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‘स्काइप पर दिलवाले: कोरोना कलेश से हम ऐसे निपटे’

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ऑनलाइन प्यार और लॉकडाउन

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लॉकडाउन के दौरान स्काइप ने हम दोनों के प्यार को गले लगाया।

करन और मैं एक ही ऑफिस में काम करते थे। वह अक्सर मुझे घर छोड़ने और लेने आता था। रास्ते में हम खूब बातें करते थे। कभी काम के बारे में, कभी ऑफिस के बारे में तो कभी इधर-उधर की बातें।

हम रिलेशनशिप में हैं और हमें एक दूसरे के साथ टाइम बिताना अच्छा लगता है। इतना कि मैं ऑफिस के बाद करन के घर पर डिनर करने जाया करती थी और फिर देर रात तक अपने घर लौटती थी।

हमारे फ्रेंड्स अक्सर हमें यह चिढ़ाते थे कि अब हम दोनों को साथ रहना चाहिए। मेरी तरह करन भी अपने फ्लैटमेट के साथ रहता था। सच कहूं तो मैं भी उसके साथ रहने के लिए काफी एक्साइटेड थी। लेकिन मैंने उससे थोड़ा और समय मांगा था। करन ने कहा कि वह मेरे डिसीजन का इंतज़ार करेगा।

“मंडे ब्लूज” की शुरुआत

संडे की शाम एचआर मैनेजर का मैसेज मिला कि ऑफिस की बिल्डिंग बंद हो गई है। हमें मार्च के अंत तक घर से काम करना है। कोरोना वायरस के कारण हर जगह लॉक डाउन हो गया था।

स्कूल और कॉलेज भी बंद हो गए थे। दिल्ली एनसीआर में शायद ही पहले कभी इस तरह का बंद हुआ हो। मुझे ऑफिस से अपना कुछ सामान लेने जाना पड़ा। जब मैं कैब से उतरी तो मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है। साइबर सिटी, जहां मेरा ऑफिस है, संडे की शाम पूरी तरह से सुनसान नजर आ रहा था। साइबर हब, जहां कि हम रोज पार्किंग के लिए मारामारी करते थे, आज एकदम खाली था।

मैंने सोचा कि करन को कॉल करूं और घर में पैक होने से पहले आखिरी बार उससे मिल लूं। लेकिन करन काफी दूर रहता था और मैं उसे परेशान नहीं करना चाहती थी। उस समय मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं करन को गुडबॉय बोले बिना ही उससे दूर जा रही हूं।

मैंने उसे फोन किया और कुछ दिनों के लिए ग्रॉसरी का सामान लेकर घर में रखने के लिए कहा। मैंने अपने लिए भी कुछ ऑर्डर किया।

तब तक सब ठीक था

सोमवार की सुबह काफी खुशनुमा थी। हालांकि, मैं करन को मिस कर रही थी। लेकिन मुझे घर पर रहना अच्छा लग रहा था। ऑफिस जाने, लंच पैक करने या मेट्रो में सफर करने का कोई झंझट नहीं। जब मैंने अपने पायजामे में लैपटॉप पर काम करना शुरू किया तो सब कुछ अच्छा लगने लगा।

दो दिन ही बीते कि मुझे करन की बहुत याद आने लगी। हम दोनों व्हाट्सएप पर चैट करते और कई बार एक दूसरे से फोन पर भी बातें करते थे लेकिन इतने भर से तसल्ली नहीं मिल पा रही थी। दिन गुज़रने के साथ करन का फोन आना भी कम होने लगा।

सबसे खराब तब लगा जब दो दिन बाद वह अपने घर जयपुर चला गया। वहां से वह हर समय मुझसे बात नहीं कर पाता था। मेरे मम्मी-पापा ने मुझे बैंगलोर आने के लिए मना कर दिया क्योंकि फ्लाइट में भी कोरोना वायरस के इंफेक्शन होने का डर था। इसलिए मैं अपने फ्लैट में ही रुक गई।

लाइफ काफी बोरिंग हो गई थी और हमारे पास बात करने के लिए भी कुछ ख़ास नहीं था। हम दोनों भी काफ़ी फ्रस्ट्रेट हो चुके थे और अक्सर छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से लड़ जाया करते थे। सिर्फ एक हफ्ते एक दूसरे से दूर रहना हम दोनों पर भारी पड़ रहा था।

सेनोरिटा! मेरे लिए ये बस नाम नहीं था।

उस रात मैं करन से गुस्सा थी इसलिए मैंने उसे फोन नहीं किया।

रात के 12 बजे, मुझे उसका मैसेज मिला। बड़े बड़े शहरों में ये छोटी छोटी बातें होती रहती हैं। सेनोरिटा!  गुस्सा मत करो। मैं ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ देख रहा हूँ। साथ में देखें?

मैं उससे लड़ते लड़ते थक चुकी थी। इसलिए मैंने उसे रिप्लाई किया, ‘ठीक है।’

उसने मुझे ऑनलाइन मूवी देखने के लिए एक लिंक भेजा और स्काइप पर आने के लिए कहा। हम दोनों ने एक दूसरे से बातें नहीं की लेकिन साथ मूवी देखने लगे। फिल्म में जब शाहरुख खान काजोल को फर्श पर गिराता है तो यह सीन देखकर मुझे बहुत हंसी आयी।

‘तुम्हें हंसता हुआ देखकर अच्छा लगता है। हंसती रहा करो खड़ूस,’ करन ने वीडियो कॉल पर कहा।

मैं अभी भी उससे गुस्सा थी इसलिए मैंने ज़्यादा कुछ नहीं बोला और बस मुस्कुरा दी।

फिल्म में जब भी सेनोरिटा वाला डॉयलॉग आता, करन उसे ज़रूर दोहराता था। मुझे भी मज़ा आ रहा था। अंत में, हम दोनों एक साथ चिल्लाए, जा सिमरन जा … जी ले अपनी ज़िंदगी’और साथ में हंस पड़े।

इतने दिनों में पहली बार मैंने करन को करीब से महसूस किया।

हंसना और रोना साथ-साथ

कल रात हमने अपने लैपटॉप पर ‘कुछ कुछ होता है’ देखी। जब राहुल अंजली से कहता है कि वह टीना से प्यार करता है। तब करन को मैंने रोते हुए देखा। उसे इमोशनल देखकर मैंने उसे हंसाने के लिए वेबकैम के सामने फनी फेस बनाया।

यही वो पल था जब मुझे फिर से उससे प्यार हो गया। मुझे नहीं मालूम था कि वह इतना सेंसेटिव और इमोशनल है। उस वक्त मैं उसे कस कर गले लगाना चाहती थी। मैंने उससे कहा कि कोरोना का डर खत्म हो जाए तो मैं तुम्हारे साथ रहने के लिए तैयार हूँ।

अरे वाह! तुम्हारा मतलब अब हम साथ में रहेंगे! ’उसने उत्साहित होकर पूछा।

‘हाँ, लेकिन रेंट शेयर करुंगी, चिंता मत करो!” मैंने कहा और हम दोनों हंस पड़े। मेरे दिमाग में अभी यह चल रहा है कि आज रात हमें कौन सी मूवी देखनी है।

साक्षी ने लव मैटर्स इंडिया से अपनी कहानी शेयर की।

25 साल की साक्षी गुड़गांव में एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं।

 

विनायना द्वारा लिखा गया।

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