हाल ही में मध्यप्रदेश के सीनियर डीजी स्तर के ऑफिसर पुरुषोत्तम शर्मा का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वो अपनी पत्नी को बेरहमी से पीटते नज़र आ रहे हैं। जिसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से उन्हें सस्पेंड कर दिया है।
मामले की हकीकत
गौरतलब है यह मामला मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का है, जिसमें स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा विवाद के चलते अपनी पत्नी को ज़मीन पर पटककर पीटते नज़र आ रहे हैं और कह रहे हैं कि कोई और लड़की उनकी पत्नी है, तुम होती कौन हो बीच में आने वाली? यह मेरा व्यक्तिगत मामला है। वीडियो का खुलासा सीसीटीवी कैमरे से हुआ है।
बताया जा रहा है कि उनकी पत्नी ने उन्हें किसी के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया था। 2008 में भी डीजी पुरुषोत्तम शर्मा के खिलाफ उनकी पत्नी शिकायत दर्ज़ करवा चुकीं हैं और साथ ही हनीट्रैप मामले में भी इनका नाम सामने आया था।
इस पूरे मामले में डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा, “मैंने कोई अपराध नहीं किया है। यह मेरा पारिवारिक मामला है और यदि वो मुझसे इतनी नाराज़ है, तो चली क्यों नहीं जाती? मेरे पैसों पर विदेश यात्राएं क्यों करती है?”
साथ ही उन्होंने कहा मैं इस मामले को जल्द ही सुलझा लूंगा। मैंने कोई मारपीट नहीं की है, वो सेल्फ डिफेंस में की गई झुमा-झटकी थी। (वीडियो में वो साफ तौर पर पत्नी को पीटते नज़र आ रहे हैं।)
वहीं, एक रीजनल टीवी एंकर ने डीजी पुरुषोत्तम शर्मा की पत्नी और बेटे के खिलाफ शाहपुरा थाने में शिकायत दर्ज़ करवाई है और यह आरोप लगाया है कि उनकी वजह से मेरी (एंकर) छवि और नाम प्रभावित हुआ है। एंकर ने कहा है कि डीजी पुरुषोत्तम मेरे लिए पिता समान हैं और वो मुझे बेटा कहकर पुकारते हैं।
सरकारी अफसर होने के बावजूद पत्नी के साथ उत्पीड़न
इस घटना पर विचार करने पर पाएंगे कि यह पूरा मामला वाकई हतप्रभ करने वाला है या कहें नहीं भी है। यूं भी यह कोई पहली घटना तो नहीं है, जहां एक पति, पत्नी को पीटता नज़र आ रहा हो। वजह चाहे कोई भी रही हो पत्नियों का पति से मार खाना कुछ नया तो नहीं है।
हां! एक सीनियर ऑफिसर द्वारा की गई इस मारपीट को ज़रूर नया माना जा सकता है। वीडियो जितना आहत करने वाला है, उससे कहीं ज़्यादा आहत करता है डीजी पुरुषोत्तम शर्मा का बयान! जिसमें वो कह रहे हैं कि यदि वो मुझसे इतनी नाराज़ थी तो मेरे साथ क्यों है?
मतलब साफ है यदि एक पुरुष इस तरह किसी और महिला को अपनी पत्नी, अपना व्यक्तिगत मामला कहता है तब पत्नियों को सवाल पूछने का अधिकार नहीं है। सवाल की अपेक्षा उन्हें ऐसी किसी भी घटना पर अपने पतियों को छोड़कर चले जाना चाहिए।
पहला प्रश्न अपने आप से कीजिए कि क्या हमारे समाज ने औरतों को इतनी सहूलियत दी गई है कि वो आसानी से किसी बात पर अपने पति को छोड़ सके? पति छोड़िए! क्या अपने पिता, भाई को छोड़ने की सहूलियत है उसके पास? नहीं हमारा समाज़, हमारे ग्रन्थ तो कहते हैं, पति परमेश्वर होता है उसके चरणों में भी जगह मिले तो काफी है लेकिन कोई यह नहीं बताता कि जब लात-दुत्कार मिले तब क्या किया जाना चाहिए?
आधुनिकता और पितृसत्तात्मक समाज
हम कितना भी आधुनिकता का ढकोसला कर लें लेकिन क्या घरों में औरतों पर हाथ उठते देखना हमें असहज करता है? हम तो एक औरत पर हाथ उठाती फिल्म को सुपर घोषित करवा देते हैं और थप्पड़-गालियों को प्रेम का एक रंग बना बैठते हैं। हमारा समाज़, मीडिया और हम सब औरत के देवी से डायन बनाए जाने तक उसे देखने में पूरी तरह सहज हैं।
जब एक सीनियर डीजी, जिनकी आमजन के प्रति ज़िम्मेदारी हम सबसे ज़्यादा बनती हो और वो इस तरह अपनी ही पत्नी को सहजता से पीटते नज़र आ रहे हैं, तो आप आम लोगों की मानसिकता का अंदाज़ा लगा सकते हैं और यह भी समझ सकते हैं कि महिला सुरक्षा जैसी बातें उनके लिए बस ढोंग हैं।
वीडियो में नज़र आते झगड़े में कौन सही है और कौन गलत, यह आप और हम अभी नहीं जानते लेकिन एक महिला को इस तरह पीटा जाना आज भी गलत है और कल भी। ऐसी किसी भी खबर को खबर के तौर पर नहीं, बल्कि एक विचारधारा के तौर पर देखा जाना चाहिए, जो हमें बताती रहे कि हम कहां खड़े हैं और ऐसी खबरें प्रमाण हैं कि विचारधाराओं की दीवारें रोज़ ढह रही हैं।