यों तो एल्युमीनियम एक हालिया खोज हैं पर इस का ज़िक्र इतिहास में भी है, जो बेहद सस्ता होने के साथ साथ हवाई जहाज, ऑटोमोबाइल, शीतल पेय के डिब्बे, निर्माण सामग्री, खाना पकाने के उपकरण, रेलिंग और अनगिनत अन्य उत्पादों में पाया जाता है।
पर क्या आप जानते हैं एक समय था जब ये सोने से ज्यादा कीमती था
ये बात मध्य 1800 की है जब एल्युमीनियम सोने की तुलना में कहीं अधिक मूल्यवान था और इस बात का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि जब नेपोलियन तृतीय के महल में दावत होती तो सबसे महत्वपूर्ण मेहमानों को एल्यूमीनियम कटलरी दी जाती और जो उसके कम ख़ास मेहमान होते वो सोने की कटलरी में भोजन परोसा जाता ; यही नहीं तब की फैशनेबुल और धनी महिलाएं एल्युमीनियम से बने गहने ही पहनती थीं|
एल्युमीनियम की इस ख्याति का कारण इसको ज़मीन से निकलने में आने वाला खर्च था क्यूंकि उस वक्त कम लागत वाले एल्यूमीनियम को प्राप्त करने के लिए एक बड़ी बाधा एक अच्छे बिजली स्रोत की कमी थी
इसका हल निकाला दो नौजवान वैज्ञानिकों ने जिस के बाद इस की कीमत$ 6 प्रति पाउंड से भी कम हो गई थी, और जब इसी एल्युमीनियम ने राइट बंधुओं को पहली हवाईजहाज़ उड़ाने में मदद की तब तक इस की कीमत फर्श पर आ चुकी थी|
एल्यूमीनियम की कहानी इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे एक वैज्ञानिक शोधन दूसरे को सक्षम बनाता है और इसी से दुनिया बेहतर होती है |और ये भी सिखाती है कि कैसे धातु का मामूली सा टुकड़ा भी दुनिया का रुख बदल सकता है |
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