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इव टीज़िंग क्यों होता है? जानिए इस सवाल पर क्या कहना है युवाओं का

क्या पुरुष, महिलाओं को अपनी मर्दानगी या हीरोपंती दिखाने के लिए छेड़ते हैं या बस यूं ही शरारत करते हैं? लव मैटर्स ने कुछ आम लोगों से यह जानने की कोशिश की कि आखिर महिलाओं या लड़कियों को छेड़ने से उन्हें क्या मिलता है? आइए जानते हैं, उन्होंने क्या कहा।

मुझे लगता है कि बॉलीवुड की फिल्मों से सीखकर ही पुरुष, महिलाओं को छेड़ते हैं। फिल्मों में लड़की छेड़ना शान की बात होती है। शाहरुख खान ने ‘डर’ फिल्म में और आमिर खान ने ‘दिल’ फिल्म में यही तो किया था। लगभग हर बॉलीवुड फिल्म में हीरो, लड़की को छेड़ता ही है।

यहां तक कि फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ के एक गाने, ‘तूने इंगलिश में जब हमको डांटा, तो आशिक सरेंडर हुआ, प्यार से मारा गालों पे चांटा तो आशिक सरेंडर हुआ’ में भी हीरो वरुण धवन, आलिया भट्ट को छेड़ ही रहा है। बॉलीवुड फिल्मों में लड़की छेड़ना बहुत आम बात है। लड़के यहीं से सीखकर लड़कियों को छेड़ते हैं।

* करन, 26 वर्ष, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, गुड़गाँव

यौन शिक्षा का अभाव

भारत जैसे देश में बच्चों को अभी भी यौन शिक्षा नहीं दी जाती है। जीव विज्ञान के शिक्षक भी प्रजनन से जुड़े अध्यायों को छोड़ देते हैं और हम सिर्फ यही देखकर बड़े होते हैं कि अमीबा अलैंगिक प्रजनन कैसे करता है।

ज़रा सोचिए, हमें लड़कियों के शरीर के बारे में कुछ पता नहीं होता है। हम पॉर्न देखकर ही जानकारी हासिल करते हैं। हो सकता है कि कुछ पुरुष, महिलाओं को देखकर अपनी इच्छाएं नियंत्रित ना कर पाते हों और इस कारण वे महिलाओं के प्रति इस तरह का व्यवहार करते हैं और उन्हें छेड़ते हैं।

* नितिन जेटली, 28 वर्ष, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बेंगलुरु

रूमानी रिश्तों का अभाव

जो पुरुष, महिलाओं को छेड़ते हैं, वे महिलाओं का सम्मान करना नहीं जानते हैं। आजकल लड़के कम उम्र में ही पॉर्न देखते हैं और हस्तमैथुन करने के आदी हो जाते हैं फिर सेक्स करने के लिए किसी की तलाश में लग जाते हैं।

जिन पुरुषों को सेक्स करने के लिए कोई महिला मिल जाती है, वे अपनी सारी ऊर्जा वहीं खपा देते हैं लेकिन जो लड़के सेक्स नहीं कर पाते हैं, वे दूसरी महिलाओं को छेड़ते और परेशान करते रहते हैं।

* मुकेश राठी, 28 वर्ष, प्रॉपर्टी डीलर, हरियाणा

उन्हें लगता है कि ज़्यादातर लड़कियां कुछ नहीं बोलेंगी

लड़के जानते हैं कि यदि वे किसी लड़की को परेशान करेंगे तो या तो लड़की शांत रहेगी या फिर कोई प्रतिक्रिया नहीं देगी। वे यह भी जानते हैं कि इस घटना के बारे में लड़की किसी को नहीं बताएगी। इससे लड़कों की हिम्मत और बढ़ जाती है। इस तरह की घटनाएं अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में होती है, जहां पीछा करने वाले लड़के की सामाजिक जवाबदेही कम होती है और ऐसी घटनाओं पर किसी का ध्यान नहीं जाता है।

इसके अलावा जब कोई पुरुष उम्र में अपने से कम किसी महिला को देखता है, तो उसे परेशान करने के लिए हर गलत काम करता है। सामाजिक शिष्टाचार की समझ की कमी के कारण भी उत्पीड़न का यह सिलसिला चलता रहता है।

