देर रात तक महागठबंधन के नेता का चुनाव आयोग के दफ्तर में 10 सीटों पर हुई धांधली को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं? चुनाव आयोग ने जिन्हें पहले जीतने की बधाई दी, वो बाद में हारे और जो हार गए फिर रिकाउन्टिंग में जीते लेकिन कैसे? बिस्फी से पुष्पम प्रिया चौधरी को नोटा से भी कम वोट मिले।
काउंटिंग में यह गड़बड़ी नहीं तो क्या है? महागठबंधन के नेता का चुनाव आयोग के दफ्तर पर पहुंचते ही महागठबंधन की रिकाउंटिंग में एक सीट बढ़ गई। हिल्सा और किशनगंज जैसी अन्य सीट पर देर रात तक उलटफेर हुआ। जो जीते वे हारे और जो हारे वे जीते।
काउंटिंग में यह गड़बड़ी नहीं तो क्या है? चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और लोकतंत्र नाम की कोई चीज़ है या नहीं? क्या सत्ता पक्ष की कठपुतली बनके रह गया है चुनाव आयोग?
महागठबंधन नेता के साथ उलटफेर होने वाली सीट को लेकर नीतीश कुमार पर जनमत को लुटाने की गहरी साज़िश का आरोप लगाया जा रहा है। उन 10 सीटों के हेरफेर जिन पर महागठबंधन अपने उम्मीदवार की जीत का दावा कर कुल 119 सीट की बात कर रहे हैं।
देर रात चुनाव आयोग के दफ्तर से महागठबंधन के नेता का निकलना और उसी बीच रात में पीएम मोदी का एनडीए को बहुमत की बधाई फिर चुनाव आयोग का चौथी बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करना या फिर महागठबंधन नेता का प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने का का आरोप लगाना गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
अगर महागठबंधन नेता का 119 सीट के दावों में दम है, तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना बनता है लेकिन फिलहाल भारी उलटफेर और धांधली से बिहार की कई जगहों से विरोध प्रदर्शन और अच्छे माहौल के शुभ संकेत नहीं आ रहें हैं। क्या इनके लिए चुनाव आयोग जवाबदेह नहीं है?