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संयुक्त राष्ट्र धोखेबाज़ :खैरलांजी,ऊना,भीमा और अब हाथरस। गांधी ने दलितों को धोखा दिया।

संयुक्त राष्ट्र मेरे हिसाब से सबसे धोखेबाज़ संगठन साबित हुआ हैं। आज तक इस संगठन ने बड़ी बड़ी हाँकि हैं लेकिन ठोस कोई कदम नहीं उठाया  है। संयुक्त राष्ट्र का गठन इसी लिए हुआ था कोई देश हिटलर के कदमों पर ना कहल और मानवाधिकारों को बचाया जा सके।
लेकिन संयुक्त राष्ट्र का डर कभी किसी को नहीं रहा ,उदहारण के तौर पर गद्दाफी ,सद्दाम हुसैन ,परवेज मुशर्रफ़,किम जोंग,सी जिनपिंग ,नरेंद्र मोदी ,ट्रम्प आदि के नाम शामिल हैं जो आये दिन नरसंहार करते रहते हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र इसको रोकने में विफल रहा है। WHO ,United Nations for Human , general assembly आदि संगठन सिर्फ नाम के हैं लेकिन ठोस कोई कदम नहीं उठाते।

संयुक्त राष्ट्र में सिर्फ मज़बूत देशों की हुकूमत चलाती हैं ,अमेरिका,रूस जैसे संगठनो ने उस पर कब्ज़ा जमा रखा हैं और यह न्याय के प्रति समर्पित ना होकर बल्कि मानव नरसंहार रवैया अपनाया जाता है। बात करते हैं इस्लामिक आतंक को ख़तम करने की लेकिन ब्राह्मणवाद जैसे आतंक जो पल पल नरसंहार और दलितों पर अत्याचार करते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने दलितों के हित में कोई ठोस कदम कभी नहीं उठाये।
अंतराष्ट्रीय न्यायलय भी भ्रष्ट है और कोई ठोस कदम नहीं उठता। खैरलांजी हत्याकांड ,ऊना,भीमा कोरेगाव ,हाथरस हत्याकांड आदि न जाने कितने हत्याकांड हैं जहाँ आये दिन दलितों की नृशंस हत्याएं होती हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र सिर्फ दोगलेबाज़ी में सफल रहा न ही कोई ठोस कदम उठाया।
भारत जैसे खूबसूरत देश में किस तरह आये दिन दलितों की बहिन बेटियों के बालात्कार ब्राह्मणो ,ठाकुरों द्वारा किये जाते हैं और इसके खिलाफ न जानें कितनी बार शिकायत दर्ज़ की गयी हैं लेकिन आज तक संयुक्त राष्ट्र ने एक बार भी किसी डेलिगेशन लाकर नहीं देखा। संयुक्त राष्ट्र में बैठे ब्राह्मणवादी लोग इसको अंदरूनी मामला बोलकर पल्ला झाड़ लेते हैं। संयुक्त राष्ट्र की ज़िमेदारी हैं के दलित ,आदिवासी समाज का एक प्रतिनिधि जो उन्ही के बीच से निकला हुआ हो उसको संयुक्त राष्ट्र में जगह मिले जिससे अछूतों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की सारी रिपोर्ट उन तक पहुँचे लेकिन ब्राह्मणवाद का कब्ज़ा ऐसा जमा हुआ है जिसका संयुक्त राष्ट्र आज तक संज्ञान नहीं लिया, अगर संज्ञान लिया होता तो कश्मीर को एक साल होने पर आये लेकिन आज तक वहां क्या हो रहा है किसी को इसका अंदाजा नहीं है। संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीरियों के साथ नहीं धोखा किया।
कल की बात हैं हाथरस में दलित बेटी के साथ बर्बरतापूर्ण तरीके से बालत्कार किया और उस्सकी गर्दन और रीढ़ की हड्डी तक तोड़ दी।
14 दिनों तक वह दर्द तक कराहती रही लेकिन उसका इलाज तक नहीं मिलाऔर उसके मर जाने के बाद बिना परिवारजनों के बिना पुलिसवालों ने उसकी पार्थिव शरीर को जला दिया। दलित होने की कीमत इस देश में कैसे चुकानी होती है इसका अंदाजा इस घटना से लगया जा सकता है। भारत में पुलिस व्यवस्था नये व्यवस्था बनाये रखने के लिए नहीं बल्कि जाति व्यवस्था बनाये रखने के लिए राखी गयी है।
यहाँ कसम तो संविधान की खायी जाति हैं लेकिन काम मनुस्मिर्ति के हिसाब से किया जाता है। यहाँ गैर ब्राह्मण रोज़ दलितों की बहिन बेटियों का बालत्कार करता है और पुलिस व्यवस्था उसको बचाने के लिए बैठी है। खैरलांजी में भी ऐसे ही साठ से लेकर सत्तर आदमियों ने महिला और उसकी बेटी का बालात्कार किया और उनकी नृसंस हत्या कर दी और उसके बाद न्यायलाय ने सिर्फ चंद लोगों को सजा दिलाई और बाकी लोग खुले घूम रहे है। रिजर्वेशन को दिमाग में रखकर घृणित मानसिकता से उनको मौत के घात उतार दिया जाता है लेकिन ब्राह्मणवाद में पाले परजीवी कीड़े जीवन भर निचले वर्गों का शोषण करते है। और आये दिन नरसंहार करते है।

सचमुच महात्मा गांधी ने दलितों को धोखा दिया।

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