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“बाबा का ढाबा की मदद करने वाले यूट्यूबर की तरह मुझ पर भी लगे थे ठगने के आरोप”

मुझे अभी नहीं मालूम है कि कौन सही है और कौन गलत मगर मुझे यह अच्छे से याद है कि कुछ ऐसी ही कहानी बनने से मैंने खुद को बचा लिया था। आप सब को पूर्णिमा देवी की कहानी याद होगी फिर वो बस्किंग इवेंट और पूर्णिमा देवी जी की मदद के लिए फंड इकट्ठा करना।

मुकेश हिसारिया जी का सुझाव ना होता तो जो चन्द लोग मुझे भी बदनाम करने की कोशिश करते तो वे सफल होते। मुकेश सर ने कहा था कि जितने भी नेक दिल से काम करोगे, कुछ लोग ईर्ष्या में आपके बारे में झूठी अफवाहें फैलाएंगे ही।

वे चन्द लोग अभी भी मेरे फ्रेंड लिस्ट में हैं, जिन्होंने हर जगह कोशिश कि थी मुझे बदनाम करने की। मैं इस पोस्ट में उन सभी का नाम ले सकता हूं मगर जाने देता हूं।

हुआ यूं था कि मेरे साथ PatnaBeats में काम करने वाली निशि और प्रीति ने PatnaBeats के लिए पूर्णिमा देवी की कहानी की थी। पूर्णिमा देवी की कहानी हौसले और हार ना मानने की ऐसी दास्तां है, जिसने हम सभी के दिल को छू लिया था।

वो कहानी वायरल हो गई थी। काफी सारे लोगों ने हमसे उनकी मदद करने की गुज़ारिश की। हमारी टीम ने प्लान बनाया। फारुगी आज़म की मदद ली और कम्युनिटी जैमिंग के साथ मिलकर जिस काली घाट पर वो सुबह बैठी थीं, वहीं एक शाम बस्किंग इवेंट प्लान किया उनके लिए।

जिस तरह से वो पैसा कमाती थी गाना गाकर, उसी तरह हमने उनके लिए उनके ही अंदाज़ में चन्दा इकट्ठा करने की कोशिश के लिए प्लान बनाया। फेसबुक पर इवेंट पेज क्रिएट किया। साथ में PayTm अकाउंट शेयर कर दिया पटनाबीट्स ऑनलाइन डोनेशन के लिए।

इवेंट के रोज़ करीब 1000 से ज़्यादा लोग घाट पर पहुंच गए थे। इवेंट काफी अच्छा रहा। वहां पर भी काफी रुपये कैश में कलेक्ट हुए। बहुत सारे मीडिया के साथी आए हुए थे। तो उसी समय हमने PayTM पर और कैश मिलाकर, जो टोटल रकम इकठ्ठा हुई थी, उसको सार्वजनिक कर दिया।

यह भी ऐलान कर दिया था कि आगे जब तक हम ऐलान ना करें तब तक हम और पैसे एक्सेप्ट नहीं करेंगे। उस रोज़ का इवेंट इतना ज़्यादा हिट हुआ था कि ऑफलाइन और ऑनलाइन मुझे पर्सनली बहुत सारे कॉल्स आए थे। पैसे भेजने के लिए US, Canada तक से कॉल आए थे मगर मैने मना कर दिया था। मना करने का कारण काफी सिंपल था। ये सब मेरे लिए और टीम के लिए काफी नया था और हमें डर था कि कहीं कुछ उलटफेर ना हो जाए। तो जितना पैसा मिला है, पहले उसका हिसाब लगाया जाए।

अब बात आई सहयोग राशि को उसके गंतव्य यानि कि पूर्णिमा देवी तक पहुंचाने की। इसमें यह समस्या सामने आई कि पूर्णिमा देवी जी का कोई बैंक अकाउंट नहीं था। उन्होंने कोई एकाउंट खुलवाने से भी मना किया। ऐसे में इतनी धन राशि उन्हें कैश में देने का दूसरा ऑप्शन था लेकिन जिस जगह वो रहती हैं, वहां इस राशि को सुरक्षित रखने का कोई उपाय नहीं था।

इसके अलावा असामाजिक तत्वों को इस बात की भनक लगने पर पूर्णिमा देवी जी पर खतरा होने की भी आशंका थी। ऐसे में हमने पूर्णिमा देवी जी की रज़ामंदी लेते हुए यह तय किया कि इस धन राशि को हम महीने दर महीने उन तक पहुंचाते रहेंगे। चूंकि यह पैसा पब्लिक के तरफ से आया था, इसलिए उस समय इसकी जानकारी हमने अपने माध्यम से ऑनलाइन दे दी थी।

