मैंने देखा था जो सपना, यह वो देश भारत तो नहीं।
मैंने जो इन्साफ जिताया था, तुमने कोई भेदभाव किया तो नहीं?
मैंने तो परचम प्यार का लहराया था, तुम्हारा परचम नफरत से भरा तो नहीं?
मैंने तो हिंदु-मुसलमान एक किया था, तुमने इन्हें लड़ाया तो नहीं?
मैंने देखा था जो सपना, यह वो देश भारत तो नहीं।
औरतों को सम्मान दिलाना था, तुमने वो मिटाया तो नहीं?
पेट गरीब का भरना था, तुमने जेब अमीर की भरी तो नहीं?
भारत को स्वच्छ बनाना था, तुमने मासूमों को जलाया तो नहीं?
मेरा भारत तो अमीर था, तुमने उसे गरीब किया तो नहीं?
जानवरों से प्यार मुझे भी था, तुमने किसी इन्सान का लहू बहाया तो नहीं?
राम भक्त तो मैं भी था, तुमने रहीम को रुलाया तो नहीं?
किसान तो ज़मीन का राजा था, तुमने उसे फांसी पर लटकाया तो नहीं?
मैंने तो लोगों को जोड़ा था, तुमने उन्हें तोड़ा तो नहीं?
मेरा भारत तो आज़ाद था, तुमने किसी मासूम को कैद किया तो नहीं?
बोलने का हक तो सबका था, तुमने कोई प्रतिबंध लगाया तो नहीं?
मैंने देखा था जो सपना, यह वो देश भारत तो नहीं।