सीमित ओवरों के खेल में कोहली की कप्तानी पर दुबारा विचार करने की जरूरत
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कोहली की कप्तानी क्षमता पर अब सवाल उठने ही चाहिए।
कोहली को सिर्फ इस नाते छूट नहीं दी जा सकती कि वे बहुत शानदार खिलाड़ी हैं। शानदार सचिन भी थे लेकिन बतौर खिलाड़ी, कप्तान नहीं।
कोहली का आक्रमक होकर मुट्ठी भींचना दिखावा लगता है
कोहली को इस नाते भी सवालों से नहीं छोड़ा जाना चाहिए क्योंकि वे विकेट गिरने, शतक लगाने या जीत जाने के बाद हवा में मुट्ठियां भींचते हैं। या फिर विरोधी के आंखों में आंखें डालते रहे हैं। इस बार तो आई पी एल के दौरान वे हमवतन सूर्यकुमार यादव पर भी लगभग चढ़ ही गए थे। अब यह सब दिखावा लगता है। अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में इतने दिन रहने के बाद आप में परिपक्वता आ ही जानी चाहिए। हमने युवराज और गांगुली में भी यह देखा था लेकिन शुरुआती दौर में, बाद में परिपक्वता के साथ वह बढ़ते चले गए।
कोहली का न तो रूप बदल रहा है और न ही द्विपक्षीय सीरीज़ के अलावा अन्य टूर्नामेंट में उनकी कप्तानी का प्रदर्शन। इस बार तो आस्ट्रेलिया में द्विपक्षीय सीरीज़ भी हाथ से निकल गयी। आई सी सी का कोई भी खिताब कोहली की झोली में अब तक नहीं है। उनके दचारा टीम चयन हमेशा समझ से परे ही रहता है। विश्वकप में अंबाती रायडू का न ले जाना रहा हो या फिर बाद में अय्यर की उपेक्षा करके ऋषभ का चयन रहा हो सब सवाल उठाने लायक थे।
गम्भीर भी उठा चुके हैं सवाल
पूर्व सलामी बल्लेबाज़ और उनके ही राज्य के क्रिकेटर गौतम गंभीर द्वारा कोहली की कप्तानी पर बार-बार सवाल उठाना बिल्कुल भी हतप्रभ नहीं करता। आई पी एल के दौरान भी उन्होंने उनकी कप्तानी पर सवाल उठाए थे। आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरा मैच गवाने के बाद भी उन्होंने कोहली की बॉलिंग चेंज पर सवाल उठाए। जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज़ को शुरुआत में सिर्फ दो ओवर का स्पेल देना गंभीर के समझ से परे था। गंभीर ने कहा कि “अगर आप अपने मुख्य गेंदबाज़ को सिर्फ 2 ओवर के स्पेल के बाद हटा लेते हैं तो मै इस तरह की कप्तानी से हैरान हूं। आखिर यह टी 20 नहीं है।”
गंभीर की बात सही भी लगती है अगर बुमराह को 4-5 ओवर का स्पेल दिया गया होता और वह शुरुआती विकेट झटक लेते तो मैच का परिणाम बदल भी सकता था।
रवींद्र जडेजा का बार-बार वनडे में चयन हो जाना सवाल खड़े करता है। मुझे याद नहीं कि कब जडेजा ने अपनी बैटिंग के दम पर वनडे या टी 20 में जीत दिलाई है। फिर इन फॉर्मेट में उनकी गेंदबाज़ी भी मैच जिताऊ स्तर की नहीं होती। मुझे लगता है रवींद्र जडेजा से बेहतर यह होता कि हम एक विशुद्ध गेंदबाज़ या फिर बल्लेबाज़ खिला लें। सछतो यह है कि एक कप्तान के रूप में शायद ही कोहली ने किसी को निखरने का मौका दिया हो।
गांगुली और धोनी क्यों महान थे?
गांगुली और धोनी इसलिए महान थे क्योंकि उन्होंने खिलाड़ी तैयार किये थे। गांगुली ने युवराज, ज़हीर, सहवाग, हरभजन जैसों को बनाया था। धोनी नें रोहित शर्मा, धवन, अश्विन और खुद कोहली को एक खिलाड़ी के रूप में विकसित होने का अवसर दिया।
आप कोहली के मामले में एक भी ऐसा खिलाड़ी नहीं बता सकते जिनको उन्होंने खिलाड़ी के रूप में बनाया हो। ऐसे में एक और आई पी एल ट्रॉफी और आस्ट्रेलिया के खिलाफ यह द्विपक्षीय सीरीज़ हाथ से धोने के बाद उनकी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए। सिर्फ एक बेहतर खिलाड़ी के नाते उन्हें छूट नहीं मिलनी चाहिए खासकर उन स्थितियों में जब हमारे पास रोहित शर्मा जैसा विकल्प उपलब्ध हो।