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तम्बाकू का मार्केटिंग व उपयोग, कोविड-19 की रोकथाम में प्रमुख बाधा

भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सदस्य देशों के साथ की गई अंतरराष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण संधि (WHO Framework Convention on Tobacco Control) से प्रतिबद्ध देश है।

21 मई 2003 को वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में WHO-FCTC को स्वीकार करने से पूर्व भारत सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए देश में तंबाकू के बढ़ते उपयोग से होने वाले दुष्प्रभाव को रोकने के लिए 18 मई 2003 को विस्तृत तंबाकू नियंत्रण कानून 2003 (सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद विज्ञापन का प्रतिशेध और व्यापार तथा वाणित्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम 2003 (कोटपा 2003) को पारित किया।

इसमें WHO FCTC में सुझाए गए सभी प्रावधनों को शामिल किया गया है। कोटपा उन सभी उत्पादों पर लागू होता है, जिनमें किसी भी रूप में तंबाकू है। जैसे- सिगरेट, सिगार, चेरूट, बीड़ी, गुटखा, पान-मसाला, खैनी, मावा, मिसरी, सुंघनी इत्यादि।

तंबाकू नियंत्रण कानून के अंतर्गत आने वाली धाराएं

भारतीय तंबाकू नियंत्रण कानून 2003 के अंतगर्त तम्बाकू आपदा को रोकने के लिए निम्नलिखित मुख्य धाराए बनाई गई-

सार्वजनिक स्थानों पर थूकना प्रतिबंधित होना चाहिए

दिनांक 1 मई, 2020 को गृह मंत्रालय भारत सरकार के आदेश-कोविड-19 प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय निर्देश में व्यक्त किया गया है कि पान, गुटखा और तंबाकू खाने और उसे खाकर थूकने की अनुमति नहीं दी जाएगी। धुआं रहित तंबाकू, पान-मसाला और इसी तरह के अन्य उत्पादों के प्रयोग से कैंसर, हृदय रोग और अन्य गैर-संक्रामक रोग होते हैं।

इसके अतिरिक्त धुआं रहित तंबाकू, पान-मसाला और इसी तरह के अन्य उत्पादों को खाकर सार्वजनिक स्थान पर थूकने से खतरनाक रोग, जैसे- ट्यूबरकुलोसिस, हेपटाइटिस, इन्फ्लुएंजा, स्वाइन फ्लू, निमोनिया, जठरांत्र रोग, कोरोना वायरस (कोविड-19) और अन्य संक्रामक रोग फैलते हैं।

इनसे बहुत बड़ी संख्या में जानें जाती हैं। अतः यह भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 268, 269 और 270 के तहत दंडनीय अपराध है। पान-मसाला, गुटखा और अन्य तंबाकू उत्पाद थूकने को प्रेरित करते हैं, इसलिए हमें इन हानिकारक उत्पादों के व्यापार को रोकना आवश्यक है।

कोविड-19 महामारी के समय उत्तर प्रदेश में तम्बाकू, पान-मसाला उत्पादों का उपयोग व प्रचार प्रसार- जैसा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने महामारी रोग अधिनियम की धारा-2 के तहत उत्तर प्रदेश महामारी रोग कोविड-19 खतरनाक महामारी रोगों की रोकथाम के लिए विनियम तैयार किए हैं।

जबकि कोरोना वायरस (कोविड-19) और अन्य खतरनाक संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए जन-स्वास्थ्य के हित में धुआं रहित तंबाकू, पान मसाला और इसी तरह के अन्य उत्पाद जिन्हें खाकर लोग जगह-जगह पर थूकते हैं, का प्रयोग महामारी रोग अधिनियम 1897 की धारा-2 के तहत उत्तर प्रदेश में निषेध है।

कोरोना काल में गुटखा और तंबाकू थूकने से महामारी और भी अधिक फैल सकती है

लाॅकडाउन के समय ही खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश में तम्बाकू उत्पाद, पान मसाला और गुटखा बनाने उसके वितरण करने और उसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह आदेश जारी करते वक्त कहा गया कि पान मसाला खाकर थूकने और पान मसाले के पाउच के उपयोग से भी कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका रहती है।

