कॉलेज लाइफ से प्रोफेशनल लाइफ की ओर बढ़ते समय आकर्षक इंटर्नशिप या जॉब के अवसरों को प्राप्त करने के लिए सॉफ्ट स्किल्स डेवेलप करना आवश्यक होता है। ग्रैजुएट्स को हायर करते समय रिक्रूटर कैंडिडेट के सॉफ्ट स्किल्स पर अधिक ध्यान देते हैं, क्योंकि डोमेन/हार्ड स्किल्स को ऑन द जॉब ट्रेनिंग द्वारा भी डेवेलप किया जा सकता है।
फ्रेशर कैंडिडेट्स को उनके कम्युनिकेशन स्किल्स, इंटरपर्सनल स्किल्स, स्ट्रेंग्थ्स व वीकनेसेज़, कंपनी व जॉब रोल की अंडरस्टैंडिंग और कंपनी के साथ काम करने, सीखने, व आगे बढ़ने की रुचि के आधार पर चुना जाता है। अपने पहले इंटरव्यू से पहले फ्रेशर्स स्ट्रेस्ड्स और नर्वस होते हैं मगर एक उचित प्री-प्लेसमेंट ट्रेनिंग और सही मार्गदर्शन उन्हें इंटरव्यू में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार कर सकते हैं।
आइए कुछ प्रमुख चीज़ों के बारे में बात करते हैं, जो स्टूडेंट्स ऑनलाइन प्लेसमेंट ट्रेनिंग के माध्यम से सीख सकते हैं।
रिज़्यूमे राइटिंग
रिज़्यूमे एक डॉक्यूमेंट होता है, जिसमें कैंडिडेट की पर्सनल और प्रोफेशनल डिटेल्स होती हैं। एक स्ट्रॉन्ग रिज़्यूमे में कैंडिडेट की स्ट्रेंग्थ्स, क्वालिफिकेशन, स्किल्स और यूनिक क्वालिटीज़ लिस्टेड होती हैं, जो उनके सेलेक्शन की संभावनाओं को बढ़ाती हैं। एक ऑनलाइन प्लेसमेंट ट्रेनिंग द्वारा स्टूडेंट्स प्रोफेशनल रिज़्यूमे लिखना सीख जाते हैं, जो रिक्रूटर को एंगेज करता है और कैंडिडेट की उन स्किल्स को हाईलाइट करता है, जो उन्हें उस रोल के लिए फिट प्रमाणित करती है।
ऑनलाइन ट्रेनिंग द्वारा स्टूडेंट्स रिज़्यूमे के अलग-अलग सेग्मेंट्स जैसे पर्सनल डिटेल्स, एजुकेशनल क्वालिफिकेशन, इंटर्नशिप एक्सपीरियंस, प्रोजेक्ट्स, टेक्निकल व सॉफ्ट स्किल्स, ट्रेनिंग व सर्टिफिकेशन और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ के सीक्वेंस और इम्पॉर्टेंस को समझते हैं।
रिज़्यूमें राइटिंग के दौरान क्या करना चाहिए व क्या नहीं, इसकी सीख भी स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग में मिलती है, जैसे- सबसे रिसेंट एजुकेशनल क्वालिफिकेशन, वर्क एक्सपीरियंस और प्रोजेक्ट्स को सबसे ऊपर लिखना।
वर्क एक्सपीरियंस के सेगमेंट में कंपनी का नाम, प्रोफाइल, टाइम पीरियड और जो कार्य किया है, उसका ब्रीफ डिस्क्रिप्शन लिखना और कोई भी अनवांटेड डिटेल्स जैसे- ऐज और जेंडर का मेंशन तब तक ना करना जब तक मांगा ना गया हो। लर्नर्स एक स्टेप-बाय-स्टेप गाइड की सहायता से रिज़्यूमे बनाना सीख सकते हैं और ट्रेनिंग में उपलब्ध रिज़्यूमे टेम्पलेट्स को डाउनलोड कर उनसे रिफरेन्स ले सकते हैं।
कवर लेटर और ईमेल राइटिंग
कवर लेटर ईमेल की बॉडी कॉपी होती है, जिसे इंटर्नशिप या जॉब के लिए अप्लाई करते समय अटैच्ड रिज़्यूमे के साथ लिखा जाता है। इस राइट-अप में कैंडिडेट के बारे में विभिन्न डिटेल्स होती हैं। जैसे- कैंडिडेट इंटर्नशिप या नौकरी के लिए क्यों अप्लाई करना चाहता हैं।
