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मुझे कहा गया, “आप ब्राह्मण नहीं होते तो हम आपको घर के अंदर नहीं आने देते”

फोटो साभार- Flickr

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यह घटना यही कुछ 1 वर्ष पहले सितंबर 2018 की है। मैं रायपुर में रहता था, जो कि छत्तीसगढ़ की राजधानी है और अपने परिवार के लिए एक नया मकान खरीदने के लिए मकान की तलाश कर रहा था।

इसी दौरान मुझे अपने कुछ परिचितों से रायपुर में ही एक मकान का पता चला जिसे मकान के मालिक ने किसी व्यक्ति को किराए पर दिया हुआ था। मैं निर्धारित समयानुसार उस स्थान पर पहुंच गया और थोड़े देर बाद मकान की तलाश पूरी हुई। मैं उस मकान के सामने था, जिसे मैं देखने आया था।

माफ करिएगा दोस्तों, मैंने आपको अपना परिचय नहीं दिया। मैं जन्म से ब्राह्मण परिवार में पैदा हुआ हूं और अपनी शिक्षा और संस्कारों से एक पंथनिरपेक्ष भारतीय होने के साथ-साथ जातिवाद का विरोधी हूं।

मगर मुझे उक्त जगह में यह एहसास हुआ था कि सो कॉल्ड उच्च जाति में जन्में व्यक्तियों द्वारा सो कॉल्ड निम्न जाति में जन्में व्यक्तियों के साथ कैसा दुर्व्यवहार होता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

तो अपनी पिछली बात को आगे बढ़ाते हुए मैं उस मकान तक पहुंच चुका था और किरायेदार से मकान देखने और मकान मालिक द्वारा इसकी मंज़ूरी की बात बता चुका था मगर तब तक मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि मुझे अंदर क्यों नहीं बुलाया जा रहा है। चूंकि अब तक ऐसा कोई वाकया मेरे साथ हुआ नहीं था।

खैर, यह मेरे साथ जाति ना बताए जाने के कारण हो रहा है, इसका मुझे अंदाज़ा नहीं था। तभी उस घर की महिला ने मुझसे बिना किसी हिचक के मेरी जाति पूछ ही ली और मेरे द्वारा ब्राह्मण बताए जाने के बाद मुझे समझ आया कि अब तक मुझे अंदर क्यों नही ले जाया जा रहा था और इस जाति बताने के तुरंत बाद ही मुझे अंदर ले जाया गया।

अंदर जाने के बाद सारे आवभगत किए गए, जो एक सामान्य अतिथि के साथ किया जाता है। चूंकि बातचीत से उन्हें यह विश्वास हो चुका था कि मैं भी उन्हीं की जाति से हूं, तो आखिर में उन्होंने वह बात भी कह ही दी जो मेरे लिए ना भुला सकने वाली और सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली थी।

उन्होंने मुझसे सीधे शब्दों में कहा,

भैया यदि आप ब्राह्मण नहीं होते या किसी निचली जाति के होते तो हम आपको कतई अंदर नहीं आने देते और चाय-पानी की तो बात ही अलग थी। हम क्यों इन लोगों को अपने घर बुलाकर अपने बर्तन में पानी भी पिलाकर खुद का घर अशुद्ध करें?

मैंने तब तक जातिवाद की समस्या पर पढ़ा तो बहुत था मगर उस दिन समझा कि कितना सहना पड़ता है हमारे भाइयों को। वह भी सिर्फ इसलिए कि उन्होंने निचली जाति में जन्म लिया और दूसरे ने ऊंची जाति में। यह घटना मैं ताउम्र नहीं भूल सकता कि मुझे भी पानी पीने और मकान देखने के लिए जाति बताने के बाद ही मंज़ूरी मिली थी। जबकि वे उस मकान के मालिक भी नहीं थे, सिर्फ एक किराएदार थे।

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