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हमारी सोसाइटी में रेप होना एक एक्सीडेंट जैसा क्यों नहीं?

एक बात जो मैंने हमेशा कहनी चाही, जो मेरे ज़हन में हर बार रेप जैसे भयावह हादसे के होने पर आई। वह बात यही है कि समाज में रेप एक भयानक दर्घटना क्यों नहीं है? मैंने एक किताब में पढ़ा था कि एक लड़की को घुमना बहुत पसंद था, वो अकेले ही घुमने निकल जाया करती थी। उसके घरवालों को इससे कोई एतराज़ नहीं था। जैसा कि अमुमन घरवालों को लड़की के अकेले घुमने से होता है। आखिर एतराज़ किस बात का होता? यही कि कहीं कोई ऊंच नीच ना हो जाए।

इसलिए हम सब प्रोटेक्टिव रहते हैं अपने से जुड़े हर किसी को लेकर लेकिन उसके घरवाले ऐसा बिलकुल नहीं सोचते थे। खैर, उस लड़की ने हमेशा की तरह एक और टूर बनाया और निकल पड़ी दुनिया की खूबसूरती को देखने लेकिन इस बार उसे दुनिया की खूबसूरती नहीं दिखी, बल्कि दुनिया की एक बदसूरती से सामना करना पड़ा। क्योंकि उससे इंसान पहचानने में गलती हुई और उसका रेप हो गया। 

वह इस हादसे से घबरा गई और डरी-सहमी अपने घर लौट आई। उसकी माँ ने उसके गुमसुम से चेहरे को पढ़ लिया और उससे पूछा, “क्या हुआ इस बार का ट्रीप अच्छा नहीं था क्या?” लड़की माँ के सामने रो पड़ी, उसने माँ को अपनी आपबीती बताई।

माँ ने उससे, “पूछा तुमने ipill ली।” माँ का यह रिऐक्शन थोड़ा अजीब लगा ना? उस लड़की को भी ऐसा ही लगा। उसकी माँ ने कहा, “दुनिया देखना चाहती हो ना तुम, तो यह सब भी दुनिया का ही हिस्सा है लेकिन किसी और वजह से तुम अपनी ज़िंदगी को खत्म नहीं कर सकती। अब से ट्रेवल बेग में Ipill भी ज़रूर रखना।”

मैंने जब यह पढ़ा तो लगा रेप तो बहुत बड़ी बात होती है। कोई इतना Casual कैसे हो सकता है रेप को लेकर? मेरा मतलब यह तो दर्द में पेन किलर देने जैसा रिएक्शन है कि जब शरीर का कोई हिस्सा चोटिल होता है, तो थोड़ा दर्द होगा। ताकि मन और शरीर को हील करने के लिए आराम करो और दवा ज़रूर लेते रहो। उसके बाद शरीर का वह हिस्सा जब ठीक हो जाए तो फिर से ज़िंदगी बिलकुल वैसी की वैसी।

हमारी सोसाइटी में रेप यानि ज़िंदगी बर्बाद होने जैसा 

शायद हमारे समाज के किसी घर में ऐसा होता तो उस लड़की का घुमना ज़िंदगी भर के लिए बंद हो जाता। किसी भी लड़के से उसकी शादी कर उसे किसी और को सौपने का ख्याल आता या थोड़े मॉर्डन पेरेंट्स होते तो उसे कहीं दूर भेज दिया जाता और उसके लिए एक टाइमिंग सेट हो जाती।

बहरहाल, समाज से सवाल यह है कि हम रेप होने पर उस लड़की को अपनाते क्यों नहीं? रेप भी तो एक्सीडेंट ही हुआ न? कोई नहीं चाहता की उसका एक्सीडेंट हो लेकिन हो जाता है। हम बहुत सावधानी भी बरतें लेकिन फिर भी किसी ओर की ओवर स्पीड, गलत ड्राइविंग की वजह से हमारा एक्सीडेंट हो ही जाता है।

होने वाली दर्घटना को लेकर हमें नहीं मालुम होता कि ऐसा होगा लेकिन हो जाता है। एक्सीडेंट में भी शरीर के कई अंदरूनी हिस्से पर चोट लगती है। हम कई दिनों, महिनों, सालो तक परेशान रहते ह़ और सबके टच में रहते है। किसी के पेरेंट्स यह नहीं करते हैं कि फलानी लड़की का एक्सीटेंड हुआ है तू उससे दूर रहना कोई ज़रूरत नहीं है उससे मिलने की। कोई अपको जज नहीं करता है। किसी लड़के का Perception आपके लिए Change नहीं होता है, आप सोसाइटी के लिए काला धब्बा नहीं होते।

रेप को लेकर इतनी हीन भावना क्यों है?

रेप भी तो उस लड़की ने नहीं चाहा था की उसके साथ हो, वह तो किसी ओर की मानसिक स्थिति का नतिजा है। रेप को एक्सीडेंट से जोड़ने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि रेप सही है। बस यह समझाने की कोशिक है कि जिस तरह एक्सीडेंट में एक्सीडेंट करने वाले की गलती होती है, सजा उसके लिए होती है। उसी तरह रेप होने पर भी रेप करने वाले को दोषी माना जाए और सज़ा भी सारी उसकी ही हो, उस लड़की की नहीं।

जिस तरह एक्सीडेंट में पैर टूट जाता है, और फिर जब पैर फिर से ठीक होता है तो हम फिर से बाइक चलाने लग जाते है। हम फिर से सोसाइटी में पहले की तरह उठने बैठने लगते हैं। हमारे Status पर हमारे एक्सीडेंट से कोई फर्क नहीं पड़ता उसी तरह जब किसी लड़की का रेप हो तो उसे हील होने का पूरा समय दो और फिर से ज़िंदगा जीने दो। उसे सोसाइटी से बायकॉट मत करो। अगर आपकी किसी परिचित या दोस्त के साथ ऐसा हुआ है या होता है तो उसका साथ उस घुमकड़ लड़की की माँ की तरह दो। जो उसे ज़िंदगी के हर गलत और सही पहलुओं को समझने और सामना करने की हिम्मत दे रही है।

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