बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र चारों तरफ चुनाव का मौसम है। एक तरफ महागठबंधन है, जिसका नेतृत्व तेजस्वी यादव कर रहे हैं, जिसमें सभी वाम दल के साथ काँग्रेस हैं। वहीं, दूसरी तरफ एनडीए गठबंधन हैं।
इस गठबंधन का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं मगर एनडीए में भाजपा नीतीश के साथ चिराग चक्रव्यूह का खेल खेल रही है।
एंटी इंकम्बेंसी के दौर में गोता लगाता NDA
चिराग चक्रव्यूह क्यों? भाजपा के नेताओं को यह मालूम है कि नीतीश कुमार बिहार में 15 साल से शासन कर रहे हैं और हाल-फिलहाल में उनके द्वारा प्रशासनिक गलतियां हुई हैं, जिससे जनता में विरोध के स्वर उभरकर खड़े हुए हैं। जिसको अंग्रेज़ी में एंटी इंकम्बेंसी कहते हैं। सत्ता विरोधी लहर भाजपा उस लहर को अपने पक्ष में और नीतीश के विरोध में करना चाहती है, क्योंकि 48 घंटे होने को हैं जब चिराग पासवान ने बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का घोषणा की है।
यह भी घोषणा किया कि चुनाव जीतने के बाद वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार को पूरा समर्थन देंगे। चिराग के इस बयान के आने के बाद भाजपा नेतृत्व की तरफ से कोई भी खंडन नहीं हुआ, जो कि भाजपा के चिराग षड्यंत्र को उजागर करता है।
दिल्ली में जो खेल चल रहा है, उसके अनुसार भाजपा की एक रणनीति है कि नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार को ज़्यादा-से-ज़्यादा नुकसान पहुंचाया जाए। JDU का नुकसान लोजपा के माध्यम से भाजपा उम्मीदवारों के द्वारा पहुंचाया जाए, इसी सोच के तहत लोजपा के टिकट पर और उस सीट पर भाजपा का उम्मीदवार खड़ा रहेगा जहां से नीतीश कुमार की पार्टी जदयू लड़ेगी।
क्या नीतीश कुमार द्वारा 2005 में लोजपा को तोड़ने का बदला ले रहे हैं चिराग पासवान?
जीत के बाद यह निश्चित है कि चिराग पासवान अपने विधायकों के साथ भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार को समर्थन देंगे। इस बात की भी संभावना है कि उनको उपमुख्यमंत्री का पद भाजपा द्वारा अंदर खाने से ऑफर किया गया हो। दरअसल, चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान के साथ किए गए दगाबाज़ी का हिसाब आज नीतीश कुमार से ले रहे हैं।
याद कीजिए 2005 का चुनाव, जिसमें रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा को 12% के लगभग वोट मिले थे और 30 से अधिक विधायक चुनाव जीतकर आए थे। वहीं, नीतीश कुमार ने लोजपा को तोड़ दिया था। टूटकर आने वालों में महेश्वर हज़ारी सबसे प्रमुख थे, जो कि रिश्ते में चिराग पासवान के चाचा लगते हैं। महेश्वर हज़ारी राम बिलास पासवान के मौसेरे भाई हैं।
तो क्या वास्तव में नीतीश कुमार को नुकसान होगा भाजपा के चिराग चक्रव्यूह से?
इस सवाल का जवाब है हां, क्योंकि रामविलास पासवान की पार्टी और चिराग पासवान दलितों में खासकर पासवान समुदाय में बहुत पॉपुलर हैं। इसके साथ ही चिराग पासवान युवाओं में सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं।
खासकर भाजपा और नरेंद्र मोदी के समर्थकों के बीच। लिहाज़ा चिराग पासवान की अकेले लड़ने और जदयू के खिलाफ लड़ने के निर्णय से नीतीश कुमार को खासा नुकसान होने की संभावना है।
क्या लोजपा के नीतीश कुमार से अलग होने का फायदा महागठबंधन को होगा?
भाजपा के चिराग चक्रव्यूह से चुनाव का परिणाम अब क्लियर नहीं है। पहले यह माना जा रहा था कि एनडीए गठबंधन आगे है और संभवतः नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री मगर अब स्थिति बदल गई है।
अब यह कहना मुश्किल है कि एनडीए, भाजपा या नीतीश कुमार जीत पाएंगे, क्योंकि NDA में दरार साफ हो गई है। इसलिए नुकसान निश्चित है। तो ज़ाहिर है महागठबंधन को सीधा फायदा होता दिखाई दे रहा है।