Site icon Youth Ki Awaaz

बदलाव के दौर से गुज़रते भारत में मीडिया और न्यायपालिका पर उठते प्रश्न

आज से एक वर्ष पूर्व देश की राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन आया था, जिस कदम को उठाने में कई सरकारें आईं और चली गईं, अनुच्छेद- 370 को संविधान से हटा दिया गया। यह आज़ादी के 70 वर्षों बाद राष्ट्र के लिए अहम कदम था। इसी से सरदार पटेल का राष्ट्र निर्माण का सपना पूरा हुआ। 

जब देश का मीडिया और जनता राफेल और राम मंदिर के जश्न में डूबी हुई है, तो आवश्यकता है कि गंभीरता से सत्ता में बैठे लोगों से कुछ प्रश्न पूछे जाते। जैसे- क्या अनुच्छेद-370 हटाने मात्र से कश्मीर भारत से जुड़ गया है? जिस विकास की उम्मीद कश्मीर को दिखाई गई, वह आशा की किरण अस्त होती प्रतीत क्यों हो रही है?

डोमिसाइल कानून में संशोधन कर आप वही प्रयास कर रहे हैं, जो इज़रायल ने फिलिस्तीन में किया लेकिन लगभग 100 साल बाद भी इज़रायल इससे मुक्ति प्राप्त नहीं कर पाया है। उस गलती को दोहराने के बजाय उससे कुछ सीखा जाना चाहिए।

ऐसे में सवाल उठता है कि पिछले एक साल में कश्मीर में कागज़ों में कुछ शब्दों को काटने और लिखने के अलावा क्या हुआ है? आवश्यकता है कि उन कारणों को जानने का प्रयास किया जाए कि क्यों स्थितियों में कोई परिवर्तन नहीं हो पाया है। आवश्यकता है कि कश्मीर के साथ कश्मीरियों को भी भारत से जोड़ा जाए।

न्यायपालिका और मीडिया पर उठते प्रश्न

जिस न्यायपालिका और मीडिया को संविधान निर्माताओं ने लोकतंत्र का तीसरा और चौथा स्तंभ माना, उन दोनों की भूमिका पर नागरिक द्वारा लगातार प्रश्न क्यों उठाया जा रहा है। यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं हो सकता है।

पिछले कुछ समय से सरकार के खिलाफ बोलने वाले को देशद्रोही की संज्ञा दे दी जाती है लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि सन् 1976 में हुए राष्ट्र स्तरीय आंदोलन सरकार विरोधी ही थे। उन्होंने फिर से लोकतंत्र की नींव रखी। सबसे महत्वपूर्ण उस आंदोलन के कर्णधार वही लोग थे, जिन्हें आज इस प्रकार के आंदोलन राष्ट्रविरोधी लगते हैं। लोकतंत्र को ज़िंदा रखने के लिए आवश्यक है कि सत्ता में बैठे लोगों से प्रश्न पूछे जाते रहें।

आप राष्ट्रवादी बनिए या आध्यात्मिक लेकिन साथ में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के अहम नागरिक होने की ज़िम्मेदारी से मुंह मत मोड़िए। अंत में पाश की एक पंक्ति है, “आंख की पुतली में हां के सिवाय कोई भी शब्द अश्लील हो, तो हमें देश की सुरक्षा से खतरा है।”

Exit mobile version