Site icon Youth Ki Awaaz

“AC कोच में टीटी ने पैसे लेकर जनरल बॉगी वालों को बिठा रखा था”

भारतीय रेलवे

भारतीय रेलवे

शादी से पहले मैंने कई जगह ट्रेन का सफर अकेले ही किया मगर शादी के बाद मैंने कभी भी अकेले सफर नहीं किया। जहां भी जाना होता है, पति के साथ जाती हूं। एक बार गरमी की छुट्टियों में मायके आना था तो मैंने सोचा कि क्यों इन्हें परेशान करूं। इसलिए दिन की ट्रेन से रिज़र्वेशन करवा लिया।

ट्रेन का समय सुबह 8 बजे का था। मेरे पति हमें छोड़ने स्टेशन आए। ट्रेन केवल 5 मिनट ही रुकती है। इसलिए पति देव ने हमारा सामान रखा और नीचे उतर गए। उस ट्रेन में साइड अपर और साइड लोअर के बीच साइड मिडल भी थी। हमारी दोनों सीटें ऊपर की थीं। ट्रेन ए.सी. थी मगर लग रहा था कि ए.सी. चल ही नहीं रही है।

टी.टी. महाशय ने जनरल टिकट पर एसी कोच की यात्रा करवाई

ट्रेन जब चलने लगी तो मैंने एक निगाह मारी चारों तरफ, बहुत ज़्यादा ही भीड़ थी। कूलर, पंखा, टब, बाल्टी, बोरा ना जाने क्या-क्या सामान लोग लेकर जा रहे थे। थोड़ी देर बाद मुझे पता चल गया कि इसमे वेटिंग के लोग भी बैठे हैं और तो और टीटी महाशय ने जनरल वालों को भी टिकट देकर बैठा रखा है। थोड़ी देर बाद ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी। अचानक से कोच में लोगों की इतनी भीड़ चढ़ी जैसे मेले में दिखाई देती है।

ए.सी. चल नहीं रहा था। बहुत घुटन सी होने लगी। मेरी छोटी बेटी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी, मेरा जी घबराने लगा। ऐसा लग रहा था कि बाहर निकल जाऊं वरना मर ही जाऊंगी। फिर मैंने सोचा कि बच्चे हैं, अगर मैं ऐसा करूंगी तो इनका क्या होगा। मैंने भगवान को याद किया और ट्विटर पर रेलवे सेवा को ट्वीट किया। फिर अपने पति को फोन किया। उस वक्त भी भयंकर घुटन थी कोच में और मेरी हालत रोने जैसी ही थी। उन्होंने मुझे कुछ नम्बर, एप्प और लिंक भेजे।

शिकायत करने पर हुई कार्रवाई

इधर मेरी बेटी रोये जा रही थी। उसको रोता देख मैं नीचे उतर आई। नीचे की सीट पर वेटिंग वाले बैठे थे। मैंने उनको डांटा तो वे भाग गए फिर मैंने अपनी बेटी को बिठाया। बाहर का दिखने लगा तो वह चुप हो गई। थोड़ी देर बाद कोच का ए.सी. चलने लगा। कोच ठंडा हुआ तो थोड़ी तसल्ली हुई। थोड़ी ही देर में मैंने अपना फोन देखा तो मेरी शिकायत फॉरवर्ड कर दी गई थी। मुझसे मेरा पीएनआर नम्बर मांगा गया, मैंने दे दिया।

मेरी बेटी खेलने लगी तो मुझे सुकून आया। कुछ देर बाद एक आदमी मेरी सीट पर आया, उसने मुझसे पूछा कि मैम आपने ट्वीट किया था, मैंने कहा, “हां।” फिर मैंने उसे अपनी सारी समस्या बताई। वह ए.सी. मैकेनिक था। उसके पास कॉल आया, वह फोन लेकर मेरे पास आया। मैंने जब फोन पर उनको कनफर्म कर दिया कि ए.सी. सही चल रहा है, तब जाकर उन मैकेनिक को मुक्ति मिली। उसके बाद ए.सी. ऐसा चला कि लोगों को कंबल ओढ़ना पड़ा।

एक आदमी अपनी बीवी और बच्चों के साथ सफर कर रहा था, वेटिंग की टिकट के साथ। मेरे पैर के पास ही सामान का ढेर लगा दिया। मैंने उनसे कहा कि भैया हटा लो। तो बहस करते हुए बोलने लगा आप अपने पैर हटा लो। उसके बाद वो मैकेनिक आए मेरे पास। मैं जब उनसे बात कर रही थी तो बडे़ ध्यान से सुन रहा था, उनके जाने के बाद खुद ही सामान इधर-उधर रख दिया फिर मुझसे बोला कि अब ठीक है।

खैर, बाद में मैंने उसके बच्चों को अपनी ऊपर वाली पूरी सीट बैठने को दे दी, क्योंकि मैंने इंसानियत नहीं मरने दी। बाद में वह बंदा भी अच्छे से व्यवहार करने लगा। लोग अच्छे मिल गए और सफर कट गया। हर घटना आपको कुछ ना कुछ सिखाती है। मैंने क्या सीखा?

अपना आत्मविश्वास बनाए रखें, क्योंकि लोग इतने भी बुरे नहीं होते। ट्विटर पर अपना अकाउंट ज़रूर बनाएं। रेल मंत्रालय से आपको हमेशा सर्पोट मिलेगा। 182 पर भी जल्दी रिस्पॉन्स मिलता है। परेशान होने पर घबराएं नहीं, दिमाग से काम लें। भगवान पर विश्वास रखें। यह मेरे जीवन की सच्ची घटना है और मैंने इससे बहुत कुछ सीखा।

Exit mobile version