हम युवा पीढ़ी बेरोज़गारी की उस महामारी को देख रहे हैं, जिसमें सरकार सरकारी नौकरी में मानदेय बढ़ाने की बात करती है लेकिन बेरोज़गारों को रोज़गार देने की नहीं।
हमारे गाँव, समाज के युवाओं को बेहतर शिक्षा हासिल करने के बाद भी निजी कंपनियों में मजबूरन 10 से 5 हज़ार की नौकरी करनी पड़ रही है। सरकार जब चुनाव आता है, तो असफलता छुपाने के लिए नए-नए झांसे और दिलासे देती है। सरकार से हम युवा पीढ़ी की मांग है कि नौकरी में मानदेय ज़रूर बढ़ाइए लेकिन पहले रोज़गार मुहैया करवाइए।