तिष्क से दूर कीजिए, राम और रहीम को घर के मंदिर और इबादत में ही रखें, उनको कट्टरवादियों की तुच्छ मानसिकता का शिकार ना होने दे। जो आप नहीं कर सकते उस बारे में मत सोचिए, लेकिन जो भविष्य को बेहतर बनाने के लिए कर सकते है वो ज़रूर कीजिए। शायद आने वाली पीढ़ियों को शिक्षा, प्रेम, संतोष और त्याग, समर्पण की भावनाओं का ज्ञान तो ज़रूर देकर जाए। नहीं तो वो भी नेताओं और धर्म के ठेकेदारों की कठपुतली ही बन कर रह जाएंगे।
धन्यवाद…

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