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“क्या दिल्ली पुलिस ने नज़ीब को ढूंढने की कोशिश करने की बजाय अपराधियों को संरक्षण दिया?”

कल यानि कि 15 अक्टूबर को जेएनयू के छात्र नज़ीब अहमद को गायब हुए 4 साल हो गए। देश की टॉप 10 यूनिवर्सिटी से एक होनहार छात्र को एबीवीपी के गुंडे मारपीट कर गायब कर देते हैं लेकिन दिल्ली पुलिस आज तक पता नही लगा पाई कि नज़ीब कहा और किस हाल में है।

जेएनयू से लापता छात्र नजीब अहमद की माँ फ़ातिमा नफीस रोती बिलखती हुई।

मेरे साथ खड़ी नज़ीब की अम्मी फातिमा नफीस के अथक संघर्ष की शुरुआत 15 अक्टूबर 2016 से हुई जब उनके बेटे को लापता कर दिया गया। फ़ातिमा नफीस ने अपने बेटे को पाने के लिए दिल्ली पुलिस के दफ्तरों के चक्कर लगाए, दिल्ली की कोई सड़क ऐसी नही छोड़ी जहां अपने बेटे को पाने और न्याय मांगने के लिए प्रोटेस्ट ना किया हो।

फ़ातिमा नफीस ने पुलिस की गालियां, लाठियां तक खाईं और पुलिस का ज़ुल्म का डटकर सामना इसलिए किया ताकि उनका बेटा उन्हें मिल जाए।

नजीब अहमद की माँ फ़ातिमा नफ़ीस जंतर मंतर पर बेटे के लिए प्रोटेस्ट के दौरान।

नजीब का मामला दिल्ली हाइकोर्ट पहुंचा, न्याय की उम्मीद जगी लेकिन हाइकोर्ट से भी न्याय की जगह सीबीआई ही मिल सकी. 16 मई 2018 को सीबीआई ने नज़ीब अहमद की तलाश के लिए जांच अपने हाथ मे ली लेकिन सीबीआई ने खानापूर्ति के बाद 15 अक्टूबर 2018 को दिल्ली हाइकोर्ट में जांच पर क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर नज़ीब अहमद के केस को बंद कर दिया।

सीबीआई ने केस को तो बंद कर दिया मगर फ़ातिमा नफीस की अपने बेटे की लौट आने व पाने की उम्मीदों को बंद नही कर सकी।

अपने बेटे के लिए छात्रों के साथ प्रोटेस्ट करती फ़ातिमा नफ़ीस।

फ़ातिमा नफीस आज भी अपने बेटे की चाहत में ज़िंदा है। आज नज़ीब अहमद को गायब हुए 4 वर्ष हो चुके हैं, नज़ीब की अम्मी फ़ातिमा ने वीडियो संदेश जारी कर ऑनलाइन प्रोटेस्ट करने की अपील करते हुए कहा है।

आज मेरे बेटे को गायब हुए 4 साल हो चुके हैं लेकिन दिल्ली पुलिस और सीबीआई ने मेरे बेटे के केस में नंगा नाच किया है, तमाम गवाह और सबूत होने के बाद भी आज भी आरोपियों को पुलिस ने खुला छोड़ रखा है उन्हें गिरफ्तार कर जेल तक नही भेजा है. आपसे अपील है कि मेरे बेटे और मुझे इंसाफ दिलाने के लिए ऑनलाइन प्रोटेस्ट करें।

12 अक्टूबर 2019 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भतीजी दमयंती मोदी का पर्स ले उड़े चोरों को दिल्ली पुलिस ने महज़ एक दिन में ही गिरफ्तार कर लिया और गिरफ्तार भी हरियाणा के सोनीपत से किया मगर नजीब अहमद को गायब करने वाले आरोपियों को आज तक गिरफ्तार नही कर सकी।

यदि देखा जाए तो दिल्ली पुलिस ने नज़ीब अहमद को ढूंढने की कोशिश करने की बजाय अपराधियों को संरक्षण दिया और सरकार के दबाव में काम किया। यदि आरोपी सत्ता के नज़दीक रहते हैं तो पीड़ित गरीब व्यक्ति को न्याय की उम्मीद रखना ज़ुर्म जैसा लगता है।

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