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“पहले पीरियड के बाद अचार छूना और मंदिर जाना मेरे लिए वर्जित हो गया”

मैं स्वभाव से अंतर्मुखी (इनट्रोवर्ट) हूं। इसलिए अपनी भावनाओं और तकलीफों को व्यक्त करना मेरे लिए हमेशा से ही एक चिंता का विषय रहा है।

मेरे पीरियड का सफर 13 साल की उम्र में शुरू हुआ। पीरियड्स के बारे में अक्सर ही मेरे क्लास की लड़कियां बात करती थीं। इसलिए इस विषय में मुझे जानकारी तो थी मगर वह जानकारी पूरी नहीं थी।

एक दिन स्कूल में लंच के बाद से ही मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था। मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी। मैंने सोचा हो सकता है मैं बिमार हूं। जब तक मैं घर पहुंची, मेरी तकलीफ बढ़ चुकी थी।

मैंने अपना बैग रखा और माँ को किचन में व्यस्त देख मैं अपने कपड़े लेकर बाथरूम में नहाने चली गई। जब मैंने अपने कपड़े देखे तो उसमें खून था। मैं डर गई और जल्दी-जल्दी अपने कपड़े धोने शुरू कर दिए। थोड़ी देर में माँ की आवाज़ आई। माँ ने पूछा तो मैंने बिना दरवाज़ा खोले यह कह दिया कि मुझे गर्मी लग रही थी, इसलिए मैं बाल धोकर नहा रही हूं। मैंने कहा मुझे टाइम लगेगा।

मैं सब कुछ जल्दी-जल्दी खत्म करके साफ कपड़े पहनकर कमरे में गई, जहां माँ पहले से खाना परोसे मेरा इंतज़ार कर रहीं थी। माँ ने नहाने के लिए डांटा मगर मैंने बिना कुछ कहे खाना खाना शुरू कर दिया।

मेरे पीरियड्स में माँ का रिएक्शन

खाना खाने के बाद मैंने काफी देर सोचा फिर हिम्मत जुटाकर माँ को सब कुछ बता दिया। माँ मेरी बात सुनते ही हड़बड़ा गई और एक कपड़े को निकालकर उसे फाड़ने लगी। मेरी समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है?

माँ ने मुझे कपड़े को 4-5 बार फोल्ड करके दिया और बताया कि उसको कैसे पहनना है। मैने बाथरुम जाते-जाते देखा कि माँ ने पापा को फोन लगाया है। मैं और डर गई और मुझे लगा कि शायद मैं ज़्यादा ही बीमार हूं।

जब मैं वापस आई तो माँ टेंशन में दिख रही थी। मुझे देखकर माँ ने कहा कि उन्होंने पापा को बता दिया है, वो लौटते वक्त पैड्स ले आएंगे।

फिर माँ ने मुझे हर बात विस्तार से बताई

माँ ने यह भी बताया कि अबसे मेरा अचार खाना और छूना बंद है, क्योंकि उससे पीरियड्स खराब हो जाता है और पीरियड्स में मंदिर भी नहीं जाते, क्योंकि भगवान पाप दे देते हैं। इसके अलावा अब नवरात्री में पड़ोसियों के घर कन्या पूजन में जाना भी बंद करना पड़ेगा।

कुछ दिन बाद हमारे स्कूल में कुछ लोग आए। उन्होंने हमें पीरियड्स के बारे में और जानकारी दी और उनसे जुड़ी रूढ़िवादी परंपराओं के बारे में बताया और यह भी बताया कि इन परंपराओं का जन्म क्यों हुआ और आज के ज़माने में इन बातों का कोई महत्त्व नहीं है। उन्होंने हमें एक छोटी सी किताब दी और पैड्स का एक पैकेट भी दिया।

मैं खुश थी

मैं खुश थी, क्योंकि उन्होंने बताया कि अचार खाने से पीरियड्स खराब नहीं होते और पीरियड्स भगवान की ही देन हैं। इसलिए पीरियड्स में लड़कियों को पूजा करने से नहीं रोकना चाहिए। मैंने घर जाकर माँ को पूरी बात बताई और वह किताब भी दिखाया। माँ ने मेरी बात सुनी मगर कुछ कहा नहीं।

जब माँ ने खाना दिया तो साथ में दादी के हाथ का बना आम का अचार भी दिया और उस दिन के बाद कभी अचार खाने को मना नहीं किया।

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