इमरान का पाकिस्तान दिनों दिन आदमखोर होता जा रहा है। अपने विद्रोही व्यवहार से पाकिस्तान के नेताओं ने दुनियाभर में खुद की जगहंसाई करवाई। संयुक्त राष्ट्र संघ की कई मीटिंग्स में ज़्यादातर राष्ट्रों ने इस बात की गुहार लगाई कि पाकिस्तान को अपने नापाक मंसूबों पर अब काबू पा लेना चाहिए।
भारत के खिलाफ उसकी प्रज्ज्वलित नफरत इस बात की ओर इशारा करती है कि उसके आगे मानवता का कोई मूल्य नहीं है। तात्पर्य यह है कि इस देश की क्रूरता जग जाहिर है।
पाकिस्तानियों की रगों में खून की जगह नफरत दौड़ रही है
हाल के दिनों में इमरान की सरकार की पूरे विश्व में किरकिरी हो रही है। हिंदुओं, ईसाईयों, और शिया मुस्लिमों को परेशान करने और उनकी हत्या करने में इस समय पाकिस्तान सबसे मुखर है। बीते दिनों शिया समुदाय के द्वारा मनाया जाने वाला गम का त्यौहार, जो पूरे विश्व में बड़ी ही सादगी के साथ मनाया जाता है उसको खत्म करने के लिए सैकड़ों लोगों ने रैली निकाली, जुलूस निकाला।
मोहर्रम का सिर्फ एक ही संदेश है, वह है “मानवता” लेकिन यह बात पाकिस्तान नहीं समझेगा। क्योंकि वहां के हर बाशिंदे में इस तरह से नफरत को भर दिया गया है जैसे खून की जगह नफरत रगों में दौड़ रही हो।
कहीं-ना-कहीं हमारे देश में फैली साम्प्रदायिकता की आग का आधार पाकिस्तानी नीतियां ही रहीं हैं। देश में कुछ मुस्लिम ऐसे हैं जो आज भी उस देश को अपना मानते हैं। ऐसे लोगों की परख और पहचान करनी हो तो भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच के दौरान देखी जा सकती है।
मैं तो ऐसे परिवार से हूं जो वाकई में लिबरल खानदान से राब्ता रखता है। हमारे माता-पिता ने हमको बचपन से ही यही सिखाया है कि अपने वतन की इज़्ज़त करो। वहीं बात जब पाकिस्तानी नीतियों और गंदी सियासत की आती है, तो बहुत दुःख होता है। यह बात बिल्कुल मानवता के खिलाफ हो जाती है।
बापू को भी नहीं बख्शा था
पाकिस्तान के लोगों की मानसिकता समझनी हो तो उस दौर को याद कीजिए जब गाँधी जी ने उनके हित के लिए कदम उठाए। बदले में पाकिस्तान ने बड़ी ही गंदी और घिनौनी उपाधि से नवाज़ा। एक नज़र इन पंक्तियों पर:
“पाकिस्तान दुनिया की इकलौती जगह है, जहां गाँधी को संत नहीं माना जाता। सबसे ऊंचे सरकारी महकमों से लेकर किसी छोटे-मोटे पत्रकार तक, सब गाँधी को पाखंडी मानते हैं। ऐसा शख्स, जो कि भारत की आजादी के बाद वहां रहने वाले मुसलमानों के ऊपर हिंदुओं का राज कायम करना चाहता था।”
गाँधी, द व्यू फ्रॉम पाकिस्तान
मैं यहां अपने व्यक्तिगत विचारों को साझा करना चाहता हूं ना कि देश के विभाजन का सार्थक। विभाजन करने वाले देश के हुक्मरानों का एक भी बाल बांका नहीं हुआ। मरे, कौन? आम आदमी। इतना कत्लोगारत हुआ। खून से सड़कें रंगी हुई थीं और बच्चे अनाथ हो चले थे। मगर नेहरू और जिन्ना ने अपने स्वार्थ के लिए कितनों की बलि चढ़ा दी।
देश को बांटकर एक ऐसे ज़हर का बीज बो गए जो आज़ादी के 70 सालों बाद भी फल-फूल रहा है। आज़ादी देश को मिली परंतु अंग्रेज़ और देश के स्वार्थी तत्वों ने देश के आधार को बर्बाद कर दिया। एक ऐसा घुन लग गया जो अंदर ही अंदर मानवता को शर्मसार कर रहा है।
भारत की जगह खुद पर ध्यान देता तो आज पाकिस्तान के हालात अलग होते
इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान ने जितना समय भारत को नीचा दिखाने में और उसकी बेइज़्ज़ती करने में लगाया, इससे बेहतर वह अपने विकास पर ध्यान देता तो शायद बहुत कुछ बदला चुका होता। दंगे, सरेआम कत्ल अब तो वहां के जज और वकीलों पर भी गाज गिरनी शुरू हो चुकी है।
अब तो वहां समाज की कोई भी इकाई सुरक्षित नहीं। बात करते हैं सितंबर की जब पाकिस्तान के लाहौर में एक फ्रांसीसी मूल की पाकिस्तानी महिला के साथ बहुत ही घिनौने तरीके से गैंगरेप किया। अपराधियों ने उस महिला के बच्चों के सामने ही इस घटना को अंज़ाम दिया। इस घटना ने पाकिस्तान के कई लोगों को मानसिक रूप से तनाव पहुंचाया।
लोग प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। वहां के लोगों को विश्वास है कि ऐसी कई घटनाएं हैं ,जो ना काबिले बर्दाश्त हैं। तख्तापलट होना ज़रूरी हो गया है। पाकिस्तान के कुछ समुदाय में इस समय उबाल की स्थिति है।
मौजूदा हालात में महिलाएं, जज, वकील, शिया समुदाय, हिन्दू और इसाई समाज के लिए पाकिस्तान, पापीस्तान बन गया है। लोग जीवन को नारकीय जीवन से भी बदतर मान रहे हैं। पहले शिया समुदाय के कत्ल और फिर महिला से रेप करने की घटना ने पाकिस्तानी लोगों के बीच एक तूफान लाकर खड़ा कर दिया है।
पाकिस्तान को मानवता सीखनी होगी। अन्यथा वहां पर भी लोगों का वही हाल होगा जो हिटलर ने जर्मनी में रहने वाले यहूदी धर्म के लोगों का किया था।