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“नीतीश कुमार, क्या भ्रष्ट मेवालाल चौधरी को आपके करीबी होने का तोहफा मिला था?”

पूरे देश की निगाहें बिहार विधानसभा चुनाव 2020 पर टिकी थी। बिहार के युवा वर्ग तेजस्वी यादव से उम्मीद लगाकर बैठे थे लेकिन चुनाव परिणाम ने सब खेल बिगाड़ दिया।

हालांकि आज भी 31 वर्ष के युवा तेजस्वी यादव के जोश और जुनून में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है। माना कि 10 लाख बेरोज़गारों को रोज़गार नहीं मिलेगा लेकिन क्या सत्ताधारी सरकार 19 लाख नौकरी का वादा पूरा करेगी। 

बिहार में आ चुकी है डबल इंजन सरकार

बहरहाल, बिहार में डबल इंजन की सरकार बन चुकी है और नीतीश कुमार के साथ-साथ 14 मंत्रियों ने शपथ ले ली है। उत्तरप्रदेश की तर्ज़ पर बिहार में भी दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। दरअसल, बिहार के युवा वर्ग बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर काफी चिंतित रहते हैं। 

बिहार के विश्वविद्यालयों में 3 साल वाली डिग्री 5 साल में मिलती है। परीक्षा केंद्रों पर पहुंचने से पहले परीक्षा कैंसिल कर दी जाती है।

भगवान का नाम लेकर आशीर्वाद के रूप में रिज़ल्ट दे दिया जाता है। पता नहीं बिहार की शिक्षा व्यवस्था कब सुधरेगी भगवान जाने! फिलहाल बिहार के नवनिर्वाचित शिक्षा मंत्री और जदयू नेता मेवालाल चौधरी की बात की जा रही है, जो सियासी गलियारों में चर्चा के विषय बन चुके हैं।

आपको बता दें कि मेवालाल चौधरी भागलपुर के एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में कुलपति के पद पर कार्यरत थे। उनके कार्यकाल में उन पर असिस्टेंट प्रोफेसर कम जूनियर साइंटिस्ट के पद की बहाली हेतु घोटाले और धांधली के आरोप लगे थे। इस दौरान नीतीश कुमार ने मेवालाल चौधरी को काफी बचाने की कोशिश की थी, और तो और भर्ती घोटाले में एफआईआर दर्ज़ होने के बाद और विपक्षी दलों की मांग पर मेवालाल चौधरी को पार्टी से बाहर कर दिया गया था।

मुख्यमंत्री के करीबी हैं मेवालाल

नीतीश कुमार के करीबी नेता होने के कारण मेवालाल चौधरी की किस्मत  एक बार फिर से खुल तो गई थी लेकिन अब उनसे इस्तीफा ले लिया गया है। सोशल मीडिया पर उनका वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मीडिया उनसे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सवाल कर रही है। मंत्री साहब उसे नज़रअंदाज़ करते हुए सवाल को उचित नहीं बता रहे हैं।

अपने ऊपर लगे सभी भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज़ करते हुए विकास के मुद्दे से जुड़े सवालों का सामना करना चाहते हैं। साथ ही बिहार को विकसित राज्य बनाने की बात करना चाहते हैं, जो मुख्यमंत्री का मूल उद्देश्य है।

बिहार की शिक्षा व्यवस्था की ज़िम्मेदारी मेवालाल चौधरी के हाथ में सौंप दी गई थी, जो कि कई सवाल खड़े करती है। जैसे- क्या अब बिहार की शिक्षा व्यवस्था बदल सकती है या फिर जैसे के तैसे हालात बने रहेंगे? हम कैसे उम्मीद करें कि एक भ्रष्ट कुलपति बिहार की शिक्षा व्यवस्था को ठीक कर सकता है।

क्या अब भी बिहार के सरकारी स्कूलों से बच्चे सिर्फ ‘मिड डे मिल’ खाकर घर लौटेंगे? क्या सरकारी स्कूलों के शिक्षक वेतन के लिए धरना प्रदर्शन करेंगे या फिर सरकारी स्कूलों के बच्चों का भविष्य बदलेंगे? काफी सवाल हैं, जो हम यहां से आप तक पहुंचाने का काम करेंगे।

तब तक के लिए जय बिहार!

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