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NTPC विंध्यनगर से गायब संविदाकर्मी की मौत और सिंगरौली की चीत्कार।

NTPC विंध्यनगर परियोजना से 9 अक्टूबर 2020 को ड्यूटी से गायब हुए संविदाकर्मी अजीत दुबे के सकुशल लौटने की आस लगाए बैठे परिजनों को उसका मृत शरीर 14 अक्टूबर 2020 प्रशासन ने निष्पक्ष जांच का भरोषा दिलाते हुए,पोस्ट मार्टम में बाद सौंप दिया और परियोजना के जिम्मेदारों ने चंद कागज़ के टुकड़े और नौकरी का वायदा कर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर ली।जो जनप्रतिनिधि बीते छः दिनों नज़र नहीं आए अचानक प्रकट हो गए और आगे भी कुछ दिन रहनुमा होने और न्याय दिलाने का दावा करते सुर्खियों में बने रहेंगे। लेकिन न जाने कब किसी की ज़िम्मेदारी तय होगी,न जाने कब कोई दोषी साबित होगा या फिर सब कुछ शोर के बाद शांत हो जाएगा और न्याय की उम्मीद,संघर्ष में बादल कर इस फाइल से उस फाइल,इस चौखट से उस चौखट तक भटकते हुए दम तोड़ देगा।

सिर्फ अजीत दुबे ही नहीं कोई भी गरीब मजदूर परियोजनाओं में दम तोड़ता है तो उस दिन सिर्फ वह अकेले ही दम नहीं तोड़ता,उसके साथ इंसानियत दम तोड़ती है, परिजनों का उम्मीद दम तोड़ता है,दावों और वायदों की सुर्खियों के नीचे दबकर कई सवाल दम तोड़ते हैं। यह सब कुछ देखते हुए बस सिंगरौली की यह धरती आगोश में अपने लाल को छुपा लेती है, सहलाती है,और आंसू बहाती है,प्रलाप करते हुए चीतकरती है यह अकूत प्राकृतिक भंडार मैंने अपने कोंख में इस दिन के लिए तो नहीं संभाल के रखे थे की मेरी कोंख को नोच नोच कर दौलत और सोहरत भरी कामयाबी का थैलीशाह डंका पीटे और मेरे लाल कभी प्रदूषण की मार से,कभी राख़ के नीचे तो कभी कूलिंग टावर के नीचे दम तोड़ दे।

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