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“ऐसी मोहब्बत जो बस अभी शुरू ही हुई है”

सुबह के 11 बज रहे थे। मैं रोज़ की तरह ऑफिस में अपनी कुर्सी पर बैठा ऑफिस के लड़कों से काम की बात कर रहा था। तभी एक लड़के जिसका नाम धर्मेंद्र था उसने बताया कि हाल ही में एक नया होटल बना है। उसमें बात करके हम उसे अपना क्लाइंट बना सकते हैं। मैने उस लड़के को बात करने के लिए कह दिया।

ऐसी मुलाकात कि खो गया मैं

2 बजे धर्मेंद्र की कॉल आयी। वह कहता है,” सर आपको ही नए होटल बात करने के लिए आना पड़ेगा।” मैंने बाइक उठाई और पहुंच गया होटल। रिसेप्शन पर बैठे व्यक्ति ने कहा बैठो मैडम आ रही हैं, वही बात करेंगी। पास ही पड़े सोफे पर मैं बैठ गया। थोड़ी देर बाद चुस्त पैंट के साथ कोट पहने एक मैडम मेरी जानिब आती दिखाई दी। 

पहली नज़र में मैं उन्हें देखता ही रह गया। बात शुरू हुई और मैडम अपनी सारी बात मुझे बताने लगीं। मेरा ध्यान उनकी आवाज़ में कम और उनके लाल सुर्ख ओंठ और बड़ी-बड़ी झील सी आंखों में ज़्यादा था। वह बोल रही थी और मैं उनके हिलते ओंठ को देख रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे वक्त थम सा गया हो और मेरी आंखों मे ज़ूम लेंस फिट हो गया हो।

मैं इस कदर खो चुका था कि सब कुछ भूल गया था। मुझे सिर्फ उनके हिलते हुए ओंठ ही दिखाई दे रहे थे। उनकी नज़रें कभी मेरी तरफ होती तो कभी नीचे फर्श की तरफ। उनकी बड़ी-बड़ी आंखें जब मेरी तरफ देखतीं और जब मेरी नज़रों से उनकी नज़रें टकरातीं तो एक बिजली का झटका सा लगता था। पता नहीं क्या था उनकी आंखों में कि मैं उसमें डूबता चला गया। मुझे न तो उनका नाम पता था न ही उनके बारे में कुछ मालूम था।

पतली सी कमर, हाइट कुछ पांच फुट चार इंच, उम्र कुछ तेईस वर्ष बला सी खूबसूरत। मुझे दो साल हो गए थे वह ऑफिस जॉइन किए लेकिन किसी और लड़की से मैं कभी इतना प्रभावित नहीं हुआ जितना की उनसे।

वह अभी भी बोलती जा रही थीं और मैं सुनता जा रहा था। बीच-बीच में उनकी बातों का जवाब भी दे रहा था लेकिन अब ऑफिस का काम पीछे हो गया और दिल का काम आगे। डील फाइनल हो गई, वहां हमारा सिस्टम लगना था। मैंने मौके का फायदा उठाया और मैडम को अपना नम्बर और मैंने मैडम का नम्बर ले लिया।

मैं वापस ऑफिस आ गया। फोन नम्बर तो मिल गया था लेकिन क्या बात करें कैसे करें यह समझ नहीं आ रहा था। मैंने थोड़ी हिम्मत दिखाई और व्हाट्सएप पर हाय लिख कर मैसेज सेंड कर दिया, साथ में थोड़ी ऑफिशियल डीटेल।

मेरे किए वह रात काटनी भारी पड़ गई, बस उनका ख्याल उनकी बातें ज़ेहन में आ रही थी। उनका चेहरा बार-बार आंखों के सामने आ रहा था। मैंने अपने ऑफिस के लड़कों से मैडम की जानकारी ली तो पता चला यही तीन किलोमीटर पर इनका घर है।

फिर मुलाकात की तमन्ना

दूसरे दिन सारा सिस्टम लगना था। लड़के सारी डिवाइस लेकर होटल पहुंच गए थे। वह सिस्टम लगा रहे थे। वैसे तो मैं ऐसे कहीं नहीं जाता था लेकिन मैडम से मिलने की चाह और उनकी याद ने मुझे जाने के लिए मजबूर कर दिया। मैं भी वहां पहुंच गया और अपनी देखरेख में सारा काम करवाने लगा।

चुस्त कोट पैंट वाली वह मैडम भी आ गई थीं। वह सामने खड़ी थीं और मैं उन्हें देख रहा था। उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ पूछा,” कैसे हैं आप?” मैं बोलना तो चाहता था लेकिन मुंह से शब्द न निकले सिर्फ अभिवादन में सर को हिला दिया। उन्होंने चाय मंगाई और हम बैठ कर बातें करने लगे। अब मैं खुद को थोड़ा रिलैक्स महसूस कर रहा था लेकिन अभी भी मेरी नज़र उनके हिलते ओठों पर ही थी।

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