साथ ही कोविड-19 के संक्रमण के खतरों को देखते हुए सार्वजनिक स्थानों पर थूकना पहले ही प्रतिबन्धित किया गया है। पूर्व में भी माननीय मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश द्वारा सरकारी कार्यालयों में तम्बाकू व पान मसाला के सेवन को रोकने सम्बन्धी निर्देश दिए गये हैं। 

दिनांक 12 अक्टूबर 2018 को  मुख्य सचिव महोदय, उत्तर प्रदेश द्वारा जारी दिशानिर्देशों में भी सरकारी प्रतिष्ठानों, कार्यालयों, चिकित्सालयों के कैम्पस, व शौक्षणिक संस्थानों में पान मसाला/गुटखा आदि को प्रतिबंधित रखनेे सम्बन्धी आदेश है, तथा 03 मई 2020 को कोविड रोकथाम हेतु लाकडाउन सम्बन्धित जारी दिशा निर्देशों में भी तम्बाकू व पान मसाला के सेवन पर रोक लगाने सम्बन्धी निर्देश हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी ग्लोबल एडल्ट सर्वे 2017 के आंकडों के अनुरार उत्तर प्रदेश में लगभग 6 करोड़ लोग  तम्बाकू का सेवन करते हैं। पान, गुटखा, पान मसाला, तंबाकू जैसे नशीले पदार्थोे का उत्तर प्रदेश में न सिर्फ सेवन आम है बल्कि पान मसाला के उत्पादन में भी यह राज्य अग्रणी है।

लाॅकडाउन के समय दुकानें बंद रहने के कारण तम्बाकू उत्पादों के उपयोग में खासी कमी देखी गयी हालांकि कई स्थानों पर तम्बाकू उत्पादों की अवैध बिक्री व भंडारण के खिलाफ अधिकारियों द्वारा छापामारी, जप्ती सहित कानूनी कार्यवाही की गई।

बिक्री प्रतिबंध हटा लेने से महामारी का जोखिम कहीं ज़्यादा हो जाएगा

6 मई 2020 को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश में पान मसाला की विक्री से प्रतिबंध हटा लेने के बाद जैसे स्थिति बदल गयी। तम्बाकू कम्पनियों को जैसे पान मसाला की आड़ में तम्बाकू उत्पादों की बिक्री करने की आजादी मिल गयी और हर तरह के तम्बाकू उत्पादों से बाजार भर दिये गये।

कोटपा कानून की अवहेलना, नाबालिग बच्चों से व नाबालिग को तम्बाकू उत्पादों की बिक्री, तम्बाकू उत्पादों का प्रदर्शन, चाय, टॉफी, बिस्किट व अन्य खाने की वस्तुओं के साथ तम्बाकू उत्पादों की बिक्री जगह – जगह देखी जा सकती है। पान मसाला के साथ छोटी तम्बाकू की बिक्री खुलेआम होने से पान-तम्बाकू के सेवन के बाद लोग जगह -जगह थूक रहे हैं। जिससे कोविड 19 के संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है। पान मसाला के साथ छोटू तम्बाकू की बिक्री किया जाना 2016 में माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है।

उत्तर प्रदेश में तम्बाकू का विनिर्माण, विपणन, प्रचार-प्रसार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंध है

कोटपा कानून के तहत् किसी भी रूप में तंबाकू उत्पादों का विज्ञापन अर्थात् उत्पादों के ब्रांड नाम या ट्रेडमार्क के प्रचार प्रसार हेतु उनका उपयोग अन्य उत्पादों, सेवाओं और आयोजनों में विपणन नहीं किया जा सकता है। साथ ही फिल्म एवं टीवी जैसे माध्यमों पर तम्बाकू पदार्थो का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विज्ञापन नहीं किया जा सकता।

साथ ही साथ तंबाकू उत्पादकों द्वारा प्रायोजित अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के मीडिया कवरेज में किसी तंबाकू ब्रांड का नाम व लोगो दिखाना प्रतिबंधित है। तम्बाकू कंपनियां फिर भी किसी ना किसी रूप में लोगो को आकर्षित करने के लिए ऐसे लुभाने वाले कार्यक्रमों  या स्कीमों को शुरू करती रहती है जिससे जनता उनके उत्पादों की तरफ आकर्षित होती है।  

