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“नीतीश कुमार, सुशासन वाले आपके बिहार में इव टीज़िंग का विरोध करने पर लड़की को जला दिया गया”

देश में महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों पर अब किसी को हैरानी नहीं होती। हर रोज़ एक नया अपराध और हर दिन एक महिला की मौत। ना प्रशासन और ना ही पुलिस इसके खिलाफ कुछ कर पाती है। महिलाओं के प्रति अपराधों की खबर अखबारों में ऐसे छपती है, जैसे वह कोई विवाह का इश्तेहार नहीं है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता।

एनसीआरबी यानि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आकड़ों के अनुसार, भारत में 2019 में रोज़ औसतन 87 दुष्कर्म की घटनाओं को अंजाम दिया गया। जबकि 2019 में ही 2018 से 7 % अधिक यानि 4,05,861 घटनाओं का इज़ाफा हुआ।

केस दर्ज़ होते हैं लेकिन कार्रवाई नहीं होती

इन घटनाओं पर केस तो दर्ज़ कराया जाता है लेकिन इन पर कोई कारवाई नहीं होती है। कभी सिस्टम की नाकामयाबी तो कभी पुलिस या स्वंय हमारी लापरवाही से सर्वाइवर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। हद तो यह है कि अपराधी बेखौफ घुमते हैं। इसी क्रम में शामिल हो गया है एक और अपराध।

वैशाली ज़िले के देसरी थाने के हबीब गाँव में कचरा फेंकने जा रही लड़की गुलनाज़ के साथ पहले तीन मनचलों ने छेड़छाड़ की। लड़की ने उसका विरोध किया तो जान से मारने धमकी दे डाली, जिसके जवाब में मनचलों ने लड़की पर ही मिट्टी तेल डालकर जला दिया।

जल रही लड़की के छोटे भाई ने जब चिल्लाना शुरू किया तो लोग आगे आए और आग बुझाई। अपराधी सतीश राय के रिश्तेदार ने लड़की को अस्पताल पहुंचाया। वह भी इस शर्त पर कि लड़की पक्ष से कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इलाज के लिए एक लाख चालीस हज़ार रुपये का बिल हो गया और जब सतीश के चाचा प्रमोद राय ने पैसे जमा नहीं किए तो परिजन उसे PMCH ले गए, जहां उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पुलिस अब तक सतीश के चचेरे भाई चंदन को ही पकड़ पाई है।

पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाइवर को इससे पहले भी इन मनचलों का सामना करना पड़ा था, जिसकी शिकायत सर्वाइवर ने की थी लेकिन उस पर कोई एक्शन नहीं हुआ। यदि इस पर पहले ही कारवाई हो गई होती तो सर्वाइवर को अपनी जान से हाथ नहीं धोना पड़ता।

समय पर पुलिस क्यों नहीं करती कार्रवाई?

गुलनाज़ के इस मामले में जो बात सबसे कॉमन है, वो यह कि पुलिस ने समय पर कार्रवाई नहीं की तथा इन अपराधों के खिलाफ सख्त कानून बनने चाहिए लेकिन क्या इन घटनाओं के खिलाफ पहले से ही सख्त कानून नहीं हैं? इन अपराधों के खिलाफ पहले से ही कई कानून मौजूद हैं। उन कानूनों को मानने या ना मानने वाले लोग ही इन कानूनों की प्रासंगिकता को तय करते हैं।

देश में कई कानून इन अपराधों के खिलाफ बनाए गए हैं लेकिन इन कानूनों का ठीक से पालन नहीं होता है। अपराधी या तो पकड़े नहीं जाते और यदि पकड़े जाते हैं तो किसी ना किसी कारण से छूट ही जाते हैं। कानून ऐसे लोगों के लिए एक मज़ाक से इतर कुछ भी नहीं है। आवश्यकता है पहले से बने इन कानूनों का कड़ाई से पालन करने की और अपने घरों में रहने वाले लोगों को शिक्षित और जागरूक करने की।

यह बात सुनने में बेहद बेतुकी और सामान्य लग सकती है लेकिन सत-प्रतिशत सत्य है कि लोगों को बचपन से ही महिलाओं का सम्मान करने और उनके प्रति अच्छे व्यवहार करने की सीख देना आवश्यक है। यह भी कहा जाता है कि खाली मन अक्सर शैतान का घर होता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि लोग अपने कार्य में ध्यान दें ताकि महिलाओं और अन्य लोगों का सम्मान करें और सभी के प्रति अपराध कम हो।

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