महिलाओं को मेरी सलाह यही रहेगी कि इसके खिलाफ आवाज़ उठाएं, यह आपकी गलती नहीं है। जब किसी के साथ छेड़खानी होती है, तो यकीन मानिए मानसिक रूप से उसे बहुत ठेस पहुंचती है। महिलाओं को आवाज़ उठानी चाहिए और छेड़खानी करने वाले पुरुषों का सामना करना चाहिए।

* लीमिन शेरपा, 38 वर्ष, स्कूल प्रिंसिपल, सिक्किम

कमज़ोर आदमी मज़बूत बनने की कोशिश करता है

जिन पुरुषों को एक सभ्य इंसान के रुप में महिलाओं से बात करने का आत्मविश्वास नहीं होता है, वही महिलाओं को घूरते, छेड़ते और परेशान करते हैं। इस तरह के पुरुष गली के कोने में जुट जाते हैं और जब कोई महिला वहां से अकेले गुज़रती हैं, तो वे सीटी बजाकर भद्दी टिप्पणियां करते हुए खुद को मज़बूत महसूस करते हैं।

एक छोटी समझ की भरपाई करने के लिए, कुछ पुरुष महिलाओं को परेशान करते हैं और उन्हें बिना किसी गलती के घृणित और पीड़ित महसूस कराते हैं।

* ध्रुव मुखर्जी, 25 वर्ष, फर्म मैनेजर, बेंगलुरु

महिलाओं के छोटे कपड़ों के कारण

अब लड़कियां ऐसे छोटे-छोटे कपड़े पहनेंगी तो मैं तो क्या, कोई भी मचल जाएगा, है या नहीं? महिलाओं को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जब वे चुस्त कपड़े पहनती हैं, तो उनके शरीर का आकार साफ-साफ नज़र आने लगता है। ऐसे में बेशर्म पुरुषों का दिल मचल जाता है और वे उत्तेजित होकर महिलाओं को परेशान करने लगते हैं।

* सागर, 20 वर्ष, छात्र, दिल्ली

महिलाओं को चीज़ समझना

हमारे समाज में महिलाओं को केवल सेक्स की प्यास बुझाने की चीज़ समझा जाता है। जब किसी महिला को प्रताड़ित किया जाता है, तो उसे कैसा लगता है, यह मैं नहीं महसूस कर सकता लेकिन बौद्धिक रूप से मेरा मानना ​​है कि जब कोई महिला छेड़खानी का शिकार होती है, तो उसके अस्तित्व का कुछ हिस्सा खो जाता है।

* मौनिक बसु, 24 वर्ष, फिल्म निर्माता, कोलकाता

महिलाओं को अकेले कहीं आना-जाना नहीं चाहिए

अकेली लड़की को ही लड़के छेड़ते हैं। इसलिए रात में और असुरक्षित जगहों पर लड़कियों को किसी के साथ जाना चाहिए। जो पुरुष, महिलाओं को परेशान करते हैं, वे महिलाओं की भावनाओं की परवाह नहीं करते हैं और बिना किसी वजह के उन्हें अपराधबोध महसूस कराते हैं।

* दोरजी राय, 23 वर्ष, छात्र, सिक्किम

यह छेड़खानी नहीं, यौन उत्पीड़न है

सबसे पहले यह छेड़खानी नहीं है, यह यौन उत्पीड़न है। छेड़खानी तो एक छोटा शब्द है, यह इससे भी बढ़कर कुछ है। मैं यौन उत्पीड़न के किसी भी रूप में लिप्त नहीं हूं लेकिन मुझे लगता है कि कई पुरुष (मेरे कुछ सहकर्मी भी) ऐसा इसलिए भी करते हैं, क्योंकि लड़कियां उनके लिए किसी एलियन (दूसरे गृह के लोग) से कम नहीं हैं!

स्कूल या कॉलेज के समय से ही पुरुषों और महिलाओं के बीच संवाद की कमी रही है। लड़कियां इस तरफ बैठती हैं, लड़के उस तरफ बैठते हैं। लड़कियां हमेशा लड़कों से दूरी बनाए रखती हैं, इसलिए लड़के उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। हालांकि यह किसी को छेड़ने का कोई बहाना नहीं है।

* संकल्प शिंगारी, 35 वर्ष, सरकारी शिक्षक, अमृतसर


By- Arpit Chhikara

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