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तत्कालीन सरकार की नीतियों का विरोध करना क्या आतंकवाद को बढ़ावा देना है?

नरेन्द्र मोदी

नरेन्द्र मोदी

भारत के गद्दी पर आसीन तत्कालीन सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाना अब धीरे-धीरे बहुत बड़ी अपराध की श्रेणी में शामिल होता हुआ नजर आने लगा है।

अगर इससे पूर्व की सरकार की बात करें तो पिछली सरकारें अपने खिलाफ हो रहे आंदोलनों पर अक्सर विचार विमर्श करती नजर आती रही हैं।

सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाना मतलब जेल की चक्की पीसने कि शुरुआत

जरूरत पड़ने पर पिछली सरकार उन आंदोलनकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर देती रही है लेकिन तत्कालीन सरकार अब अपने खिलाफ आवाज़ उठाने वाले छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नेताओं एवं सामाजिक संगठनों की बात सुनने एवं उन पर विचार विमर्श करने के बजाए उन्हें जेल में डाल रही है।

जेल में भी कोई सामान्य अपराध की श्रेणी में ना डालकर आतंकवाद और हत्या का प्रयास जैसी धाराओं के अंतर्गत डाल रही है।

विशेष धर्म से बगावत, मगर किसानों का क्या

जिसका ताजा उदाहरण CAA एवं NRC बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सभा स्थलों की अध्यक्षता कर रहे छात्रों सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को देख सकते हैं। CAA एवं NRC बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी की अगर हम गणना करें तो उसमें अधिकांश गिरफ्तार व्यक्ति किसी एक विशेष समुदाय या नास्तिक समाज से ताल्लुक रखते हैं।

अगर इन समुदाय एवं समाज के तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी से रिश्ते की बात करें तो इस पार्टी से सदैव इस समाज के रिश्ते मुखर रहे हैं। इन मुखर रिश्तों के कारण अगर हम एक पल के लिए मान ले की बदले की भावना में कार्रवाई की जा रही है तो फिर हमें उन किसानों पर हो रहे अत्याचार को क्या मानना चाहिए?

किसानों के विरुद्ध बिल और आग में तपते किसान

सरकार के द्वारा लागू किए गए नए कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन संपूर्ण भारत में उग्र हो गया है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पंजाब एवं हरियाणा में देखा जा रहा है। पंजाब के किसानों का प्रदर्शन तो इतना उग्र हो गया है कि पंजाब से लगभग 4 लाख किसान दिल्ली की तरफ रवाना हो गए हैं।

जिसमें से उन किसानों के पहले जत्थे को कल दिल्ली तक पहुंचने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पंजाब से दिल्ली आ रहे किसानों को पहले हरियाणा में घुसने से रोका गया। जिसके बाद किसान उग्र हो गए और पुलिस के द्वारा बनाई गई तमाम बेेड़ियों को तोड़ कर आगे बढ़ गए।

अपनी सुरक्षा के लिए कदम बढ़ाना मतलब सरकार के विरुद्ध जाना

इसके बाद फिर जब किसान दिल्ली के लिए आगे बढ़े तो उन्हें पुलिस ने रोका। रात के अंधेरे में उन पर वाटर कैनन का प्रयोग करके किसानों को तितर-बितर करने का प्रयास किया। लेकिन किसान डटे रहें जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और किसानों को पीछे धकेलने का प्रयास किया। लेकिन किसान पीछे हटने कि बजाय आगे बढ़ते गए।

इसके बाद पुनः पुलिस ने दिन के उजाले में वाटर कैनन का प्रयोग करना प्रारंभ किया। जिसे किसान नेता जय सिंह के 26 वर्षीय पुत्र नवदीप सिंह ने एक बड़ी छलांग लगाते हुए बंद कर दिया। नवदीप सिंह का वीडियो एवं फोटो वायरल होने के बाद उन्हें किसान आंदोलन का हीरो कहा जाने लगा।

लेकिन तत्कालीन सरकार ने जिस प्रकार CAA एवं NRC बिल के प्रदर्शन स्थलों के मुख्य नेताओं को चयनित करके उन्हें आतंकवाद विरोधी गतिविधि जैसे किस संगीन केसो में फसाया है। उसी प्रकार कृषि प्रदर्शन के हीरो नवदीप सिंह पर हत्या के प्रयास का आरोप लगाकर उन्हें फसाना प्रारंभ कर चुकी है।

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