Site icon Youth Ki Awaaz

“दलित होने के कारण पटाखा फोड़ने पर मुझे पीट दिया गया”

मैं दलित समुदाय से आता हूं। क्या मेरा दलित होना पाप है? हिन्दुस्तान में हम समानता की बातें ज़रूर करते हैं मगर समानता की ये बातें सिर्फ सुनने में ही अच्छी लगती हैं। हम दलितों के लिए ना तो समानता की बातें मायने रखती हैं और ना ही हमें समान अवसर दिया जाता है इस भेदभाव से भरे समाज में।

पिछले साल की दिवाली की एक घटना आपको सुनाता हूं। हम उस वक्त झारखंड के गोड्डा ज़िले में रहते थे, जहां हमारी बस्ती में हमलोगों को छोड़कर दूसरे लोग ब्राह्मण ही रहते हैं। सभी लोग पटाखा फोड़ रहे थे, तो हमने भी पटाखा फोड़ना शुरू कर दिया।

हमने जैसे ही पटाखा फोड़ा कि सामने से ब्राह्मणों के घर से चार-पांच लोग आकर मुझे गाली गलौच करते हुए पीटने लगे। वे ज़ोर-ज़ोर से गाली देते हुए कह रहे थे कि तुम दलितों की हिम्मत कैसे हुई हम ब्राह्मणों के सामने पटाखा फोड़ने की?

पीछे से ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ें आ रही थीं जिसमें वे कहते हुए सुनाई दे रहे थे कि दलितों को तो मार ही देना चाहिए। मैंने खबरों में सुना था कि कैसे मॉब लिंचिंग को अंजाम दिया जाता है मगर उस रोज़ लग रहा था कि ये लोग मुझे मार ही देंगे।

इसी बीच कुछ लड़के भी वहां पर इकट्ठा हो गए। उन लड़कों ने वहां मौजूद ब्राह्मणों से कहा, “इसको अंबेडकर की मूर्ति के पास लेकर चलते हैं।” फिर वे मुझे पीटते-पीटते अंबेडकर की मूर्ति के पास ले गए और बोला पिशाब कर इस संविधान निर्माता के मुंह पर।

उन लोगों को ना सिर्फ दलितों से नफरत है, बल्कि वे बाबा साहब से भी नफरत करते हैं। अब उन्होंने डंडों से भी पीटना शुरू कर दिया था और पीटते-पीटते मेरी हालत इतनी खराब हो गई कि उन लोगों ने मुझसे जबरन बाबा साहब की मूर्ति पर पेशाब करवाया।

मैं वहीं बाबा साहब की प्रतिमा के पास मूर्छित होकर गिर गया और वे लोग पटाखे फोड़ते हुए, मुझे और बाबा साहेब को गालियां देते हुए निकल गए। थाने में शिकायत कराने गया तो थानेदार ने यह कहते हुए रिपोर्ट दर्ज़ करने से मना कर दिया कि दलित हो तो ब्राह्मणों की बस्ती में पटाखे फोड़े क्यों? मुझे सरपंच ने कहा कि बेटा गाँव छोड़कर चले जाओ, हम कुछ नहीं कर सकते हैं और उसी रोज़ मैं गाँव छोड़कर सूरत, गुजरात आ गया।

Exit mobile version