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भारत में हर 15 मिनट में एक औरत के साथ रेप होता है

protest rape culture

14 सितंबर को हुए हाथरस बलात्कार कांड ने एक बार फिर दिल को दहलाने पर मजबूर कर दिया है। एक बार फिर एक लड़की के साथ वही हुआ जिसकी रोकथाम के लिए समय-समय पर लोग आवाज़ उठाते दिख रहे हैं।

ऐसा लगता है जैसे यह सब लड़कियों के लिए बहुत ही आम बात हो गई है। 6 महीने से लेकर 86 साल की बुज़ुर्ग तक ना जाने कितनी महिलाओं और बच्चों ने इस दर्द को सहा है, जिनमें से कुछ महिलाओं और बच्चियों के लिए बहुत बड़े स्तर पर प्रोटेस्ट भी हुए लेकिन यह मात्र उन लड़कियों और महिलाओं का ज़िक्र था जिनका नाम विशेष परिस्थितियों के करण सामने आ चुका है।

अन्यथा इस बर्बरता भरे समाज में ना जाने कितनी ऐसी लड़कियां हैं, जिनके साथ हुई बलात्कार घटना का किसी को पता ही ना हो। कभी परिवार वालों ने तो कभी उस लड़की ने खुद ही आवाज़ नहीं उठाई हो और चुपचाप इस दर्द को लेकर अंदर ही अंदर घुट रही हो।

बलात्कार की घटनाएं हज़ारों लड़कियों के भविष्य को कुचल देती हैं

बलात्कार मात्र किसी एक स्त्री की अस्मिता से खिलवाड़ नहीं है, बल्कि समस्त नारी अस्तित्व से खिलवाड़ है। जब-जब किसी लड़की का बलात्कार होता है, तो उसके एवज में सैकड़ों मील दूर बैठीं हज़ारों लड़कियों को उनके परिवार वाले इसी भय से शिक्षा से रोक लेते हैं और कहीं इसी वजह से छोटी-छोटी मासूम बच्चियों का बाल विवाह करा दिया जाता है।

शायद कहीं-ना-कहीं भ्रूण हत्या के बढ़ते मामलों की भी वजह यही है। इस तरह बलात्कार तो किसी एक लड़की का होता है लेकिन इसकी भरपाई हज़ारों लड़कियों को करनी पड़ती हैं। अगर माहौल ऐसा ही बना रहा तो वह दिन दूर नहीं जब औरत का अस्तित्व एक बार फिर उसी दलदल में फंस जाएगा, जहां से निकलने के लिए वे हज़ारों साल से संघर्ष कर रही हैं।

बहुत ही मेहनत के बाद अभी सिर्फ कुछ ही औरतों थोड़ी आज़ादी से जीने और शिक्षा का अधिकार लेने में सफल हुई थी। समाज के कुछ लोग फिर से उन्हें उसी दलदल में भेजने की तैयारी में लग गए।

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान महज़ दिखावा है

आज बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा तो सभी दे रहे हैं लेकिन वास्तव में ऐसा करने का प्रयास कुछ ही लोग कर रहे हैं। क्या मात्र इस नारे से ही हम बेटियों का अस्तित्व सुरक्षित कर सकते हैं?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (2018), के अनुसार देश में हर 15 मिनट में एक औरत के साथ बलात्कार का मामला सामने आ रहा है तथा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (2019) के मुताबिक भारत में 32033 बलात्कार के केस रिपोर्ट किए गए, जिनमें 18 साल से ऊपर की औरतों के साथ रेप के 27093 मामले थे। वहीं, 18 साल से कम उम्र की नाबालिक लड़कियों के साथ रेप के 4940 मामले देखने को मिले।

लेकिन इतनी बर्बरता भरी वारदातों के बाद भी सरकार का आप सभी से अनुरोध है कि कृपया शांति बनाए रखें। शायद सरकार यह शांति इसलिए बनाए रखने के लिए कह रही है, क्योंकि यह मात्र एक लड़की का बलात्कार ही तो है, किसी सुपरस्टार की आत्महत्या का मामला थोड़ी ना है, जिसे हथियार बनाकर सरकार आगामी चुनाव में विजय होने के सपने देख रही है।

बलात्कार की घटनाओं से सरकार पर सवालिया निशान

शायद सरकार को यह नहीं मालूम कि आज जनता के मन में यह सवाल उठ रही है कि क्या गरीब मासूम लड़की की जान और इज़्जत इतनी सस्ती है कि हमारे देश के सत्ताधारी इसे बहुत आम घटना मान रहे हैं और शांति बनाए रखने का उपदेश दे रहे हैं?

क्या देवियों की पूजा किए जाने वाले इस देश में लड़कियों को अस्मिता भरे जीवन जीने का अधिकार ही नहीं है? इससे तो बेहतर था कि लड़कियों को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता, कम-से-कम ज़िंदगी जीने के लिए इतनी ज़िल्लत तो नहीं सहनी होती।

ऐसा समाज, जहां औरतों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेने वाली सरकार खुद तो मौन है ही और साथ ही साथ दूसरों को भी मौन रहने का उपदेश दे रही है। साथ ही यहां मीडिया की भी सजगता दिख रही है कि किस तरह मीडिया इस मामले पर मौन धारण किए हुए है, शायद पत्रकार यह भूल गए हैं कि सच्चाई और इंसानियत भी कोई चीज़ होती है।

आज देश में हो रही लड़कियों के साथ हिंसा और बर्बरता को रोकने की ज़िम्मेदारी किसी-ना-किसी को तो लेनी ही होगी। उस समाज में, जहां बेटी अपने घर में ही सुरक्षित ना हो, ऐसे हालातों में मेरा सभी लड़कियों और महिलाओं से निवेदन है कि वे इसकी ज़िम्मेदारी खुद उठाएं क्योंकि आप उस देश की निवासी हो जहां सत्ताधारी सिर्फ खुद के लाभ के लिए सोचते हैं।

ये नेता सिर्फ धर्म को बुनियाद बनाकर अपनी बुनियाद मज़बूत रखने का प्रयास करते हैं और लोकतंत्र को धराशायी करते हैं। लोकतंत्र को नंगा नचाने वाली सरकार को कोई फर्क नही पड़ता है कि महिलाओं, लड़कियों और बच्चियों के साथ समाज में क्या हो रहा है।

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