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भूपेश बघेल जी, कोरोना काल में राम के नाम पर आपने दान कैसे मांग लिया?

बात 2001 की है, मैं चौथी क्लास में पढ़ती थी। दैनिक भास्कर ने फुल पेज कवर में श्री राम के ननिहाल या माता कौशल्या के मायके के बारे में लिखा। जानकर खुशी हुई कि हम जिस नवीन प्रदेश के बनने के उत्साह में है, वह श्री राम से इस प्रकार जुड़ा है।

उन दिनों मैंने पढ़ा था कि माता कौशल्या का मायका आज का राजनांदगाँव शहर है।  पिछले साल छत्तीसगढ़ सरकार के राम वन गमन मार्ग में राजनांदगाँव का नाम नहीं आने पर मुझे हैरानी हुई। मुझे लगा मैंने गलत पढ़ा हो। समाचार पत्र ने गलत छापा हो या फिर जांच टीम ने त्रुटियों को सुधारा हो। खैर, मसला यह नहीं है। मसला यह है कि आज हम 2020 की स्थिति में हैं।

जहां पूरा विश्व महामारी के चपेट में है। यह संदेह सूचक है कि विपत्तियों की घड़ी जल्द ही समाप्त होने वाली नहीं है। हमें और इंतज़ार करना होगा तथा आगे भी इस तरह की परिस्तिथियों के लिए तैयार रहना होगा।

इन सबके बीच पहले केंद्र सरकार ने राम मंदिर की नींव रखने का भव्य कार्यक्रम किया और 15अगस्त को छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री ने राम वन गमन मार्ग बनाने पर पुनः विचार कर दिया। साथ ही जनता से दान की अपेक्षा कर डाली।

मुख्यमंत्री जी, आपकी बात मुझे अच्छी लगी कि “राम पर किसी का कॉपीराइट नहीं है” लेकिन राम को किसी प्रकार की जल्दी भी नहीं है। जिस राम को हमने अपने ह्रदय में, मन में, श्रवण में और स्मरण में हज़ारो सालों से संजोये रखा है, वो कुछ 2-3 साल और रुक सकते हैं।

पर्यटन के क्षेत्र में अभी ना पैसे आने की गुंज़ाइश है और ना ही पर्यटक आज ज़रूरत है। आज ज़रूरत है अस्पतालों की, कॉलेजों की, मानव संसाधन निर्माण पर ज़ोर देने की। यदि आप कहते हैं कि श्री राम गमन मार्ग पर हर 20 किलो मीटर पर एक अस्पताल बनाया जाएगा।, तो खुशी ज़्यादा होती। हर माइलस्टोन पर एक कॉलेज बनाया जाएगा, तो खुशी होती। आप इन्हे एक इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट की तरह भी पेश कर सकते हैं।

छत्तीसगढ़ प्रदेश आज अपने गोल्डन स्टेज में पहुंचने से ज़्यादा दूर नहीं है। आज भी यहां असीमित धन सम्पदा, ज़मीन, प्राकृतिक संसाधन, 991 का लिंग अनुपात, 70.28% साक्षरता दर है, जो कि नैशनल एवरेज के काफी आगे है लेकिन इसे बरकरार रखना और आगे बढ़ाना सरकारों की ज़िम्मेदारी है।

आज ज़रूरत है मानव संसाधन निर्माण की

प्रदेश में शिक्षण संस्थानों का विस्तार नहीं है, मेरे शहर में एक मात्र कॉलेज है, जहां विषयों की उपलब्धता भी नहीं हैं। यहां के लोगो में अपने बच्चों को बाहर प्रदेशों और विदेशों में भेजने का बल नहीं है। उन्हें ज़रूरत है नज़दीकी स्कूलों और कॉलेजों की। छत्तीसगढ़ स्टार्टअप के आधार पर कुल स्टार्टअप्स की संख्या 293 है, जो विचारार्थ है।

छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर निचले स्तर पर ज़रूर आया है लेकिन यह कोई नई बात नहीं है। मनरेगा के आधार पर दिए रोज़गारों को पूर्ण रोज़गार कहना उचित नहीं है। CMIE के अनुसार ये दर इसी प्रकार बढ़ते-घटते रहते हैं।

सरकारी स्कूल प्रबंधन

पढ़ाई को यदि एक तरफ रखा जाए, जो कि अपने आप में बहुत बड़ा मुद्दा है। बात की जाने चाहिए स्कूल प्रबंधन की।  7.9% स्कूलों में अभी भी साफ पीने का पानी मौजूद नहीं है। 12.2% स्कूलों में शौचालय मौजूद हैं लेकिन इस्तेमाल करने योग्य नहीं।

10.1 % स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं हैं। 10.3% स्कूलों में कोई लाइब्रेरी नहीं हैं। वहीं 97.7%  स्कूलों में कम्प्यूटर्स नहीं हैं।

शौचालय की बात अलग से की जाए तो मैंने भी स्कूल के 2 साल सरकारी स्कूल में बिताए हैं। मैंने देखा है कि स्कूल में शौचालय थे लेकिन वहां प्रवेश करना बीमारी को बुलावा देने से काम ना था। सौभाग्यवश उस समय मैंने माहवारी को नहीं जाना था। यदि जाना होता तो आंदोलन कर बैठती।

991 लिंग अनुपात में जहां 77.3% लड़कियां स्कूल में हैं, वहां 12.2% स्कूलों में लड़कियां शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं, विचार कीजिए।

स्वास्थ्य

इस कोरोना काल में स्वस्थ्य एक अति महत्वपूर्ण मुद्दा है। नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स में अचीवर श्रेणी में आप लीस्ट इम्प्रूव्ड में आते हैं। हालांकि इंक्रीमेंटल प्रोग्रेस ज़रूर हुआ है लेकिन यह पूर्व कोरोना काल का विश्लेषण है। 2020 की माहमारी ने अमेरिका और इटली जैसे बड़े देशों को सतह से हिलाकर रख दिया है। फिर छत्तीसगढ़ एक छोटा प्रदेश है।

यहां सुनिश्चित किया जाए कि प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों में सारी ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध हों। आज भी 65-70% मरीज़ जलजनित बीमारियों, पोषण की कमी, मलेरिया और टाइफाइड से जान गवाते हैं।

डिजिटलीकरण

हम जंगल प्रदेश में रहते हैं। जंगल में विकास ज़रूरी है लेकिन विकास के नाम पर डिजिटल जंगल बनाना कहा तक सही है। टूरिस्ट आकर्षण के नाम पर जंगल पर लाइटिंग करना, सड़के बनाना, कितना उचित है? भारी वन सम्पदा जो हज़ारो सालों से अछूती है, उसे आने वाले भविष्य के लिए संजोए रखिए।

आज हमें राम के आदर्शों की ज़रूरत है, राम के वनवास की नहीं। आज ज़रूरी है कि आप जंगल में रहने वालों को बाहर लेकर आएं। उन्हें शिक्षित करें, ना कि शहर को जंगल में ले जाएं।

हां, आज के काल में देखें तो राम ज़रूरी हैं। राम गमन मार्ग यथार्थ में बनाने की बजाए आप वर्चुअल रियलिटी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, जिसकी वजह से प्रदेश में IT कल्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर बनने में मदद मिलेगी।

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