सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत जगह-जगह शौचालय निर्माण से देश को बहकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस बात को वीवीआईपी लोग क्या जानें? उनको क्या पता कि सुलभ शौचालय कितने काम आते हैं।
पूरे देश के सभी राज्यों में सरकार ने सुरक्षित, साफ पेयजल और शौचालय की सुविधा देने हेतु आंदोलन चलाया, जिसको नाम दिया गया ‘स्वच्छ भारत अभियान’। इस अभियान में खरबों रुपये खर्च किए गए। इस अभियान को चलाने से पहले जो भी शोध किए गए थे, उनमें कहीं-ना-कहीं बहुत सारी खामियां मौजूद होंगी।
स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत पानी और शौचालय सुविधाओं के सभी प्रोटोकॉल सावधानीपूर्वक खोजे गए थे। सार्वजनिक जीवन में स्वच्छता सुविधाओं के बारे में जानकारी। रेलवे, रोडवेज़, जलमार्ग, बाज़ार, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, स्कूल, और अन्य उच्च शैक्षणिक संस्थान, मेले और त्यौहार, मनोरंजन प्रतिष्ठान और स्वास्थ्य सुविधाएं आदि मुहैया करवाने का विचार रखा गया। देर से स्वच्छता और समुदायों को खुले में शौच से मुक्त बनाने की अवधारणा इस अभियान में महत्वपूर्ण थे।
ये सब तो हुईं कागज़ी बातें। ज़रा ग्राउंड लेवल पर चल कर देखते हैं कि आखिर माज़रा क्या है। कागज़ी तौर पर यह अभियान सफल हो गया मगर इसकी सफलता के बावजूद कुछ चिंताजनक क्षेत्र हैं, जिनके लिए दीर्घकालिक समाधान के लिए तत्काल ध्यान देने और योजना बनाने की आवश्यकता है। स्वच्छ भारत अभियान ने मैनुअल स्कैवेंजिंग के मुद्दे को मुश्किल से संबोधित किया है, क्योंकि सीवरों की मैनुअल सफाई के कारण होने वाली मौतें आज भी जारी हैं।
लोग आज भी खुले में शौचालय जाते हैं। कहीं इक्का-दुक्का शौचालय दिख भी जाए तो उनमें या तो घास-फूंस भरा होता है या ताला लगा होता है। पहाड़ी इलाकों में तो स्थिति और भी ज़्यादा भयानक है। महिलाओं को खुले में शौच करने जाना होता है। अक्सर महिलाएं जंगली जानवरों की शिकार हो जाती हैं। देश का मीडिया यह नहीं दिखाता है। ऐसे मामले मेरी आंखों के सामने खुद हुए हैं।
सरकार को इन सभी समस्याओं को एक बार फिर से देखना चाहिए। इस विषय में शोध करने की ज़रूरत है।
- आम जनता को बीमारी के संचरण के बारे में सीखना चाहिए और अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करना चाहिए।
- रेल, बस सेवाओं, स्वास्थ्य सुविधाओं, स्कूलों, संस्थानों, मनोरंजन प्रतिष्ठानों और त्यौहारों के स्थानों पर साफ शौचालयों की उपलब्धता बेहद ज़रूरी है।
- सार्वजनिक स्थानों पर सभी शौचालयों में साबुन से हाथ धोने की अनिवार्य व्यवस्था भी महत्वपूर्ण है।
- स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से जनता की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में सुरक्षित पीने योग्य पानी की पहुंच पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
देशभर में लैंडफिल, सड़कों, नदियों और झीलों में आकस्मिक अपशिष्ट निपटान जारी है और अगर यह बदलना है, तो लोगों को वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन के समाधान के साथ-साथ आकस्मिक अपशिष्ट निपटान के खतरों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
स्वच्छ भारत अभियान को लोगों का आंदोलन कहा गया है लेकिन अगर इसे अखिल भारतीय स्वच्छता मिशन में परिवर्तित करना है, तो स्वच्छता और स्वच्छता से जुड़ी हर समस्या को पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए।