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कश्मीरी पत्रकार आसिफ़ 807 दिनों से जेल में मगर अर्णब पर कोर्ट मेहरबान क्यों?

आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में रिपब्लिक टीवी चीफ अर्णब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी और जमानत भी सुप्रीम कोर्ट की छुट्टी के दौरान दी गई।

लेकिन भारत की जेलों में कई पत्रकार ऐसे भी हैं, जिनका परिवार जमानत के लिए ज़िला कोर्ट से लेकर हाइकोर्ट और हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तलक जमानत की अपील कर चुका है लेकिन उनको जमानत नही मिली।

कोई 807 दिन से जेल में बंद है, तो कोई 1 महीने से। आइए नज़र डालते हैं ऐसे पत्रकारों पर जिनको जमानत नहीं मिल पाई है या मिली है तो महीनो बाद।

आसिफ़ सुल्तान कश्मीर के पत्रकार हैं, 807 दिनों से जेल में बंद हैं। 7 दिन तक जेल में रहने वाले अर्णब गोस्वामी पर मेहरबान अदालत को इन तस्वीरों को नही भूलना चाहिए। पत्रकारिता पर हमला मुंबई में नहीं, कश्मीर में हुआ है।

मुंबई के जिस व्यक्ति को पत्रकार मान लिया वो पत्रकार नही है, क्योंकि उसने आरएसएस और बीजेपी के नेताओं के पायजामे में नाड़ा डालने के लिए कलम थामी हुई है।

आसिफ़ सुल्तान व सिद्दीक़ कप्पन ने सच दिखाने के लिए कलम थाम पत्रकारिता साबित की है लेकिन सुप्रीम कोर्ट को इस मुल्क में सिर्फ अर्णब ही एक ऐसा व्यक्ति दिखा, जिस पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था लेकिन उसके बाद भी उसे रियायत दे लोकतंत्र का हवाला देकर जमानत दे दी गई।

पत्रकार आसिफ़ सुल्तान श्रीनगर कोर्ट में।

आसिफ़ सुल्तान पर आतंकवादियों की मदद करने का आरोप लगा। कश्मीर पुलिस ने उन्हें 27 अगस्त 2018 को गिरफ्तार कर लिया है और आसिफ़ पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (UAPA) लगाकर जेल में डाल दिया गया। आसिफ़ के संपादक ने कहा कि पुलिस ने पूछताछ में आसिफ़ से मुखबिर बनने के लिए कहा।

लेकिन आसिफ़ ने पुलिस का खबरी बनने से इनकार किया तो उसे जेल भेज दिया गया। इन तस्वीरों को देखिए जज साहब। इस तस्वीर में आसिफ़ की बेटी अरीबा आपसे अपने बाबा (आसिफ़) को आज़ाद करने की मांग कर रही है मगर आप इस बच्ची और इस पत्रकार को न्याय ना दे सके। इसलिए आसिफ़ 806 दिनों के बाद भी श्रीनगर सेंट्रल जेल में बंद हैं।

आसिफ़ सुल्तान को रिहा करने की अपील करती उनकी बेटी।

हाथरस कांड को कवर करने जा रहे केरल की मलयालम वेबसाइट के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार करके दंगे कराने की प्लांनिग का आरोप लगाकर UAPA व देशद्रोह लगा दिया।

कप्पन समेत उसके 3 साथियों को भी जेल में डाल दिया गया। कप्पन का परिवार आपके पास यानि सुप्रीम कोर्ट गया।

केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन।

लेकिन जज साहब आपने उन्हें इलाहाबाद हाइकोर्ट भगा दिया और कहा कि पहले वहां जाइए। हम डाक द्वारा कागज़ भेज रहे हैं। उसकी फैमिली इलाहाबाद हाईकोर्ट में डाक ढूंढती रही लेकिन आपने 4 सप्ताह तक डाक नही भेजी। अब कप्पन को 1 महीने से ज़्यादा जेल में हो गए हैं लेकिन आपको इस देश की जेलों मे बंद पत्रकार, छात्र, एक्टिविस्ट नही सिर्फ़ एक गुंडा व्यक्ति दिखा, जिसको पत्रकारिता की आड़ में सरकार से संरक्षण दिला जेल से रिहा कर दिया है।

पत्रकार प्रशांत कनौजिया ने राम मंदिर को लेकर ट्वीट किया तो 18 अगस्त को उन्हें लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया लेकिन हाइकोर्ट में भी प्रशांत की महीनों तक सुनवाई नही हुई।

खैर, हाइकोर्ट ने उन्हें 28 अक्टूबर को जमानत दी और जमानत होने के बाद भी उन्हें 15 दिन बाद यानि 8 नवंबर को रिहा किया गया।

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