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भागलपुर:किसानोंं के भारत बंद में बहुजन संगठन भी सड़क पर आए!

भागलपुर:किसानोंं के भारत बंद में बहुजन संगठन भी सड़क पर आए!

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भागलपुर के किसानों के साथ बहुजन समाज का साथ और भारत के काले कानून।

किसानों के भारत बंद में बहुजन संगठनों ने भी भागलपुर में सड़कों पर मोर्चा लिया। सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार), बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच और बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन(बिहार) के कार्यकर्ता किसानों के साथ एकजुटता में स्टेशन चौक पर डटे रहे।

तीनों कृषि कानूनों के जरिए इस संकट को देशी-विदेशी कंपनियों व कॉरपोरेटों के लिए अवसर बना दिया

तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ-साथ प्रस्तावित बिजली बिल-2020 की वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी हक बनाने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, बटाईदारों को कानूनी सुरक्षा व अधिकार देने,भूमि सुधार सहित संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के सवालों पर आवाज बुलंद की। इस मौके पर बहुजन बुद्धिजीवी डॉ.विलक्षण रविदास ने कहा कि खेती-किसानी संकट में है।

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इस संकट को हल करने के लिए कृषि बजट और किसानों की सब्सिडी में बढ़ोतरी, किसानों को कर्ज मुक्त करने, लाभकारी मूल्य देने सहित पिछले दो दशकों से धूल फांक रही स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने की जरूरत है। लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों के जरिए इस संकट को देशी-विदेशी कंपनियों व कॉरपोरेटों के लिए अवसर बना दिया। इन कानूनों को कतई कबूल नहीं किया जा सकता है।

काले कानूनों के भयावाह परिणाम

सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के रामानंद पासवान और अर्जुन शर्मा ने कहा कि इन कानूनों से खाद्य असुरक्षा बढ़ेगी, भूखमरी का भूगोल बढ़ेगा। जनवितरण प्रणाली खत्म हो जाएगी। आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कालाबाज़ारी व जमाखोरी बढ़ेगी। पूंजीपति सस्ते दर पर किसानों का उत्पाद खरीदेंगे और फिर महंगा बेचेंगे। उन्हें मुनाफा लूटने की छूट मिलेगी।

बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन(बिहार) के सोनम राव और विभूति ने कहा कि कोरोना महामारी के आपदा को नरेन्द्र मोदी सरकार ने मेहनतकशों-बहुजनों पर हमले के विशेष अवसर में बदल दिया। कृषि संबंधी तीन कानूनों को थोपने के साथ मजदूरों को भी बंधुआ हालात में धकेल देने और पूंजीपतियों को मनमानी की छूट देने के लिए श्रम कानूनों को बदल दिया है।

निजीकरण की गति भी बढ़ा दी गई है। इसी बीच मंत्रिमंडल ने शिक्षा के क्षेत्र में भी निजीकरण को आगे बढ़ाने नई शिक्षा नीति-2020 के ड्राफ्ट को पास किया। यह शिक्षा नीति सामाजिक न्याय विरोधी-बहुजन विरोधी है। कुल मिलाकर सब कुछ देशी-विदेशी पूंजीपतियों के हवाले करने और सामाजिक न्याय को भी ठिकाने लगाने की मुहिम आगे बढ़ रही है।

बहुजनों का उद्देश्य और उनकी भागीदारी

अंजनी ने कहा कि बहुजनों की चौतरफा बेदखली के साथ सामाजिक-आर्थिक गैर बराबरी बढाया जा रहा है। संविधान में दर्ज सबको सामाजिक-आर्थिक न्याय के विपरीत संविधान को तोड़-मरोड़ कर फिर से मनुविधान और लोकतंत्र को कमजोर कर तानाशाही थोपा जा रहा है।

सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के रिंकु यादव ने कहा कि किसानों की लड़ाई संविधान व लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है। देशी-विदेशी पूंजीपतियों की गुलामी से देश को बचाने की लड़ाई है। आज किसानों के साथ छात्र-नौजवान-बुद्धिजीवी और व्यापक मेहनतकश बहुजन आबादी खड़ी है। नरेन्द्र मोदी सरकार देश की आवाज सुने और किसान आंदोलन की मांगों को पूरा करें।

 

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