उत्तर प्रदेश सरकार ने लव जिहाद को लेकर कैबिनेट में “लव जिहाद अध्यादेश” पास किया है। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सज़ा व दूसरे धर्म में शादी करने पर ज़िले के डीएम से अनुमति लेनी होगी। अनुमति लेने के लिए 2 महीने पहले डीएम को नोटिस भेजना होगा। यूपी सरकार का यह अध्यादेश संविधान का उलंघन है, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज ही शादी के अधिकार को बरकरार रखा है।
कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी ने 19 अगस्त 2019 को प्रियंका खरवार से शादी की। प्रियंका खरवार ने सलामत से शादी के बाद धर्म परिवर्तन कर अपना नाम आलिया रख लिया। प्रियंका खरमार उर्फ आलिया के परिजनों ने सलामत के विरुद्ध अपनी बेटी (प्रियंका खरमार उर्फ आलिया) को बहला-फुसलाकर ले जाने का आरोप लगाकर पॉक्सो एक्ट दर्ज़ कराया।
सलामत और प्रियंका खरमार उर्फ आलिया ने हाइकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया तो जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि प्रियंका खरवार उर्फ आलिया की उम्र का विवाद नहीं है। प्रियंका खरवार उर्फ आलिया की उम्र 21 वर्ष है। कोर्ट ने प्रियंका खरवार उर्फ आलिया को अपने पति के साथ रहने की छूट दी है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पॉक्सो एक्ट नहीं लागू होता है।
कोर्ट ने कहा कि प्रियंका खरवार और सलामत को अदालत हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखती है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचियों के खिलाफ दर्ज़ प्राथमिकी को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि ये प्रियंका खरवार की मर्ज़ी है कि वो किससे मिलना चाहती है।
अदालत ने कहा कि कानून एक बालिग स्त्री या पुरुष को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार देता है। अदालत ने कहा है कि उनके शांतिपूर्ण जीवन में कोई व्यक्ति या परिवार दखल नहीं दे सकता है। कोर्ट ने कहा है कि कानून दो बालिग व्यक्तियों को एक साथ रहने की इजाज़त देता है, चाहे वे समान या विपरीत सेक्स के ही क्यों न हों।
अदालत ने कहा कि कानून एक बालिग स्त्री या पुरुष को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार देता है। उनके शांतिपूर्ण जीवन में कोई व्यक्ति या परिवार दखल नहीं दे सकता है। अदालत ने कहा यहां तक कि राज्य सरकार भी दो बालिग लोगों के संबंध को लेकर आपत्ति नहीं कर सकती।
इस ताज़े मामले में हाइकोर्ट ने सरकार को भी संविधान दिखा दिया है कि सरकारें भी सहमति से अपना जीवनसाथी चुनने के लिए जोड़ों के बीच अड़चन पैदा नही कर सकती है। किसी व्यक्ति को अधिकार नहीं जीवनसाथी चुनने से रोकने के लिए। किसी को अधिकार नहीं दूसरे धर्म में शादी करने से रोकने के लिए। उसके बाद भी यूपी सरकार द्वारा दूसरे धर्म में शादी करने से रोक लगाने के लिए अध्यादेश लाना गैरकानूनी है।
यदि कोई व्यक्ति दूसरे धर्म मे शादी करता है, तो डीएम को 2 महीने पहले ही अवगत कराना होगा। 2 महीने मतलब भेदभाविक रवैये के लिए लिया गया समय है। यदि लड़का मुस्लिम होगा तो ठोको नीति अपनाने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी नीति को लागू करेंगे। यदि लड़का हिन्दू है तो भेदभाविक रवैया अखितयार कर शादी की अनुमति देंगे।
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