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“ऑटो में सफर के दौरान मेरी दोस्त झेलती है इव टीज़िंग”

हम सब लड़कियों की आज़ादी के लिए बात करते हैं मगर असल में उनकी आज़ादी के लिए जिस तरह से प्रयास होने चाहिए, उन प्रयासों में आज भी कमी ही दिखती है। लड़कियों के लिए सरकार ने अनेक सुविधाएं मुहैया कराई है ताकि लड़कियां सफर कर सकें और अपने सपनों के करीब एक कदम बढ़ा सकें। 

हम अनेक योजनाओं के बारे में पढ़ते हैं, जिनमें लड़कियों के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाने की बात होती है। संसद में मुद्दों की भरमार लग जाती है मगर नतीजा शून्य निकलता है। 

घर से बाहर निकलकर आगे बढ़ने की लड़ाई केवल एक लड़कियों की ही होती है, क्योंकि उनके कदमों को रोकने के लिए ऐसे कई चेहरे आंखें बिछाए रहते हैं, जिन्हें लड़कियों को आगे बढ़ते और अपने बल पर अपना आसमान तलाशते हुए देखकर पीड़ा होती है।

शारिरीक और मानसिक रुप से प्रताड़ित

घर से निकलकर अपने गंतव्य तक पहुंचने में ही एक लड़की अनेक परेशानियों का सामना करती है, जिनमें इव टीज़िंग के साथ-साथ पब्लिक ट्रांसपोर्ट में होने वाली अश्लील हरकतें शामिल होती हैं। बस, ऑटो या किसी भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करते वक्त एक लड़की ना केवल शारिरीक, बल्कि मानसिक रुप से भी प्रताड़ित होती है। 

मैं भी अपने घर से अनेक कामों के लिए बाहर निकलती हूं। कभी ऑटो का सफर करती हूं तो कभी बस का सफर। इन दोनों जगहों पर लड़कियों के साथ होने वाली अश्लील हरकतों को साफ तौर पर देखती हूं। कुछ लड़कियां जवाब देतीं हैं मगर अधिकांश लड़कियां सिर झुकाकर आगे बढ़ जाती हैं, क्योंकि उन्हें नज़रअंदाज़ करना सिखाया जाता है।  

मेरी दोस्त ने बताई अपनी परेशानी

ऐसे ही एक रोज़ मेरी दोस्त ने अपने साथ घटित घटना को मेरे साथ साझा किया था, जिसे सुनने के बाद मुझे अंदाज़ा हुआ कि लड़कियों की हक की लड़ाई तब तक बेमानी है, जब तक लड़कियों की परेशानियों को समझते हुए समाज अग्रसर नहीं होगा।

उसने बताया कि कॉलेज से लौटते वक्त उसे अपने घर के चौराहे तक के लिए ऑटो लेना पड़ता है। हर दिन अनेक चेहरों से सामना होता है, जिनमें से कुछ पहचाने होते हैं, तो कुछ अनजान। वह आगे बताती है कि मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ ऑटो में सफर कर रही थी, इसी बीच एक आदमी आया और मेरे बगल में बैठ गया और धीरे-धीरे उसने अपने कंधों को मेरी तरफ सरकाना शुरू किया। 

दोस्त ने बताया, “साथ ही कुछ देर के बाद उसके कंधे मेरे कंधों के पीछे थे और वह आदमी अपने हाथों से मेरे गरदन को छूने की कोशिश करने लगा था। मुझे बहुत गंदा लग रहा था, जिसके बाद मैंने प्रतिक्रिया देते हुए उसे ज़ोरदार तरीके से टोक दिया और फटकार लगा दिया। हालांकि उस घटना के बाद मन में डर समा गया, क्योंकि बदले की भावना को अनदेखा करना मुश्किल होता है।”

जीपीएस सिस्टम की ज़रूरत 

उसकी बातों को सुनने के बाद मैंने भी उसे बताया कि ऐसी घटनाएं आजकल आम बातों की श्रेणी में आ गई हैं, क्योंकि किसी को भी फर्क नहीं पड़ता है कि हमारी मानसिक स्थिति क्या हो जाती है, इन हरकतों के कारण।

बस या ऑटो में आज के समय में जीपीएस सिस्टम की बहुत ज़रूरत है ताकि किसी तरह की अनहोनी में इन पब्लिक ट्रांसपोर्ट को ट्रैक किया जा सके। इसे हर दूर-दराज़ इलाकों में पहुंचाया जाना चाहिए ताकि लड़कियां सभी जगह स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें। 

आंकड़े भी कहते हैं कुछ

इन जगहों पर होने वाले इव टीज़िंग के मामलों के आंकड़ों की हकीकत केवल यही होती है कि ये कभी सटीक नहीं होते, क्योंकि ऐसे वारदातों में हमेशा बढ़ोतरी ही दर्ज़ की जाती है।

2012 में किए गए एक सर्वे में यह सामने आई थी कि दिल्ली में 41 प्रतिशत महिलाएं हर रोज़ कैब या सार्वजनिक वाहनों में इव टीज़िंग का सामना करती हैं।

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