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क्यों ज़रूरी है व्यवसायिक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी

राष्ट्रीय हो या अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय, जिसकी बागडोर अक्सर पुरुषों के हाथ में होती है। इसमें महिलाएं आगे नहीं आ पा रहीं, आखिर क्यों? पूरी दुनिया में सभी बड़े-बड़े व्यापारी हैं। धीरूभाई अंबानी, रतन टाटा, नारायणा मूर्ति,अजीम प्रेमजी आदि।

यहां कोई निशा, प्रगति या मीरा क्यों नहीं है? क्यों ये इन स्थानों पर नहीं हो सकती थीं? ये सब भी विवाहित हैं, इनके भी बच्चे हैं और इन्होंने भी शिक्षा ग्रहण की है। तो क्या वजह रही जो महिलाएं इस क्षेत्र में आगे नहीं आईं? महिलाएं भी सफल हैं और पूरी लगन से कार्य भी करती हैं मगर जो वातावरण इन व्यवसाईयों को मिला है, क्या उनको मिला? बिल्कुल भी नहीं मिला।

यह पितृसत्ता की जीती-जागती मिसाल है। मैंने यह लेख सिर्फ इसलिए लिखा है, क्योंकि मुझे लोगों को बताना है कि महिलाओं को आगे ना आने देने वाले इस समाज के ही लोग हैं, जो पितृसत्ता के घोर अंधेरे में कैद हैं, जिनको महिलाओं की कोई भी ताकत नहीं नज़र आती है।

महिलाओं के लिए थोड़े से कुछ नुस्ख़े हैं, थोड़ी सी एक कोशिश है और थोड़ा सा ही एक टुकड़ा है, जो आपको इस लेख के ज़रिये मिल सकता है। वैसे भी महिलाओं के साथ ‘थोड़ा’ शब्द जोड़ने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है और ना ही समाज को! है ना? चलिए देखते हैं यह थोड़े से विचार।

बंदिशें तोड़ो

बंदिशें तोड़ने का यह मतलब बिल्कुल नहीं कि आप अपनी नैतिकता को भूलकर कोई भी काम करें। नैतिकता को याद रखें और निकल जाएं अपने जीवन की ऊंचाइयों को छूने के लिए।

यह एक ऐसा अवसर होगा जो आपको और निखरने में मदद करेगा। यह अपनी रूचि के अनुसार अपना व्यक्तित्व बनाएं और बंदिशों को तोड़ दें।

कुछ तूफानी करो

खुद को घर में कैद करके रखने से आपको कोई फायदा नहीं मिलने वाला। हां! चूल्हा, चौका, बर्तन और बच्चों की देखभाल आदि। यह सब आपको मिल सकता है, जो मेरी नज़र में निर्रथक है। हवाओं में उड़ो, यहां हवा में उड़ने से मतलब हवाई यात्रा करने से है और अगर आप आर्थिक तौर पर मज़बूत नहीं हैं, तो ट्रेन का सफर करें।

यह भी नहीं तो साइकिलिंग कर बी सकती हैं और याद रखिए साइकिलिंग करते वक्त अगर आप अपनी साईकल के पीछे वाली सीट से गुब्बारों का एक गुच्छा लटका लीजिए, जब आप हवा में साइकिलिंग करेंगी तो गुब्बारों के उड़ने से आपका मन भी उड़ने लगेगा। लोगों से मेलजोल बढ़ाओ और खुद को और निखारने की कोशिश करो। समझो कि व्यवसाय क्या है। बाहर घूमने से आपको नए-नए अनुभव होंगे और आप खुद को शार्प कर पाएंगी।

लगन और मेहनत से दुनिया जीत लो

यह तो सभी जानते हैं कि मेहनत से सभी कुछ जीता जा सकता है, तो मेहनत करने में बिल्कुल कामचोरी नहीं होनी चाहिए। जमकर मेहनत और लगन से काम करें। किसी भी तरह से मेहनत करने वालों की ही जीत होती है। मनुष्य, मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते हैं।

जब इंसान मेहनत करता है, तो उसका जीवन उन्नति और विकास की तरफ बढ़ता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए इंसान को उद्यम की ज़रूरत पडती है। उद्यम से ही इंसान अपने कार्य को सिद्ध करता है। वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकता है। उसको मेहनत करनी ही होगी। मेहनत से भागने वाले कभी कामयाब नहीं होते।

मेहनत का महत्व अथवा कार्य ही इंसान की वास्तविक पूजा-अर्चना है। इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्ध होना अत्यंत कठिन है। वह काम का नहीं हो सकता है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है, अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

संस्कृत का एक मशहूर श्लोक है-:

षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता !

निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता !!

अर्थात किसी व्यक्ति के बर्बाद होने के 6 लक्षण होते हैं। नींद, गुस्सा, भय, तन्द्रा, आलस्य और काम को टालने की आदत। तो बस आज से आलस्य को त्यागकर, मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य की ओर लग जाओ। देखना एक दिन आसमान भी तुम्हारे कदमों को चूमेगा।

पूरे ब्रह्मांड में अपनी ज्वलंत छवि को निखारो

पूरी दुनिया में अपना नाम करने के लिए आपको ज़रूरी है जुनून, जो किसी भी कार्य के लिए हो सकता है। जो आपको पसंद हो आप वही करो, जो आपका दिल चाहे आप वही करो, जिसको करके आपको सुकून मिले, उसी की तरफ रुख करो। आजकल हम देखते हैं, पेरेंट्स लड़कियों से बोलते हैं, “बेटी बारहवीं के बाद क्या करने का इरादा है? ऐसा करो बी. एड कर लेना। टीचिंग की जॉब सबसे अच्छी होती है लड़कियों के लिए।”

हां! यह बात सही है कुछ हद तक मगर कैरियर के मामले में तो उसको छूट दीजिए, क्या पता उसका आवेग किसी दूसरी फील्ड के लिए हो। क्या पता वह बिज़नेस वुमन बनना चाहती हो या लॉयर, डॉक्टर आदि।

आप अपने बच्चों की रूचि को प्रमुखता दें, जो बेहतर रहेगा।। इंसान ऐसा प्राणी है अगर उसके मन के मुताबिक कार्य ना दिया जाए, तो उसका आधा भविष्य वहीं के वहीं धराशायी हो जाता है। इन सबके बीच लड़कियों की शादी कर दी जाती है। वे किसी मंज़िल तक पहुंचने वाली भी होती हैं तो उस वक्त भी उनकी शादी कर दी जाती है और ज़रूरी नहीं उनके ससुराल वाले उनकी जॉब या पढ़ाई को आगे जारी रखने दें।

लड़कियों को मौके तो देकर देखिए। आप खुद देखिएगा कि वे कितनी आगे जा सकती हैं। कुछ पुरुषों का कहना है,  “महिलाओं के अंदर वो ताकत नहीं होती, वह जुनून नहीं होता है, जो एक कामयाब व्यवसायी के अंदर होता है।”

तो मैं उनकी इस बात का जवाब यही देना पसंद करूंगा कि आप अपने बच्चों की परवरिश बिल्कुल एक जैसी करें। एक ही स्कूल हो, एक तरह का खाना हो, बिल्कुल समानता के साथ आप उसकी परवरिश करें। आपको आपकी बात का उत्तर मिल जाएगा।

कूद पड़ो समानता के समुंदर में

समानता के लिए लड़कियों को संबोधित करने के लिए मेरे पास बस यही विचार है कि कितना भी गहरा रूढ़िवादी का समुंदर हो, उसमें कूद पड़ो और जंग जारी रखो। समानता को फैलाने वाले सम्मेलन और कई प्रकार की सामाजिक रैलियों में भाग लें।

इससे परिणाम दोनों तरह के मिल सकते हैं, नकरात्मक भी और सकरात्मक भी मगर यह मत भूलना कि आपने एक कोशिश की और आप खाली हाथ पर हाथ रखे बैठे नहीं रहे। आपको एक प्रकार का सुकून मिलेगा और आपके अंदर कॉन्फिडेंस बढ़ेगा।

तो कभी भी असमानता को किसी भी कीमत पर पनपने नहीं देना है। यह मुहिम आप अपने घर से शुरू कर सकती हैं, अगर वहां आपको सब कुछ समानता के अंतर्गत दिखे तो बहुत अच्छा है। इसके बाद आप समाज का रुख कीजिए। इस मुहिम में आपको ज़रूर कामयाबी मिलेगी।

उपरोक्त सारी बातें आज़माकर देखिए, कहीं ना कहीं अखबारों में, न्यूज़ चैनल में, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपका नाम भी जाना जाएगा। बस मेहनत और ईमानदारी से आप अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाइए। मंज़िल ज़रूर मिलेगी।

ख़ामोश मिज़ाजी तुम्हें जीने नहीं देगी,

इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो।

-अज्ञात

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