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नीतीश कुमार, वह कौन-सी वजह है जिसके कारण बिहार का भविष्य सड़कों पर रिक्शा चला रहा है?

“बिहार में बहार है” और हो भी क्यों नहीं, चुनाव का मौसम जो है। बिहार में अंतिम चरण के मतदान शनिवार को संपन्न हो गए। इस दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा जमकर राजनीति की गई।

हमारे महान प्रधानमंत्री जी ने तो कह दिया है कि 28 हज़ार बेघरों को घर देंगे। वहीं, बिहार की ग्राउंड रिपोर्ट की तरफ ज़रा सा रुख करते हैं और देखते हैं आखिर माज़रा क्या है? घर किसे मिल रहा है, रोज़गार से कौन जुड़ रहा है?

बिहार के एक एक युवा को सामने बैठाइए और पूछिए। यहां युवा से मतलब है, वह युवा जो गरीब है, असहाय है और भूखा भी। सबसे आप यही सुनगें, “बिहार बहुत पीछे है, यहां खेती के अलावा क्या है करने को? खेती सब नहीं कर सकते तो भूखे मरना ही एक विकल्प बचता है।”

असल बात यह है कि बिहार को बिहार में रहने वाले लोगों ने ही लूटा है। बिहार के लोग प्रतिभाशाली होते हैं। उनको मौका ही नहीं दिया गया। इस वजह से आपको यहां की ज़िंदगियां शहरों की सड़कों पर देखने को मिल जाएंगी। कुछ माल उठा रहे होंगे, कुछ सड़को पर पसीने से तर-बतर बनियान पहने हुए रेहड़ी या रिक्शा चला रहे होंगे।

बात यहीं खत्म नहीं होती। आंखों से खून उस वक्त उबल पड़ता है जब नन्हे-नन्हे हाथ, लोगों की जूझन साफ करते हुए पाए जाते हैं। मुंह पर लार से बिगड़ा हुआ चेहरा, मैली-कुचैली गुदड़ी, पांव नंगे, जो धूप में तपने की याद दिलाते हैं, क्योंकि जिन बालों को कई दिनों तक धोया नहीं जाता है, धूप में रहते हुए वे अपना रंग बदल देते हैं।

वोटिंग के समय सभी को बिहार के रास्ते क्यों याद आते हैं?

बिहार के नौजवानों को पिछले कई दशकों से सिर्फ और सिर्फ वादे ही मिले हैं। आखिर में वोट के बाद वह भी टूट जाते हैं। कोई भी नेता हो, कोई भी पार्टी हो कुछ भी हो लेकिन बिहार के युवा को हर बार मायूसी झेलनी पड़ती है। आप 10-20 कदम निकालकर बाहर जाएं और पता करें यह जो रिक्शा चलाने वाला इंसान हैं, यह कहां से आये हैं? इसके बाद आपको उत्तर मिल जाएगा।

बिहार को बदलने के लिए वहां पर चार, पांच परिवार हैं जिन्होंने राजनीतिक तरीके से पूरे राज्य में कब्ज़ा किया हुआ है। लालू फैमिली हो या नीतीश का परिवार, इनसे बस एक सवाल पूछने को दिल करता है। आखिर वह कौन सी वजह है जिसकी बदौलत बिहार का भविष्य सड़को पर रिक्शा चला रहा है या माल ढो रहा है?

कई बड़े-बड़े नामी-गिरामी न्यूज़ चैनल बिहार की समस्याओं को इस समय कुछ ज़्यादा ही ज़ूम कर के दिखा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नेता भी अपने चश्मे से लोगों को समस्याओं के हल से रूबरू कर रहे हैं। चुनवा के बाद यह सब ज़ूम आउट हो जाएंगे।

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