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‘बेटी बचाओ’ का नारा देने वाले देश में निकिता की हत्या शर्मनाक है

मानवता ने अपना दम तोड़ दिया है, जो लगभग खत्म होने के मुहाने पर है। लोग किस तरह से खुद को सुरक्षित मानें? अभी हाथरस की राख ठंडी भी नहीं हो पाई थी कि एक ज़िन्दगी को गोलियों से छलनी कर दिया गया।

यहां मानवता के आगे धर्म की आवाज़ बुलंद होने लगी है। यहां जातिवाद के काले बादलों ने समाज को ऐसे ओढ़ लिया है कि लोग अंधे होते जा रहे हैं।

निकिता अब नहीं रही

बात फिलहाल की करें तो दिल्ली से सटे बल्लभगढ़ में दिनदहाड़े एक 20 वर्षीय लड़की की गोली मारकर सरेआम हत्या कर दी गई। न्यायिक व्यवस्था का इतना लचर होना बहुत ही शर्मनाक है। निकिता बी.कॉम तीसरे वर्ष की छात्रा थीं। गोली मारने वाला तौसीफ और उसका साथी रेहान पुलिस की गिरफ्त में है। लड़की के घरवालों ने आरोप लगाया है कि यह लव-जिहाद का मामला है।

आरोप-प्रत्यारोप तो चलते रहेंगे मगर जान क्या इतनी सस्ती हो गई कि कोई भी किसी को मारकर चला जाएगा?

बी.कॉम फाइनल ईयर की छात्रा निकिता एक परीक्षा के लिए दोपहर में कॉलेज गई थीं। जब वो कॉलेज परिसर से बाहर आईं तो दोनों युवकों ने कार से उसका रास्ता रोक दिया। घटना के बंद सर्किट टेलीविज़न (सीसीटीवी) फुटेज में एक आरोपी को दिखाया गया है, जिसमें उसका चेहरा ढंका हुआ है।

पहले निकिता को एक सफेद कार के अंदर धकेलने की कोशिश की जा रही है, जो कड़े प्रतिरोध के बीच बाहर ही अपनी जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रही है। एक महिला राहगीर ने उसकी मदद करने के लिए हस्तक्षेप करने की कोशिश की लेकिन उस व्यक्ति ने निकिता को एक देसी पिस्तौल से गोली मार दी। हत्यारा उसके बाद कार से अपने दोस्त के साथ भाग गया। यह घटना कॉलेज के बाहर सड़क पर पूरे सार्वजनिक दृश्य में हुई।

पितृसत्तात्मक समाज महिलाओं को कभी भी जीने नही देगा

कितना कुछ झेलकर लड़कियां कॉलेज में पढ़ने जाती हैं। उनके सपने होते हैं, उनका मन भी उड़ने का करता है मगर वहशी और दरिंदे लोग उनको अपना शिकार बना लेते हैं। 90% से ज़्यादा लड़कियां अपने घर में शिक्षा को लेकर प्रताड़ना झेलकर बाहर निकलती हैं।

कुछ एक जो होती हैं, उनके घरवाले बस यही सोचकर राज़ी हो जाते हैं कि अच्छे घर में शादी हो जाएगी। वरना ज़्यादातर घर के पुरुष सदस्य इस बात का अकसर विरोध करते हैं। यदि कोई लड़की अपनी बेसिक शिक्षा के बाद घर बैठने की बात करती है, तो यकीन मानिए उसको कोई भी आगे की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित नहीं करता। वहीं, अगर लड़की बाहर निकल आए तो हज़ारों लोग उसके दुश्मन बन जाते हैं।

हिंसा और आतंक का कोई धर्म नहीं है। अपराधी कोई भी हो, उसने अपराध किया है। अत: तौसीफ अपराधी है और उसका साथ देने वाले भी अपराधी ही कहलाएंगे। 

मैं यहां साफ तौर पर कहना चाहूंगा कि हरियाणा के नूंह और मेवात के लोग आतंकी हैं। वैसे भी सुनने में आ रहा है कि निकिता के हत्यारे तौसीफ का घराना अच्छे खासे राजनीतिक परिवार से भरा पड़ा है। यही राजनीतिक खुमार ने तौसीफ को आतंकी बनाया।

“बेटी बचाओ” यह नारा हमारे देश में एक चेतावनी के रूप में साबित हो रहा है। अब ऐसा लगता है कि मोदी जी द्वारा दिया गया यह नारा वाकई में सच है। हमको अपनी बेटी बचानी पड़ रही है। समाज ऐसे रास्ते पर आ गया है, जहां सरेआम लोगों को मारा जा रहा है। 2015 में मोदी जी ने पानीपत की एक सभा में बहुत ही ज़ोरों-शोर से कहा था, “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।” क्या ऐसे पढ़ेंगी बेटियां?

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