कौन सी स्किल्स कैंडिडेट को उस प्रोफाइल के लिए सूटेबल बनाती है आदि। कवर लेटर का पर्पस एम्प्लॉयर को रिज़्यूमे डाउनलोड, ओपन और पढ़ने के लिए मोटिवेट करना होता है। इसलिए कवर लेटर ब्रीफ और स्ट्रॉन्ग होना चाहिए, जो एम्प्लॉयर को कन्विंस कर सके कि कैंडिडेट की क्वालिटीज़ उनकी आवश्यकताओं से मिलती हैं।
ऑनलाइन प्लेसमेंट ट्रेनिंग द्वारा स्टूडेंट्स कई इम्पॉर्टेन्ट प्रैक्टिसेज़ जैसे एक प्रोफेशनल ईमेल ID बनाना और ग्रामेटिकल मिस्टेक्स व SMS लैंग्वेज को अवॉयड करना सीख जाते हैं। एक ब्रीफ सब्जेक्ट लाइन लिखना (उदाहरण के लिए- XYZ इंटर्नशिप के लिए आवेदन, पहला नाम, कॉलेज का नाम) प्रोफाइल में कैंडिडेट की सिंसेरिटी और इंटरेस्ट को दर्शाता है, जो एम्प्लॉयर को ईमेल पर क्लिक, ओपन और पढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
बिना सब्जेक्ट लाइन के एक ब्लैंक ईमेल भेज देना, कवर लेटर को कॉपी-पेस्ट कर देना, सही ग्रीटिंग या सिग्नेचर नहीं लिखना और कवर लेटर को एक अटैचमेंट के तरह भेज देना कुछ कॉमन गलतियां हैं, जो कि स्टूडेंट्स ट्रेनिंग की सहायता से अवॉयड करना सीख जाते हैं। प्लेसमेंट ट्रेनिंग में उपलब्ध स्टेप-बाय-स्टेप गाइड स्टूडेंट्स को एक डिटेल्ड एग्ज़ांपल द्वारा कवर लेटर के विभिन्न सेग्मेंट्स लिखना सिखा देती है।
इंटरव्यू प्रॉसेस
इंटरव्यू एक फॉर्मल डायरेक्ट कम्यूनिकेशन होती है, जो दो लोगों या एक पैनल व कैंडिडेट के बीच इन-पर्सन, टेलीफोन कॉल या वीडियो कॉल द्वारा की जाती है। कंपनी की आवश्यकता और जॉब प्रोफाइल के अनुसार इंटरव्यू के स्टेजेज़, सवाल और टास्क अलग-अलग होते हैं। इंटरव्यू में कैंडिडेट को विभिन्न चीज़ों जैसे उनकी कम्यूनिकेशन स्किल्स, कॉन्फिडेंस, इंटरेस्ट, रोल में काम करने के एक्साइटमेंट और सीखने व आगे बढ़ने की इच्छा के बेसिस पर इवेलुएट किया जाता है, जो रिज़्यूमे पढ़कर नहीं किया जा सकता।
एक ऑनलाइन प्लेसमेंट ट्रेनिंग स्टूडेंट्स को इंटरव्यू के विभिन्न स्टेजेज़ जैसे प्री इंटरव्यू, टेलीफोनिक अथवा वीडियो इंटरव्यू, ग्रुप डिस्कशन राउंड, HR के सवालों, पज़ल और गेसटिमेट के लिए तैयार करती है। ट्रेनिंग द्वारा स्टूडेंट्स ज़रूरी इंटरव्यू एटिकेट्स, जैसे- प्रोफेशनल ड्रेसअप, प्रॉपर ग्रूमिंग, इंटरव्यू के शुरू होने से 15-30 मिनट पहले वेन्यू पर पहुंच जाना आदि सीखते हैं।
सभी ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स जैसे- रिज़्यूमे, कॉलेज ID कार्ड, ट्रांसक्रिप्ट्स व सर्टिफिकेट्स साथ ले जाना और कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए मिरर के सामने बोलने की प्रैक्टिस करना सीखते हैं, क्योंकि रिक्रूटर आमतौर पर डिस्कशन को “क्या आपके पास हमारे लिए कोई प्रश्न है?” पूछकर समाप्त करते हैं। स्टूडेंट्स ऑनलाइन प्लेसमेंट ट्रेनिंग द्वारा एम्प्लॉयर्स से पूछने के लिए सही सवालों का भी पता लगा सकते हैं। रिलेवेंट व सही सवाल पूछना जॉब या इंटर्नशिप में कैंडिडेट के इंटरेस्ट और सिंसेरिटी को दर्शाता है।