मौजूदा समय में पान मसाला और चबाने वाले तम्बाकू के विनिर्माण व्यापार, विक्रय व इस्तेमाल किये जाने से उत्तर प्रदेश में और पूरे देश में कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई को धक्का पहुँचेगा। कोविड-19 से ही नहीं बल्कि हमारे समाज में व्याप्त ट्युबरकुलोसिस, इन्फ्लुएंजा, ओरल एवं मुँह के कैंसर एवं अन्य खतरनाक बीमारियों से लाखों लोगों की जिंदगियों को खतरा उत्पन्न हो सकता है। 

उपरोक्त के आलोक में व्यापक जन-स्वास्थ्य के हित में राज्य में पान मसाला और धुआँरहित/ चबाने वाले तंबाकू के विनिर्माण व्यापार, विक्रय व इस्तेमाल को प्रतिबंधित करना समाचीन है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महामारी कोविड-19 को रोकने के व्यापक उपाय किये गये हैं। जैसा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने महामारी रोग अधिनियम की धारा 2 के तहत उत्तर प्रदेश महामारी रोग कोविड-19 खतरनाक महामारी रोगों की रोकथाम के लिए विनियम तैयार किये हैं।

इस सम्बन्ध में कोरोना वायरस (कोविड-19) और अन्य खतरनाक संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए, जन-स्वास्थ्य के हित में धुआँरहित तंबाकू, पान मसाला और इसी तरह के अन्य उत्पाद जिन्हें खाकर लोग जगह-जगह पर थूकते हैं का उत्तर प्रदेश में उत्पादन, विनिर्माण, आयात-निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण तथा विज्ञापन और प्रयोग को प्रतिबंधित करना हितकर है।

तम्बाकू नियंत्रण हेतु सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म

मौजूदा समय में कोविड 19 एवं तम्बाकू उत्पादों की रोकथाम के उद्देश्य से जो प्रयास किऐ जा रहे हैं उसकी कड़ी मे Tobacco Enforcement Reporting and Monitoring  (TERM) के रूप में सोशल मीडिया अभियान भी चलाया जा रहा है। जिसका उद्देश्य तंबाकू उद्योग की कार्य नीति और हस्तक्षेप, विपणन कार्य नीति और तंबाकू नियंत्रण कानून के उल्लंघन को रोकना है। जनता को तम्बाकू से होने वाले नुकसान को रोकना व कोविड 19 के संक्रमण के खतरे को कम करना है।

यह तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप, विपणन कार्यनीति और तंबाकू नियंत्रण कानून के उल्लंघन को असामान्यीकृत करने के लिए सोशल मीडिया पर लंबे समय तक चलने वाला एक अभियान है। इसमें तंबाकू के विज्ञापन, उल्लंघन का विरोध किया जाता है और युवाओं समेत अन्य व्यक्तियों को रिपोर्टिंग के जरिए अपनी आवाज़ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

इसके अन्तर्गत अब तक उत्तर प्रदेश में कोटपा उल्लंघन मामलों के चित्रों को हैशटैग करके ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म पर तंबाकू की छवि का चित्रण कर जनता व अधिकारीयों के समक्ष अपनी आवाज उठाकर। तम्बाकू व पान मसाला जैसे खतरनाक उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाकर कोविड के संक्रमण से बचाव व तम्बाकू मुक्त जेनरेशन हेतु अनुरोध किया जा रहा है। जिसका प्रभाव भी प्रत्यक्ष रूप से सामने आने लगा है।

लोग इस मुहिम में अधिक से अधिक जुड़ने लगे हैं और हमारी आवाज से आवाज मिला कर वो भी ऑनलाइन जुड़कर इस अभियान को मजबूत बनाने में पूरा सहयोग कर रहे हैं। जनता को तम्बाकू से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूक कर पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहें है।


लेखक- Mr. Vivek Awasthi (Uttar Pradesh Voluntary Health Association)

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