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क्या अंतरिक्ष में महिलाओं का पीरियड्स पृथ्वी की तरह सामान्य होता है?

धरती पर मासिक धर्म की बात और उससे जुड़ी हुई समस्याओं को तो हम सभी जानते हैं। अजीबो-गरीब प्रथाएं और महिलाओं का शोषण, भेदभाव आदि। क्या हमने कभी सोचा है कि धरती से हटकर अंतरिक्ष पर जाने वाली महिलाओं को माहवारी के समय परेशानियों से जूझना पड़ता होगा या नहीं?

वहां गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होता, ऐसे में कई सारे सवाल तो दिमाग में आते ही होंगे। महिलाओं को पैड बदलने में समस्या होती होंगी। अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में शरीर के बहुत सारे बदलाव से गुज़रना पड़ता है। चाहे स्त्री हो या पुरुष।

हमारे शरीर के ढांचे को वहां का वातावरण प्रभावित करता है और साथ ही साथ हमारा कार्डियोवस्कुलर सिस्टम भी सुस्त पड़ जाता है। अंतरिक्ष में जाने से पहले बहुत सारे तथ्यों को ध्यान में रखना पड़ता है कि हम अपने शरीर को कैसे नियंत्रित करेंगे।

इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसान का शारीरिक तंत्र पूरी तरह से बदलता है। सिवाए महिलाओं की माहवारी के।यह आश्चर्यजनक है कि महिलाओं का फ्लो वापस यूट्रस की तरफ नहीं जाता है, बल्कि जैसे धरती पर उनके खून का फ्लो होता है वैसे ही अंतरिक्ष में भी होता है।

कई वैज्ञानिकों ने शोध भी किया। कईयों का मत था कि महावारी के दौरान अंतरिक्ष में महिलाओं को परेशानी हो सकती है मगर मौजूद शोध इस बात को पूरी तरह से नकारते हैं। अंतरिक्ष में महिलाओं के पीरियड्स बिल्कुल सामान्य हैं जैसे पृथ्वी पर!

अमेरिकी महिला एस्ट्रोनॉट सैली राइड जब अपनी पहली यात्रा करने वाली थीं, तो उनसे सबसे पहले प्रेस के द्वारा यही सवाल किया गया था कि यदि आपको यात्रा के दौरान मासिक धर्म का चक्र शुरू हो गया तो? इस पर उन्होंने 2010 में प्रेस कॉन्फ्रेंस में यही जवाब दिया कि पीरियड्स की स्थिति बिल्कुल वैसी ही होती है जैसे धरती पर।

अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान हमारी नसों के खून में बदलाव आ जाते हैं मगर जो हॉर्मोनल बदलाव से होने वाला रक्त स्राव यानि कि पीरियड्स, किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होते हैं। अंतरिक्ष में महिलाएं पीरियड्स के दौरान इससे निपटने के लिए सैनिटरी पैड्स या टैम्पोन्स की मदद लेती हैं।

टैम्पोन्स पीरियड्स के समय होने वाले डिस्चार्ज को सोखने का काम करता है। वैसे यह पूरी तरह से महिलाओं की च्‍वॉइस होती है कि उन्हें किस तरह स्‍पेस में अपने पीरियड को मैनेज करना है। अंत में  यही बात समझ में आती है कि प्राकृतिक प्रक्रिया विज्ञान के कई आयामों से काफी आगे निकल जाती है। समाज को कब यह बात समझ में आएगी इसका कोई अंदाज़ा नहीं।

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