Site icon Youth Ki Awaaz

कोविड-19 से कैसे प्रभावित हो रहा है फूलों का व्यापार

flower business suffers covid19

कोरोना संकट और लॉकडाउन के असर से फूलों का कारोबार भी अछूता नहीं रहा। कोरोना महामारी के 8 महीने बाद भी पूर्णिया के फूल बाज़ार में सन्नाटा पसरा हुआ है।

महामारी से पहले सुबह-सुबह ही फूलों की छोटी-बड़ी दुकानों पर भीड़ रहती थी। वहीं, अब बाजार मंद होने के कारण फूल की खेती और दुकानदारी से जुड़े कई लोग इस काम को छोड़ने पर मजबूर हैं।

फूलों के किसान की आपबीती

फूलों की खेती से जुड़े 42 वर्षीय सुरेन्द्र कुमार बताते हैं, “लगातार लॉकडाउन लगने के कारण हमें बहुत नुकसान झेलना पड़ा। फूल बाज़ार तक पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो गए। दशहरा दिपावली के समय हमें उम्मीद थी कि बाज़ार में रौनक लौट आएगी मगर यह आखिरी उम्मीद भी टूट गई। हमने अपने खेत में उत्पादन बंद कर दिया। इसलिए त्योहारों के समय हमने कोलकाता से फूल मंगवाए, जिसके कारण फूलों की कीमत कई गुणा बढ़ गई और ग्राहकों की संख्या में कमी आई।”

वहीं, फूूलों की खेेती से जुुड़े दूसरे किसान रमन कुमार बताते हैं, “एक एकड़ भूमि में प्लांट लगाने की लागत 20 से 30 हज़ार रुपये आती है। मार्केट ठीक रहे तो हमें ठीक-ठाक मुनाफा होता है मगर इस बार हम लागत भी नहीं वसूल पाए।”

कोरोना के बढ़ते मामले डरा रहे हैं

लॉकडाउन तो खत्म हो चुका है मगर कोरोना के बढ़ते मामलों से फूल बेचने वाले छोटे दुकानदार चिंतित हैं। शहर के भट्टा बाज़ार में फूलों का दुकान लगाने वाले गौरव कुमार बताते हैं, “जो फूल पहले हम 10 रुपये में बेचते थे, वही अब 30 रुपये में बेच रहे हैं।”

वो आगे बताते हैं कि कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण ग्राहकों ने हमसे दूरी बना ली है, शादियों का सीजन होने के बाद भी हमारे पास फूलों के बहुत कम ऑर्डर आ रहे हैं। पहले लोग पूजा के लिए भी फूल ले जाते थे मगर अब वह पूरी तरह बंद हो चुका है।

सजावट के कारोबार पर भी पड़ा असर

फूलों के ही कारोबार से जुड़ा सजावट का काम भी मंद पड़ा हुआ है। जहां फूलों के ऑर्डर कम आ रहे हैं, वहीं कार्यक्रमों में फूलों को सजाने का काम करने वाले लोग भी बिना रोज़गार के हैं।

सजावट के काम से जुड़े लोगों को अब यह उम्मीद भी नहीं बची कि उन्हें फिर से पहले की तरह काम मिलने लगेगा। विकल्प ना होने के कारण वे किसी तरह इस काम को कर रहे हैं।

काम नहीं आया होम डिलीवरी का आइडिया

फूल बेचने वाले कई दुकानदारों ने हमें बताया कि लॉकडाउन हटने के बाद हमने अपने ग्राहकों को घर पर ही फूल पहुंचाने का आग्रह किया मगर कोरोना के डर के कारण कोई भी ग्राहक फूलों की होम डिलीवरी के लिए भी तैयार नहीं हुए।

फूलों के काम से जुड़े लोगों को अब सरकार से कोई उम्मीद नहीं बची है। उन्हें बस यही उम्मीद है कि जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा और लोग फिर से फूल खरीदने लगेंगे।

Exit mobile version