तब से मैं हर महीने अतुल के साथ पूर्णिमा देवी जी के रूम पर जाता और अतुल के हाथ उन्हें पैसा दे आता। हर दफा पैसे देते हुए मैं अपने फोन से वीडियो रिकॉर्ड करता ताकि सुबूत रहे। (यह सुझाव मुकेश सर ने दिया था)। कहीं मोबाइल खराब ना हो जाए और वीडियो गायब ना हो जाए, इस डर से मैं सारे वीडियोज़ अपने पर्सनल YouTube चैनल पर ओन्ली मी सेटिंग करके डालता रहा।

वह चैनल तब तक पर्सनल यूज़ का ही था। मुझे अपना चेहरा नहीं चमकाना था। खासकर इस तरह का  कोई काम कर के। इसलिए मैं अतुल को वीडियो मैं रखता था और खुद वीडियो बनाता था और उस वीडियो को कही नहीं शेयर करता था।

पूर्णिमा देवी की आंख की रौशनी कमज़ोर है। तो वो मुझे या अतुल को चेहरे से नहीं पहचानती। अतुल को नाम से और आवाज़ से पहचानती हैं और मुझे अतुल के दोस्त के रूप में, जो अतुल के साथ पटनाबीट्स में काम करता था। हर बार वह खूब दुआ देती थीं। दिसंबर 2018 में मैं कनाडा आ गया और उसके बाद भी मैं अतुल को हर महीने जुलाई 2019 तक उनके पास भेजता रहा जब तक पूरे पैसे उन तक पहुंच ना गए। 

इस दौरान मुझ पर कुछ लोगों ने काफी बेबुनियादी और दुखी कर देने वाले आरोप भी लगाए। जैसे- मैं पैसे पचा गया, पूर्णिमा देवी के नाम से फंड लेता रहता हूं, खुद की मार्केटिंग करता हूं आदि। उनको शायद दुनिया में इंसानियत के ज़िंदा होने पर कम भरोसा रहा होगा। हालांकि जब मुझे ये बातें पता चलीं तो दुख ज़रूर हुआ लेकिन हर महीने पूर्णिमा देवी जी से मिलने वाले आशीर्वाद ने इस छोटी सी नकारात्मकता से बचाए रखा।

मेरा मकसद अपनी लोकप्रियता या वाहवाही लूटना नहीं था। अगर होता तो हर महीने उनसे मिलने वाले दुआओं का वीडियो हर महीने PatnaBeats पर शेयर करके वाहवाही लूटता रहता। हमने पूर्णिमा देवी की मदद में एक साधन मात्र बनने की ज़िम्मेदारी लोगों के कहने पर उठाई थी। इस ज़िम्मेदारी को निभाने का हौसला हमें पूर्णिमा देवी जी से मिला।

अभी अक्टूबर 2020 में कनाडा वापस आने से पहले भी एक सुबह घाट गया तो पूर्णिंमा देवी मिलीं। खुद को हमेशा की तरह अतुल का PatnaBeats वाला दोस्त बताकर मिला। वो दुखी थी कि उनके बेटे ने उनका हारमोनियम तोड़ दिया है। सुबह के 6 बज रहे थे। उसी वक्त वहीं से फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा कि अगर कोई मदद करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं। अगले 30 मिनट में कुछ फेसबुक के दोस्त मदद के लिए आगे आए।

अगर उस वक्त मैने स्ट्रैटेजीकली वे सारे काम ना किए होते, तो जो इल्ज़ाम लगाए जा रहे थे मुझ पर, उसकी मैं कभी किसी को सफाई ना दे पता। आज किसी के भी आंख में आंख डालकर यह कहानी कह सकता हूं।

इतनी लंबी कहानी लिखने की दो वजह है। पहली यह है कि अगर कुछ भी ऐसे डोनेशन रिलेटेड काम करने का कभी भी इरादा हो तो पूरी ट्रांसपेरेन्सी रखें। हर काम का एविडेंस जमा करते जाएं। अगर आप सही रहें, तो दुनिया की किसी भी ताकत से आप डंके की चोट पर सामना कर सकते हैं।

दूसरा यह कि दोनों पक्ष की कहानी सुनकर ही अपनी राय बनाएं। मुझे नहीं मालूम वह Youtuber कितना सच्चा है मगर बिना उसकी कहानी सुने उसे धोखेबाज़ तो नहीं बोलूंगा। अगर वह सच्चा रहा तो उस जैसे इंसान में दुबारा हिम्मत नहीं होगी कोई ऐसा नेक काम करने की।

हर महीने पूर्णिमा देवी तक पहुंचाए जाने वाली राशि के वीडियोज़: https://bit.ly/2Xe5eyE

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